भारत को सऊदी अरब को शुक्रिया कहना चाहिए. पेट्रोल और डीजल की कम कीमत के साथ-साथ देश का सरकारी घाटा कम करने में मदद देने के लिए सऊदी अरब को बड़ा थैंक यू कहा जाना चाहिए.
दुनिया में कच्चे तेल का सबसे बड़ा उत्पादक सऊदी अरब उत्पादन में कमी कर कीमतें गिरने से रोक सकता है. लेकिन उसने अब तक ऐसा नहीं किया है...
इसके नतीजतन ग्लोबल ब्रेंट क्रूड की कीमत 23% नीचे आ गई है. जुलाई में वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम $110 प्रति बैरल थे जो फिलहाल $85 प्रति बैरल हो गए हैं.
हमारे लिए इसका मतलब है कि डीजल कीमतों को सब्सिडी कवर की जरूरत नहीं सरकार को रसोई गैस और केरोसिन पर सब्सिडी देने पर कम खर्च करना होगा.
तेल कंपनियों को अब डीजल पर बाजार से ज्यादा कीमत मिल रही है.
यानी हर लीटर पर 3.56 रुपये ज्यादा
डीजल की खुदरा कीमत पर नुकसान से फायदे तक.
रसोई गैस और केरोसिन पर अंडर रिकवरी की वजह से होने वाला नुकसान भी घटा.
इससे तेल सब्सिडी को साल के लिए अनुमानित स्तर से भी नीचे लाना संभव हो जाएगा.
सऊदी अरब गिरती कीमतों को अभी नहीं थामेगा, क्योंकि...
> अमेरिका अब कच्चे तेल खरीदने में सबसे आगे नहीं है.
> कीमत और उत्पादन कम करने को लेकर ओपेक मुल्कों के बीच तालमेल नहीं.
> तेल का बड़ा उत्पादक रूस ओपेक का सदस्य नहीं है.