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UNHRC में पाक की बोलती बंद, भारत ने कहा- कश्मीर पर झूठ की रनिंग कमेंट्री कर रहा है

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में पाकिस्तान के झूठे आरोपों का भारत ने करारा जवाब दिया. अपने पुराने रुख को दोहराते हुए भारत ने कहा कि कश्मीर हमारा आंतरिक मसला है और पाकिस्तान झूठ की फैक्ट्री चला रहा है.

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UNHRC में पाकिस्तान को भारत का करारा जवाब (Photo-ANI)
UNHRC में पाकिस्तान को भारत का करारा जवाब (Photo-ANI)

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  • भारत ने कहा कि कश्मीर हमारा आंतरिक मसला है
  • UNHRC में भारत ने बेनकाब किया पाक का झूठ

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में पाकिस्तान के झूठे आरोपों का भारत ने करारा जवाब दिया. अपने पुराने रुख को दोहराते हुए भारत ने कहा कि कश्मीर हमारा आंतरिक मसला है और पाकिस्तान झूठ की फैक्ट्री चला रहा है. विदेश मंत्रालय की सेक्रेटरी (ईस्ट) विजय ठाकुर सिंह ने जिनेवा में यूएनएचआरसी में जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान के झूठ को बेनकाब कर दिया.

उन्होंने कहा, नरेंद्र मोदी सरकार घाटी में सामाजिक-आर्थिक और न्याय को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठा रही है. उन्होंने कहा, हालिया फैसलों की बदौलत विकास का सीधा फायदा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के नागरिकों को मिलेगा. इससे लैंगिंक भेदभाव खत्म होगा, जुवेनाइल के अधिकार बेहतर होंगे और शिक्षा और सूचना के अधिकार भी लागू होंगे.उन्होंने कहा कि दिक्कतों के बावजूद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जरूरी सामानों की सप्लाई जारी रखी है और प्रतिबंधों में भी धीरे-धीरे छूट दी जा रही है. 

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उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भारत पर झूठे आरोप लगा रहा है. दुनिया जानती है कि झूठे आरोप ऐसे देश से आते हैं, जो खुद वैश्विक आतंकवाद का गढ़ है, जहां आतंकवादियों को पनाह मिलती है.यूएनएचआरसी में भारत ने साफ तौर पर कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना पूरी तरह आंतरिक फैसला है, जिस पर संसद ने मुहर लगाई है. कोई भी देश अपने आंतरिक मामले में दखलअंदाजी नहीं चाहेगा, भारत भी नहीं.

इससे पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने शायद अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर मान लिया कि  जम्मू एवं कश्मीर एक भारतीय राज्य है. उन्होंने यहां कहा, भारत दुनिया के सामने ऐसा दिखावा कर रहा है कि जम्मू एवं कश्मीर में जीवन सामान्य हो गया है.

अगर वहां जन-जीवन सामान्य हो गया है तो फिर वह आपको (इंटरनेशनल मीडिया को) वहां क्यों नहीं जाने देते हैं. वे फिर क्यों नहीं अंतरराष्ट्रीय संगठनों, एनजीओ और सिविल सोसायटी संगठनों को भारतीय राज्य जम्मू एवं कश्मीर में जाने देते हैं और फिर उन्हें वहां की सच्चाई क्यों नहीं देखने देते हैं.'

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