scorecardresearch
 

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव: राष्ट्रवाद किसी समस्या का समाधान नहीं देगा- युवाल

हरारी से पूछा गया कि क्या आपके यहां भी भारत की तरह इतिहास से छेड़छाड़ और उसे लेकर विवाद होता है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इतिहास से छेड़छाड़ भारत ही नहीं बल्कि एक ग्लोबल समस्या है. उन्होंने कहा कि इतिहास एक पौराणिक कथा है. हरारी ने कहा कि मैं ये नहीं कहता कि सभी धार्मिक किताबें सही हैं, इसके लिए हमें कथा और सच्चाई में फर्क करना होगा.

Advertisement
X
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में युवाल नोआ हरारी
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में युवाल नोआ हरारी

Advertisement

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के एक अहम सत्र में 'सेपियन्स: अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ ह्यूमन काइन्ड' के लेखक युवाल नोह हरारी ने शिरकत की. इतिहासकार हरारी ने अपने भाषण के दौरान वैश्वीकरण और इतिहास पर बात की. इस दौरान उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि दुनिया में दो प्रकार के भगवान हैं. एक वो जिनके बारे में हम कुछ भी नहीं जानते और दूसरे वो जिनके बारे में हमें सब कुछ पता है.

दरअसल, हरारी से सवाल पूछा गया कि क्या आप भगवान में विश्वास करते हैं तो उन्होंने कहा कि मैं भगवान में विश्वास नहीं करता. साथ ही उन्होंने अपनी पहली बात को बीच में रोकते हुए बताया कि दुनिया में दो प्रकार के भगवान हैं. एक वो जो अदृश्य हैं, जिनके बारे में हम कुछ नहीं जानते, जो कि रहस्यमयी हैं. जब कभी लोगों को किसी सवाल का जवाब नहीं मिलता तो लोग इसी भगवान को याद करते हैं और कहते हैं कि ये भगवान ने किया या बनाया होगा. इस भगवान को न तो कभी देखा गया और न ही कभी सुना गया. मैं इसी भगवान को मानता हूं.

Advertisement

वहीं, दूसरे प्रकार के भगवान इसके बिलकुल विपरीत हैं, जिसके बारे में हम सभी को सब कुछ पता है. उनके बारे में हमें ये पता है कि उन्होंने महिलाओं के फैशन के लिए क्या किया है, ह्यूमन सेक्सुअलिटी के लिए क्या किया. ये वो भगवान हैं जो हमें बताते हैं कि हमें किस नेता को वोट देना है. जिन्हें जादू आता है, जो ये कहते हैं कि एक व्यक्ति दो महिलाओं के साथ संबंध बना सकता है. लेखक हरारी कहते हैं कि ये बेहद खतरनाक प्रकार के भगवान हैं. जिन्हें मैं नहीं मानता.

उन्होंने दूसरे प्रकार के भगवान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर कोई अदृश्य शक्ति है जिसने इस ब्रह्मांड की रचना की, संसार की रचना की, मानव को बनाया, ब्लैक होल के लिए उत्तरदायी है, जिसने सुंदर जीवन दिया. उसे शायद ही इस बात से मतलब होगा कि महिलाओं का ड्रेस कोड क्या होना चाहिए.

'चार से पांच हजार साल पहले पहली बार आया राष्ट्रवाद'

हरारी ने कहा कि भविष्य वर्तमान से बहुत अलग होगा और वैश्विक समस्याओं को समाधानों की आवश्यकता होगी. राष्ट्रवाद के इतिहास के बारे में बताते हुए हरारी ने कहा कि 4,000-5,000 साल पहले राष्ट्रवाद पहली बार नदी के तटवर्ती इलाकों में आया. उस समय नदियों और प्रकृति के प्रकोप से बचने के लिए छोटे समूह एक साथ मिलकर काम करते थे. उन लोगों ने एक साथ मिलकर नहरों और बांधों का निर्माण किया. मिलकर अनाज उगाए.

Advertisement

उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में जिस प्रकार के राष्ट्रवाद की वापसी हुई है वो चिंता का विषय है और ये दुनिया के किसी दूरदराज के कोने में नहीं बल्कि उत्तरी अमेरिका, यूरोप और भारत में है. यह एक चिंता है क्योंकि राष्ट्रवाद समाधान प्रदान करने में सक्षम नहीं होगा, जिसका सामना भविष्य में दुनिया करेगी.

रामायण पर बोले हरारी- एक तथ्य के सच होने से पूरी कहानी को सही नहीं माना जा सकता

जब लेखक हरारी से पूछा गया कि क्या आपके यहां भी भारत की तरह इतिहास से छेड़छाड़ और उसे लेकर विवाद होता है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इतिहास से छेड़छाड़ भारत ही नहीं बल्कि एक ग्लोबल समस्या है. उन्होंने कहा कि इतिहास एक पौराणिक कथा है. हरारी ने कहा कि मैं ये नहीं कहता कि सभी धार्मिक किताबें सही हैं, इसके लिए हमें कथा और सच्चाई में फर्क करना होगा.

रामायण की सच्चाई के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर आपके पास सबूत हैं तो मुझे उस पर विश्वास करना होगा. वहीं, अगर आपके पास किसी घटना को लेकर कोई सबूत नहीं हैं तो मैं उस पर विश्वास नहीं कर सकता. इस पर उनसे पूछा गया कि गूगल द्वारा भारत और श्रीलंका के बीच स्थित राम सेतु की तस्वीर दिखाई गई है, तो फिर क्या रामायण की कहानी सच है. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि किसी कहानी के एक पहलू के सच होने से पूरी कहानी सच नहीं सकती.

Advertisement

तकनीकी विनाश सबसे बड़ी चुनौती

हरारी ने दुनिया के सामने खड़ी चुनौतियों की बात करते हुए कहा कि आज के समय में दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती तकनीकी विनाश की है. साथ ही उन्होंने कहा कि आज लाखों करोड़ों की संख्या में ऐसे लोग मैजूद हैं जिनकी इकोनॉमिक वैल्यू जीरो है जो कि दुनिया के लिए बड़ा खरतनाक है. हालांकि, अब सरकारें योजनाएं बना रही हैं, जिससे लोगों को रोजगार मिल रहा है. लेकिन रोजगार के बदले मिलने वाले वेतन को लेकर भी दुनिया में बहुत सारी विसंगतियां मौजूद हैं.

उन्होंने कहा कि दुनिया का ज्यादातर हिस्सा सस्ती मजदूरी पर टिका है. जो कि कभी भी नष्ट हो सकती है, बिखर सकती है. इसे समझने के लिए आप बांग्लादेश और अमेरिका में मजदूरी के बदले मिलने वाले वेतन की तुलना कर सकते हैं. दरअसल, अभी के समय में कहीं तो बहुत कम और कहीं बेहद ज्यादा मजदूरी मिलती है. इससे कमजोर और गरीब देश और गरीब हो रहे हैं व अमीर और अमीर.

वैश्विक राजनीति पर बोलते हुए हरारी ने कहा कि दुनिया में नियम भी ग्लोबल होने चाहिए. उदाहरण देकर उन्होंने समझाने की कोशिश की और कहा कि आज के समय में अगर अमेरिका हथियार बनाने पर पाबंदी लगाता है या हथियार बनाना बंद कर देता है तो दूसरे देश जैसे रूस और चीन उस हथियार के उत्पादन को बढ़ा देते हैं. यह अमेरिका भी अपने फैसले को पलटने पर मजबूर हो जाता है और विनाशक हथियारों का उत्पादन शुरू कर देता है. ऐसे माहौल में कोई देश उन देशों को इस बात के लिए तैयार नहीं करता कि वो भी इस नियम को माने जिससे दुनिया का भला होगा.

Advertisement

देशों को नहीं पता कि दुनिया के सामने समस्या क्या है

हरारी ने कहा कि हम 21वीं सदी में जी रहे हैं, लेकिन अभी भी राष्ट्रों को ये पता नहीं है कि उनके समक्ष बड़ी समस्या क्या है. उन्होंने कहा कि समस्याओं को समझने के लिए वैश्विक राजनीति का होना जरूरी है. हरारी ने कहा कि 1945 के बाद एक बदलाव हुआ, वो ये कि किसी भी दो बड़े देशों के बीच युद्ध नहीं हुआ. लेकिन वैश्विक समस्या को समझने के लिए हमें राष्ट्र और धर्म से ऊपर उठकर सोचना होगा. ठीक उसी प्रकार जैसे हम धार्मिक मुद्दों पर होने वाले विवादों के बाद उनके हर पहलू पर गहराई से अध्ययन करते हैं और सवाल जवाब करते हैं.

हरारी ने कहा कि अब युद्ध नहीं होते. लोगों की सोच में हुए वैश्विक परिवर्तन और उनके फैसलों से ये बदलाव आया है. बड़े वैश्विक बदलाव के लिए वैश्विक स्तर पर बुद्धिमत्ता की जरूरत होती है. अगर हम स्कूलों में मानव जाति के बारे में पढ़ाना शुरू करें और समस्याओं पर बात करें तो बच्चे उस पर ध्यान केंद्रित करेंगे और उस तक पहुंच सकेंगे.

Advertisement
Advertisement