भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 'इंडिया टुडे साउथ कॉन्क्लेव 2021' में इंडिया टुडे टीवी के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल से तमाम मुद्दों पर विस्तार से बात की. एस. जयशंकर ने भारतीय लोकतंत्र की वैश्विक रैंकिंग में गिरावट, पॉप सिंगर रिहाना और पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग की टिप्पणी से लेकर चीन, क्वॉड और श्रीलंका तक पर बात की. विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी को एक मजबूत नेता भी बताया. पीएम मोदी को लेकर जयशंकर ने कहा कि वे फ्रंटफुट पर आकर नेतृत्व करते हैं और यह बहुत जरूरी है. इसी क्रम में जयशंकर ने जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल का नाम लिया. जयशंकर ने कहा कि अमेरिका में चुनाव के दौरान भी यह मुद्दा छाया रहा कि क्या हम एक मजबूत नेतृत्व के हाथ में कमान सौंप रहे हैं.
राहुल कंवल ने पूछा कि एस. जयशंकर के विदेश मंत्री बनने के बाद पिछले दो सालों में भारत की विदेश नीति के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है? पिछले दो सालों भारत की विदेश नीति में क्या बड़ा बदलाव आया है? इस सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने कहा कि यह सवाल बहुत पर्सनलाइज करने वाला सवाल है. विदेश मंत्री ने कहा, ''मुझे यह कहने में ठीक नहीं लगता है कि यह काम मैंने किया है और यह मेरी उपलब्धि है. अगर मैं अपने बारे में कहना चाहूं तो कह सकता हूं कि हां, मैंने ये काम किया है. विदेश नीति को आप व्यापक पैमाने पर देखें तो हम प्रधानमंत्री के विजन पर काम कर रहे हैं. विदेश नीति एक टीम वर्क है."
एक डिप्लोमैट से राजनेता बनने के दौरान आई तब्दीली को लेकर जयशंकर ने कहा, ''राजनीति में मेरी दिलचस्पी शुरू से ही रही है. राजनीति के बीच ही पला-बढ़ा हूं. यह मेरे लिए सीखने की प्रक्रिया है और आज भी सीख रहा हूं और इसे इंजॉय कर रहा हूं.''
चीन को लेकर विदेश मंत्री ने क्या कहा?
राहुल कंवल ने विदेश मंत्री से सवाल किया, आपके लिए सबसे बड़ी चुनौती चीन को हैंडल करना रहा. कई महीनों तक काफी तनाव रहा और सीमा पर सेना आमने-सामने रही. ऐसा लग रहा था कि युद्ध की स्थिति बनती जा रही है. आप इन सबको कैसे हैंडल कर रहे थे? यह कितना तनावपूर्ण था? इस सवाल के जवाब में हंसते हुए जयशंकर ने कहा, ''आपको मेरे चेहरे पर तनाव दिख रहा है? वो काफी मुश्किल था. चीन के साथ अब भी मसला सुलझना बाकी है और अभी बात चल ही रही है. अगर देश की संप्रभुता और अखंडता को कोई चुनौती देता है और आप सरकार का हिस्सा हैं तो आप उसका सामना करते हैं. हम देखते हैं कि इसके जवाब में क्या कर सकते हैं.
एस. जयशंकर ने कहा, पिछले पांच सालों में हमने सीमा पर आधारभूत संरचना को मजबूत किया है. 2020 में हमने सीमा पर जैसे मुकाबला किया, वो पांच साल पहले संभव नहीं था क्योंकि हम हथियार के मामले में मजबूत नहीं थे. हमने रफाल भी खरीद लिया. हमने परिस्थिति को आत्मविश्वास के साथ हैंडल किया. राजनीतिक नेतृत्व से हमें पूरा समर्थन मिला. एस. जयशंकर ने कहा कि भारत जैसे-जैसे आगे बढ़ेगा, वैसे-वैसे चुनौतियां भी आती रहेंगी. वो चाहे पड़ोस से आए या कहीं और से. मुश्किलें आगे भी हैं.''
If you extend your hand, we will extend our hand but if you point a gun at us, we will do the same: @DrSJaishankar on the relationship with #China.
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विदेश मंत्री ने कहा कि चीन के साथ रिश्ते तभी सामान्य रह सकते हैं जब सीमा पर शांति रहेगी. उन्होंने कहा कि सीमा पर तनाव के साथ रिश्ते सामान्य नहीं रह सकते. जब चीन दोस्ती का हाथ बढ़ाएगा तो हम भी दोस्त का हाथ बढ़ाएगे लेकिन अगर वो बंदूक आगे करेंगे तो हम भी उसी तरह जवाब देंगे.
क्वॉड पर बोले विदेश मंत्री
विदेश मंत्री ने जापान, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और भारत के क्वॉड समूह की पहली बैठक को चीन से जोड़े जाने को खारिज किया है. विदेश मंत्री ने कहा कि यह समूह किसी के खिलाफ नहीं है. विदेश मंत्री ने कहा, "क्वॉड समूह का दृष्टिकोण नकारात्मक नहीं बल्कि सकारात्मक है. कोरोना महामारी में वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत महसूस हुई है. हम इस पर मिलकर एक-दूसरे को सहयोग कर सकते हैं. समुद्रीय व्यापार, सूचना और तकनीक कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर हम एक साथ काम कर सकते हैं. क्वॉड के अपने उद्देश्य हैं और ये सकारात्मक हैं. जाहिर है कि हम लोकतांत्रिक, बहुसांस्कृतिक और एक जैसी सोच वाले देशों के साथ ही काम करना चाहेंगे."
External Affairs Minister @DrSJaishankar shares his views on the recently concluded Quad summit.
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क्या चीन से तनाव घटने का असर क्वॉड के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर भी पड़ेगा? विदेश मंत्री ने इस सवाल के जवाब में कहा कि चीन से तनाव के पहले, साल 2017 और 2019 में भी क्वॉड की बैठक हुई थी. एस. जयशंकर ने कहा, आप ऐसे नहीं कर सकते हैं कि जिस दिशा में हवा बह रही हो, उसी दिशा में आगे बढ़ जाएंगे.
भारतीय लोकतंत्र की वैश्विक रैंकिंग में गिरावट से बिगड़ी छवि?
राहुल कंवल ने भारतीय लोकतंत्र की वैश्विक रैंकिंग में आई गिरावट को लेकर विदेश मंत्री से पूछा कि क्या यह भारत की छवि के लिए चुनौती है? कई ऐसी रिपोर्ट आईं जिसमें कहा गया कि नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से लोकतंत्र कमजोर हुआ है. इस पर एस. जयशंकर ने कहा, ''आप जिन रिपोर्ट की बात कर रहे हैं, ये लोकतंत्र और निरंकुश शासन की बात नहीं है बल्कि यह एक पाखंड है. दरअसल, ये वे लोग हैं जिनके हिसाब से चीजें नहीं होती हैं तो इनके पेट में दर्द होने लगता है. इन्होंने खुद को दुनिया का कस्टोडियन (रक्षक) बना लिया है और चंद लोगों की नियुक्तियां कर दी हैं. ये खुद ही मानडंद तय करते हैं और फैसले देने लगते हैं."
विदेश मंत्री ने कहा, "जब ये बीजेपी की बात करते हैं तो हिन्दू राष्ट्रवादी कहते हैं. हम राष्ट्रवादी हैं और 70 देशों में वैक्सीन पहुंचाई. जो खुद को अंतरराष्ट्रीयवाद के पैरोकार मानते हैं, उन्होंने कितने देशों में वैक्सीन पहुंचाई है? भारत ने खुलकर कहा कि हम अपने लोगों के साथ उन देशों का भी ख्याल रखेंगे जो जरूरतमंद हैं. हां, हमारी भी आस्थाएं हैं, मूल्य हैं लेकिन हम अपने हाथ में धार्मिक पुस्तक लेकर पद की शपथ नहीं लेते हैं. हमें किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं हैं. हमें खुद को ही आश्वस्त करना है. वे एजेंडा के तहत ऐसा करते हैं.''
पॉप सिंगर रिहाना, ऐक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग पर बोले एस. जयशंकर
किसान आंदोलन को लेकर पॉप सिंगर रिहाना और पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के ट्वीट को लेकर क्या भारत ने ओवर रिएक्ट किया? इस सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा, ''यह कोई व्यक्तिगत मामला नहीं था. भारतीय दूतावास के बाहर सोशल मीडिया पर प्रदर्शन की बात कही जा रही थी. ये कोई मासूमियत से भरी हरकत नहीं थी. इसके कई गंभीर नतीजे होते हैं. दूतावास की जिम्मेदारी हमारी है. लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हमला हुआ. क्या आपको अंदाजा है कि हमले के दौरान उच्चायोग के भीतर जो मौजूद होते हैं, उन पर क्या गुजरती है? आप दिल्ली में बैठकर इसे महसूस नहीं कर सकते. हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने दूतावासों को सुरक्षित रखें. कनाडा में कोविड के कारण लोग इकट्ठा नहीं हो सकते लेकिन यही नियम वहां के दूतावास के बाहर काम नहीं करता है. नियमित तौर पर ऐसी घटनाएं होने लगीं. हमारे राजनयिकों को धमकी भरे फोन आ रहे थे. हमारे लोगों की सुरक्षा खतरे में जाएगी तो हम चुप नहीं बैठेंगे.''
श्रीलंका ने अपने अहम प्रोजेक्ट से भारत को क्यों किया बाहर?
श्रीलंका ने एक महीने पहले कोलंबो पोर्ट के ईस्ट कंटेनर टर्मिनल परियोजना से भारत को बाहर कर दिया था. इसे लेकर भारत-श्रीलंका के रिश्तों को लेकर कई तरह के कयास भी लगे. इससे जुड़े सवाल पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, "भारत, श्रीलंका और जापान की सरकारों के बीच ईस्ट टर्मिनल प्रोजेक्ट को लेकर समझौता हुआ था. लेकिन बाद में श्रीलंका की सरकार ने कहा कि वो कर्ज नहीं लेना चाहती है और इसकी जगह निवेश आधारित मॉडल विकसित करेगी. उसके बाद से उन्होंने सीधे तौर पर निवेशकों से बात की है. उन्होंने ये भी कहा है कि ईस्ट कंटेनर टर्मिनल की जगह वे वेस्ट कंटेनर टर्मिनल में निवेशकों को आमंत्रित करेंगे. ये श्रीलंका का फैसला है. मैं इसके ज्यादा रणनीतिक मायने नहीं निकालना चाहूंगा.
एस. जयशंकर ने ये भी कहा कि चुनाव आते ही सभी को तमिलों की याद आती है जबकि मोदी सरकार हमेशा से उनके लिए मजबूती से खड़ी रही है. उन्होंने कहा, नरेंद्र मोदी पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने जाफना का दौरा किया.