अफगानिस्तान में सार्वजनिक जीवन से महिलाओं के दखल को हटाने की बढ़ती कोशिशों पर चिंता जताते हुए भारत ने संकटग्रस्त देश में महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा का आह्वान किया. जिनेवा में भारत के राजदूत पुनीत अग्रवाल ने कहा कि भारत औऱ अफगानिस्तान लंबे समय से साझेदार के रूप में काम कर रहे हैं. ऐसे में वहां शांति और स्थिरता की वापसी सुनिश्चित करना ही हमारा उद्देश्य है. राजदूत पुनीत ने ये टिप्पणी मानवाधिकार परिषद के 50वें सत्र में "अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकारों की स्थिति" पर चर्चा के दौरान की.
राजदूत पुनीत अग्रवाल ने कहा कि अफगान लोगों के साथ भारत के मजबूत ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंध रहे हैं. इस वजह से हम अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रमों को लेकर काफी चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि हम महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आह्वान करते हैं, इसमें शिक्षा का अधिकार भी शामिल है. साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि पिछले दो दशकों से लड़ी जा रही हक की लड़ाई गलत नहीं थी.
पुनीत अग्रवाल ने कहा कि नागरिकों, बच्चों, लड़कियों और महिलाओं के मूल अधिकारों में अभिव्यक्ति की आजादी, शिक्षा और चिकित्सा मे मौजूदा स्थिति के कारण काफी बाधा उत्पन्न हुई है. राजदूत पुनीत ने अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का भी उल्लेख किया और कहा कि अफगानिस्तान में आगे बढ़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अपेक्षाओं को सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 में स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया है.
राजदूत ने कहा कि हाल के दिनों में देखा गया है कि अफगानिस्तान में महिलाओं को अधिकारों से वंचित किया जा रहा है. राजदूत पुनीत ने अफगानिस्तान में विनाशकारी भूकंप से प्रभावित पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की. उन्होंने कहा कि भारत अफगानिस्तान के लोगों का दुख गहराई से महसूस करता है. अफगानिस्तान के सच्चे दोस्त के रूप में भारत ने अफगानिस्तान के लोगों के लिए तत्काल प्रभाव से दो विमान भेजकर 27 टन आपातकालीन राहत सहायता भेजी है.
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