अमेरिका में भारत की राजदूत निरूपमा राव के अनुसार, भारत ने एशिया प्रशांत में अमेरिकी रुचि का स्वागत किया है, क्योंकि नई दिल्ली का दृष्टिकोण साझी समृद्धि और सुरक्षा के लिए अंतरसम्बंधों का एक जाल तैयार करने का है.
राव ने रोडे द्वीप के प्रोविडेंस में आईवी लीग के एक निजी अनुसंधान युनिवर्सिटी, ब्रॉउन युनिवर्सिर्टी में कहा, 'हम चाहते हैं कि हिंद महासागर और एशिया प्रशांत के क्षेत्र प्रतिस्पर्धा और वर्चस्व के क्षेत्र के बदले सहयोग के क्षेत्र के रूप में विकसित हों.'
राव ने कहा, 'हम एशिया-प्रशांत क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग के एक खुले, समग्र और पारदर्शी ढाचे के लिए काम करना चाहेंगे, जहां एशिया और अन्य क्षेत्रों की प्रमुख शक्तियां पारम्परिक और गैर पारम्परिक चुनौतियों से निपटने के लिए तथा एक स्थिर व समृद्ध एशिया का आधार खड़ा करने के लिए मिलकर काम करें.'
राव ने सोमवार को 'स्प्रिंग 2013 ब्राउन-इंडिया इनीसिएटिव सेमिनार सीरीज' की उद्घाटन संगोष्ठी में 'अमेरिका की एशिया धुरी: भारतीय दृष्टिकोण से' विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा, 'ये ऐसी चुनौतियां हैं, जो राष्ट्रीय सीमाओं से परे हैं और सहकारी प्रतिक्रियाओं की मांग करती हैं.'
राव ने कहा, 'इस दृष्टिकोण के आधार पर हम भारत-प्रशांत के एशिया में अमेरिकी रुचि का स्वागत करते हैं. हमारे दोनों देशों में आर्थिक वृद्धि और समृद्धि कई मायनों में इस क्षेत्र के विकास और समृद्धि के अवसरों से जुड़ी हुई है.'
राव ने कहा, 'यह एक ऐसी जगह है जो हमारे भाग्यों को प्रभावित करती है, जिसकी सुरक्षा और समृद्धि हम दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है, और वहां हमारे हित अधिक जुड़े हुए हैं.'