भारत ने सोमवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रति अपनी कटिबद्धता और अधिकार क्षेत्र के तहत इस वैश्विक स्वास्थ्य निकाय को 21 लाख डॉलर दान देने की घोषणा की.
68वीं विश्व स्वास्थ्य सभा (डब्ल्यूएचए) की अध्यक्षता संभालने वाले स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा, 'संसाधनों में विषमता का स्वास्थ्य में विषमता से सीधा संबंध है. तेजी से बढ़ती जनस्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए विकास एजेंडा में प्रयासों को दोगुना करने की जरूरत है.' इन चुनौतियों में संक्रामक रोग, गैर संक्रामक रोग, सूक्ष्मजीव प्रतिरोधक, स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के प्रभाव शामिल हैं.
नड्डा ने कहा कि विभिन्न देशों के बीच और देशों के अंदर ही स्वास्थ्य विषमता घटाना, स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त मानव संसाधन उपलब्ध कराना, सस्ती दवाओं और रोग परीक्षण सुविधाएं उपलब्ध कराना और स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देकर रोगों की रोकथाम जैसी चुनौतियां हैं.
उन्होंने कहा, 'डब्ल्यूएचओ के प्रति अपनी कटिबद्धता और अधिकारक्षेत्र के तहत मुझे डब्ल्यूएचओ को इस दान देने की घोषणा करने में खुशी हो रही है कि 10 लाख डॉलर डब्ल्यूएचओ आकस्मिक व्ययकोष के लिए 10 लाख डॉलर परामर्श विशेषज्ञ कार्य बल के अतर्गत आने वाली योजनाओं के लिए होगा.'
उन्होंने कहा कि भारत एसएसएफएफसी (घटिया) दवा उत्पादों पर सदस्य देश प्रणाली के लिए 1,00,000 डॉलर देगा. डब्ल्यूएचओ की शीर्ष नीति निर्धारक निकाय डब्ल्यूएचए की अध्यक्ष्यता एक-एक कर विभिन्न क्षेत्रों को मिलती है और भारत को यह पद 18 साल बाद मिला है.