संयुक्त राष्ट्र द्वारा मसूद अजहर को जल्दी ही आतंकी घोषित किए जाने की उम्मीद जताते हुए भारत के शीर्ष राजनयिक सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि जब तक पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के इस नेता को न्याय के कटघरे में नहीं लाया जाता, तब तक भारत चैन से नहीं बैठेगा.
भारत ने मसूद अजहर की पहचान 2 जनवरी 2016 को पठानकोट में हुए आतंकी हमले के मास्टर माइंड के रूप में की थी. भारत ने उसके भाई रउफ और पांच अन्य को भी हमला करने का आरोपी बताया था. इस हमले में शामिल सभी छह आतंकी मारे गए थे, जबकि भारत के सात जवान शहीद हुए थे.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने यहां कहा, 'न्यायिक शब्दों में कहें तो यह मामला विचाराधीन है. इस समय यह मामला संयुक्त राष्ट्र की समिति के समक्ष है. हम उम्मीद करते हैं कि समिति मसूद अजहर को आतंकी का दर्जा देने की अपनी भूमिका निभाएगी. हमने कई बार उसे आतंकी घोषित करवाने की कोशिश की है, लेकिन अब तक इसमें सफलता नहीं मिली है.'
अजहर को आतंकी का दर्जा दिलाने के भारत के प्रयासों से जुड़े सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'हम यह साफ करना चाहेंगे कि हमारी ओर से मसूद अजहर का मामला तब तक उठाया जाता रहेगा, जब तक कि उसे न्याय के कटघरे नहीं लाया जाता.'
अजहर को आतंकी घोषित करवाने के भारत की कोशिशों में चीन बार-बार रोड़े अटकाता रहा है. पठानकोट हमले के मास्टरमाइंड को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकी घोषित करवाने के भारत के प्रस्ताव को अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन का समर्थन है. अगस्त में चीन ने इस प्रस्ताव पर अपनी तकनीकी रोक की अवधि को तीन माह का विस्तार दे दिया था. अगर चीन ने रोक को यह विस्तार नहीं दिया होता तो अजहर खुद ब खुद ही संयुक्त राष्ट्र की ओर से एक आतंकी घोषित हो जाता. चीन की तकनीकी रोक की अवधि दो नवंबर को खत्म हो रही है.