भारत ने तालिबान से औपचारिक बातचीत शुरू कर दी है. मंगलवार तड़के तक अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान से पूरी तरह वापसी हो चुकी है और भारत ने उसके बाद ही तालिबान से आधिकारिक स्तर पर बातचीत शुरू कर दी. भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया है कि कतर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल की मंगलवार को दोहा में तालिबान के नेताओं से मुलाकात हुई है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंटन ने कहा है अमेरिका कतर की राजधानी दोहा से ही अफगानिस्तान के मामलों को देखेगा और भारत भी अभी ऐसा ही करता दिख रहा है.
दोहा में भारतीय दूतावास में हुई मुलाकात
भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है, "मंगलवार को भारतीय राजदूत दीपक मित्तल ने कतर की राजधानी दोहा स्थित तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई से मुलाकात की. ये मुलाकात तालिबान के अनुरोध पर दोहा स्थित भारतीय दूतावास में हुई."
बयान के मुताबिक, इस मुलाकात में सुरक्षा और अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों की जल्द वापसी को लेकर बातचीत हुई. अफगान नागरिकों, खासकर अल्पसंख्यक जो भारत आना चाहते हैं, उनका मुद्दा भी बैठक में उठा.
Press Release on the Meeting in Doha.
— Arindam Bagchi (@MEAIndia) August 31, 2021
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आतंकवाद को लेकर भारत ने जाहिर की चिंता
भारतीय राजदूत मित्तल ने भारत की चिंता को भी तालिबान के सामने रखा. भारत ने कहा कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों और किसी भी रूप में आतंकवाद के लिए नहीं होना चाहिए. तालिबान के प्रतिनिधि ने भी भारतीय राजदूत को आश्वस्त किया कि भारत की सभी चिंताओं पर ध्यान दिया जाएगा.
तालिबान और भारत के संबंध कैसे होंगे, इसे लेकर कयासों का बाजार गर्म है. लेकिन दोनों पक्षों के हालिया बयानों से कुछ चीजें स्पष्ट हो रही हैं. तालिबान के बयान भी भारत को लेकर बहुत आक्रामक नहीं है और भारत ने भी तालिबान को सीधे निशाने पर नहीं लिया है. तालिबान के बयानों को देखें तो ऐसा लगता है कि 1996 से 2001 के बीच का जो तालिबान था, वो 2021 में नई लाइन लेता दिख रहा है.
तालिबान के प्रमुख नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई ने हाल ही में भारत को इलाके का अहम देश बताया था और कहा था कि तालिबान भारत के साथ अच्छे रिश्ते चाहता है. स्टेनकजई ने कहा कि हम भारत के साथ व्यापारिक, आर्थिक और राजनीतिक रिश्ते बरकरार रखना चाहते हैं.