भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने थाईलैंड दौरे के दौरान गुरुवार को भारत और चीन के मौजूदा संबंधों से लेकर रूस से कच्चा तेल खरीदने के मामले पर एक बार फिर रुख स्पष्ट किया. उन्होंने थाईलैंड की एक यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में पड़ोसी देश म्यांमार के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों का भी बचाव किया.
विदेश मंत्री ने कहा कि म्यांमार को लेकर भारत का रुख कई दशकों से एक समान बना हुआ है. हमारे संबंध ऐसे नहीं हैं, जिन्हें आज की राजनीति से जज किया जा सके. भारत, म्यांमार का निकट पड़ोसी है और उसकी समझ और हित दूरस्थ देशों से बहुत अलग हैं.
अमेरिका पर कटाक्ष
जयशंकर ने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहा कि मैं दूर बैठे लोगों की तुलना में ऐसे लोगों पर विश्वास करता हूं, जो पास होते हैं क्योंकि दूर के लोग कभी भी पल्ला झाड़ सकते हैं. हमने अफगानिस्तान में यह देखा है. जब आप निकट पड़ोसी होते हैं तो दूर बैठे लोगों की तुलना में आपकी समझ और हित बहुत अलग हो जाते हैं.
EAM Jaishankar: I trust people closer to the problem than people far way, bcz people far way have a tendency to walk way when they feel like, we saw that in Afghanistan pic.twitter.com/XrE8vPYFMq
जयशंकर ने कहा कि भारत और म्यांमार के बीच सटी सीमा की वजह से दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत हुए हैं.
उन्होंने कहा, हमारी सीमाएं लगती हैं. सीमा पर होने वाले अपराधों का असर हम पर भी पड़ता है. हमारे यहां शरणार्थी मुद्दे हैं, जो तभी होते हैं जब आपकी जमीनी सीमा किसी पड़ोसी से सटी हुई हो. जब आप पड़ोसी नहीं होते हो तो इस तरह की समस्याएं नहीं होती.
जयशंकर ने कहा कि म्यांमार की सैन्य सरकार को लेकर हमारा रुख स्पष्ट है लेकिन पड़ोसी होने के नाते म्यांमार के साथ हमारे संबंधों को देखना होगा.
भारत, चीन के एकजुट होने पर ही एशियाई सदी संभव
विदेश मंत्री जयशंकर ने एशिया की सदी (Asian century) की संभावना पर भी अपना रुख स्पष्ट किया. उन्होंने कहा कि भारत और चीन के एक साथ आने पर ही एशिया की सदी का सपना साकार हो सकेगा. लेकिन अगर भारत और चीन एक साथ नहीं आए तो यह संभव नहीं हो पाएगा.
हालांकि, उन्होंने कहा, चीन ने सीमा पर जो किया, उसके बाद दोनों देशों के संबंध बहुत ही मुश्किल भरे दौर से गुजर रहे हैं.
बता दें कि 15 जून 2020 को चीनी सैनिक गलवान घाटी में भारतीय सीमा में घुस आई थी, जिसके बाद भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी.
रूस का तेल खरीदने वाला भारत इकलौता देश नहीं
विदेश मंत्री जयशंकर ने रूस से तेल आयात करने के भारत के कदम पर एक बार फिर कहा, इस फैसले के कई मापदंड हैं. हम अकेले देश नहीं है, जो रूस से तेल आयात कर रहे हैं. तेल पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं है. भारत कम आय वाला समाज है और तेल की कीमत में प्रति डॉलर बढ़ने पर उसका भुगतान भारतीय अपनी बचत से करते हैं.
विदेश मंत्री ने इस दौरान रोहिंग्या मामले पर भी रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत ने बांग्लादेश से इस मामले पर चर्चा की है.
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