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डॉक्युमेंट्री पर बैन लगाने के लिए भारत सरकार को सिर शर्म से झुका लेना चाहिए: उडविन

ब्रिटिश फिल्मकार लेस्ली उडविन का कहना है कि भारत सरकार को उनकी डॉक्युमेंट्री फिल्म 'इंडियाज डॉटर' पर प्रतिबंध लगाने के लिए शर्म से अपना सिर झुका लेना चाहिए.

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लेस्ली उडविन
लेस्ली उडविन

ब्रिटिश फिल्मकार लेस्ली उडविन का कहना है कि भारत सरकार को उनकी डॉक्युमेंट्री फिल्म 'इंडियाज डॉटर' पर प्रतिबंध लगाने के लिए शर्म से अपना सिर झुका लेना चाहिए. निर्भया के दोस्त का दावा, झूठी कहानी है 'इंडियाज डॉटर'

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भारत सरकार ने उडविन की डॉक्युमेंट्री फिल्म 'इंडियाज डॉटर' पर प्रतिबंध लगाया है, जो 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में एक 23 साल की युवती के साथ हुए गैंगरेप और मारपीट की बर्बर वारदात पर आधारित है.

उडविन ने अपनी फिल्म में दुष्कर्म के एक सजायाफ्ता दोषी मुकेश सिंह के इंटरव्यू को भी शामिल किया है. घटना को लेकर मुकेश की टिप्पणियों ने लोगों में रोष पैदा कर दिया है.

उडविन ने समाचार पत्र 'लॉस एंजेलिस टाइम्स' को बताया, 'भारत के गृहमंत्री ने प्रदर्शनकारियों पर आरोप लगाया, जबकि वे गांधीवादी सिद्धांत पर, शांतिपूर्ण और उचित तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे. असल परेशानी तब शुरू हुई, जब प्रदर्शनकारियों पर पुलिस बल का प्रयोग किया गया.'

उडविन ने सोमवार को अपनी डॉक्युमेंट्री फिल्म के अमेरिकी प्रीमियर से पहले एक साक्षात्कार में कहा, 'भारत सरकार को फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के लिए शर्म से सिर झुका लेना चाहिए.' उडविन ने भारतीय मीडिया द्वारा लगाए गए आरोपों का भी खंडन किया है, जिनमें कहा गया था कि मुकेश को उसकी मर्जी के बिना लिए गए साक्षात्कार के बदले रकम दी गई थी.

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हॉलीवुड अभिनेत्री मेरिल स्ट्रीप, फ्रीडा पिंटो, डकोटा फैनिंग और गायक क्रिस मार्टिन जैसी हस्तियां महिला अधिकारों के लिए काम करने वाले समूह वाइटल वॉइसेज और प्लान इंटनेशनल द्वारा मैनहट्टन के ब्रूस कॉलेज में आयोजित उडविन के डॉक्यूमेंटरी फिल्म के प्रीमियर में शामिल हुईं.

स्ट्रीप ने फिल्म का प्रदर्शन शुरू होने से पहले दुष्कर्म और हिंसा पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के लिए दीप जलाया और दर्शकों से अपील की. उन्होंने कहा, 'हम यहां उस चीज से संघर्ष करने के लिए जमा हुए हैं, जो दुष्कर्म से कहीं ज्यादा है. हिंसा से बुरी चीज क्या हो सकती है? महिलाओं के प्रति द्वेष की भावना के कारण हिंसा की घटनाएं होती हैं.'

अभिनेत्री पिंटो ने फिल्म की स्क्रीनिंग से पहले साक्षात्कार में 'टाइम्स' को बताया कि वह इसे एक सार्वभौमिक घटना के रूप में देखती हैं. उन्होंने कहा, 'यह कुछ ऐसा है, जिससे मैं खुद को जुड़ा महसूस करती हूं, क्योंकि यह सिर्फ भारत में हुई उस घटना के बारे में नहीं है.'

पिंटो ने फिल्म की स्क्रीनिंग के बाद अपने भाषण में भारत में हुई सामूहिक दुष्कर्म की घटना पर पश्चिमी समाज के रवैये की भी आलोचना की. उन्होंने अपने भाषण के अंत में लोगों से कहा, 'अपनी आंखें बंद करें और रोशनी में खुद को डूबने दें, वह रोशनी जो 'ज्योति' थी.'

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फिल्म स्क्रीनिंग के बाद उडविन भी महिला अधिकारों पर चर्चा में भाग लेने के लिए मंच पर आईं. उन्होंने कहा, 'इस बीमारी का नाम दुष्कर्म नहीं है और न ही यह बीमारी मानव तस्करी है. यह बीमारी लैंगिक असमानता की है.'

- इनपुट IANS

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