यमन मे जारी हिंसा के बीच राहत और बचाव कार्य के लिए गई इंडियन नेवी को अलकायदा की हरकतों के चलते ऐन वक्त पर प्लान बदलना पड़ा. हालांकि सेना के तीनों जहाज ऑपरेशन खत्म करके वापस आ गए हैं. नेवी के तीन जहाजों आईएनएस मुंबई, तरकश और सुमित्रा ने यमन में फंसे करीब 3000 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला.
बचाव अभियान 'राहत' के तहत यमन गए आईएनएस मुंबई ने कड़ी चुनौतियों का सामना करते हुए कुल 203 लोगों को बाहर निकाला इनमें से 182 भारतीय थे. यह जगह अलकायदा के बेस कैंप मुकल्ला से 46 किमी. दूर थी.
अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, आईएनएस तरकश के कुछ सदस्य, मुक्त कराए गए लोगों को कोच्चि पोर्ट लेकर आए इस दौरान कुछ सैनिक जहाज में सवार 70 फीसदी बांग्लादेशियों पर लगातार नजर बनाए रखे थे. 15 अप्रैल को यमन से चला तरकश 18 अप्रैल को मुंबई वापस लौटा.
'हमलों के चलते बदला प्लान'
आईएनएस मुंबई 16 अप्रैल को मुंबई वापस लौटा जबकि आईएनएस सुमित्रा को गल्फ ऑफ एडेन भेजा गया है. इंडियन डिफेंस के प्रवक्ता ने कहा कि यह पूरा अभियान बेहद सतर्कता और रणनीति के साथ चलाया गया ताकि किसी की जान न जाए.
उन्होंने कहा कि सुमित्रा के जरिए पहले विदेशी और भारतीय नागरिकों को मुकल्ला पोर्ट से सुरक्षित निकाले जाने का प्लान था लेकिन अलकायदा आतंकियों के हमले के चलते प्लान बदलना पड़ा. इसके बाद सुमित्रा ने अश-शिहर पोर्ट का रुख किया और लोगों को बाहर निकाला. इस जहाज ने 1621 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला इनमें 30 देशों के 705 विदेशी नागरिक थे.