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20वीं सदी दुनियाभर के लिए काफी उथल-पुथल भरी रही थी. पहला विश्व युद्ध हुआ. फिर स्पैनिश फ्लू जैसी खतरनाक बीमारी आई. अमेरिका-यूरोप से लेकर एशिया-अफ्रीका तक सबकुछ तेजी से बदल रहा था. भारत में आजादी की लड़ाई चल रही थी. फिर दूसरा विश्व युद्ध हुआ. उसके बाद भारत आजाद हुआ. आजादी के बाद बंटवारे ने फिर से अस्थिरता का माहौल बना दिया.
इसके बाद 1950 और 1960 का दशक ऐसा भी आया, जब तेजी से पलायन हुआ. सैकड़ों-हजारों की संख्या में भारतीयों ने पलायन किया. ये वो भारतीय थे, जो काम की तलाश में अपना देश छोड़कर जा रहे थे. इनमें से कई सारे भारतीय ऐसे भी थे जो ब्रिटेन की कपड़ा मिलों में काम करने गए थे. भारतीय मूल के कुछ लोग अफ्रीका से आकर ब्रिटेन में बस गए थे.
इसे प्रीति पटेल और ऋषि सुनक जैसे दिग्गजों के उदाहरण से समझ सकते हैं. प्रीति पटेल ब्रिटेन की गृह मंत्री हैं. उनके दादा गुजरात के रहने वाले थे. वो पहले युगांडा गए और फिर 60 के दशक में यूके के हर्टफोर्डशायर शहर में आकर बस गए. यहां अपना काम शुरू किया. प्रीति पटेल के पिता एक कदम और आगे बढ़े और राजनीति में आ गए. बाद में प्रीति उनसे भी आगे बढ़ीं और गृह मंत्री बन गईं.
ऐसी ही कहानी ऋषि सुनक की भी है. उनके दादा पंजाब के रहने वाले थे. वो पहले पूर्वी अफ्रीका गए और 60 के दौर में ब्रिटेन आ गए. ऋषि सुनक के पिता डॉक्टर थे और उनकी मां फार्मेसी की दुकान चलाती थीं. ऋषि सुनक ने एमबीए की पढ़ाई की और फिर नौकरी करने लगे. बाद में नौकरी छोड़कर राजनीति में आ गए. 2019 में ऋषि ब्रिटेन के वित्त मंत्री बन गए और अब वो प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में सबसे आगे हैं. इसके बाद विदेशी धरती पर भारतीय मूल के लोगों की फिर से चर्चा शुरू हो गई है.
ब्रिटेन में चाहे बात कारोबार की हो या राजनीति की, हर क्षेत्र में भारतवंशी आगे हैं. ब्रिटेन की संसद के ऊपरी सदन हाउस ऑफ लॉर्ड्स में 25 और निचले सदन हाउस ऑफ कॉमन्स में 15 भारतवंशी सांसद हैं.
यूके में 2011 में जनगणना हुई थी. उसके मुताबिक, यहां 14.13 लाख भारतवंशी हैं, जो वहां की कुल आबादी का 2.5% है. हालांकि, अब यहां भारतीय मूल के लोगों की आबादी 17 लाख के करीब होने का अनुमान है. ये ब्रिटेन में सबसे बड़ा जातीय समुदाय है. इसके अलावा ब्रिटेन में साढ़े तीन लाख से ज्यादा NRI भी रहते हैं. NRI वो होते हैं जो विदेश में एक साल में 183 दिन या उससे ज्यादा समय तक रहते हैं.
यूके की जनगणना के मुताबिक, लंदन में करीब साढ़े 5 लाख आबादी भारतीय मूल के लोगों की है. यहां की कुल आबादी में 7% भारतवंशी हैं.
गोरों से कई मायने में आगे हैं भारतवंशी!
1. उम्र में: यूके में रहने वाले 33.4% भारतवंशियों की उम्र 18 से 34 साल है, जबकि 20.3% गोरे लोग ही इस उम्र के हैं. इतना ही नहीं, 12% भारतवंशी ही 60 साल से ज्यादा उम्र के हैं, लेकिन तकरीबन 26% गोरों की उम्र 60 साल से ऊपर है.
2. पढ़ाई में: 2017-18 के आंकड़ों के मुताबिक, इंग्लैंड में रहने वाले 76% भारतवंशी ऐसे थे, जिन्होंने प्राइमरी एजुकेशन हासिल की थी, जबकि ऐसे 65% गोरे ही थे. इतना ही नहीं, 15% से ज्यादा भारतवंशी ऐसे थे, जिन्हें 3 सब्जेक्ट में ग्रेड A मिला था. वहीं, 11% गोरे ही 3 सब्जेक्ट में ग्रेड A ले सके थे.
3. कमाई में: ग्रेजुएट होने के 5 साल बाद 86% से ज्यादा भारतवंशियों और अंग्रेजों को रोजगार मिल जाता है. लेकिन कमाई के मामले में भारतवंशी गोरों से आगे है. 2016-17 में एक भारतवंशी की सालाना औसतन कमाई 28,500 पाउंड (आज के हिसाब से करीब 27.32 लाख रुपये) और अंग्रेज की 26,100 पाउंड थी.
4. घर खरीदने में: 2017-18 में इंग्लैंड में रहने वाले 74% भारतवंशी ऐसे थे, जिनके पास अपना खुद का घर था. वहीं, 68% अंग्रेज ही खुद के घर में रहते थे.
5. मेंटल हेल्थ में: इंग्लैंड में रहने वाले भारतवंशियों की मेंटल हेल्थ अंग्रेजों की तुलना में ज्यादा बेहतर होती है. 2017-18 के आंकड़ों के मुताबिक, हर 1 लाख भारतवंशियों में 55.7 लोगों का मानसिक इलाज किया गया था, जबकि हर एक लाख अंग्रेजों में से 69 लोगों ने अपना इलाज करवाया था.
ब्रिटेन की GDP में भारतवंशियों की 6% की हिस्सेदारी
- ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय मूल के लोग वहां की अर्थव्यवस्था में भी बड़ा योगदान देते हैं. भारतीय उच्चायोग के मुताबिक, ब्रिटेन में रहने वाले भारतवंशी वहां की अर्थव्यवस्था में 6 फीसदी योगदान देते हैं. ब्रिटेन में भारतीय कंपनियों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है.
- grantthornton की रिपोर्ट के मुताबिक, यूके में अभी करीब 900 भारतीय कंपनियां हैं. 2021 में इनकी संख्या 850 थी. मार्च 2022 तक इन भारतीय कंपनियों का कंबाइंड रेवेन्यू 54.4 अरब पाउंड (करीब 5.21 लाख करोड़ रुपये) था. जबकि, मार्च 2021 तक 50.8 अरब पाउंड (4.87 लाख करोड़ रुपये) था.
- मार्च 2022 में भारतीय कंपनियों ने 30.46 करोड़ पाउंड यानी करीब 3 हजार करोड़ रुपये का कॉर्पोरेशन टैक्स जमा किया था. हालांकि, 2021 की तुलना में ये 34% कम है. 2021 में 45.92 करोड़ पाउंड का टैक्स भरा था.
- यूके में काम करने वालीं भारतीय कंपनियां बड़ी संख्या में रोजगार भी देती हैं. मार्च 2022 तक भारतीय कंपनियों में काम करने वालों की संख्या 1.41 लाख थी, जबकि 2021 तक 1.16 लाख इनमें काम करते थे.