भारतीय मूल के एक युवक को यहां की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई है. उस पर एक नन्हीं बच्ची सान्वी वन्ना और उसकी 61 वर्षीय दादी सत्यार्थी वन्ना की नृशंस हत्या का आरोप है. वे दोनों हत्यारे के दोस्त के परिजन थे और भारतीय थे.
27 वर्षीय रघुनंदन यांदमुरी ने 2012 में अपने पारिवारिक दोस्त वेंकट कोंडा शिव वन्ना के यहां घुसकर बच्ची का अपहरण करना चाहा. उसकी योजना थी कि उस बच्चे का अपहरण करके उसके सॉफ्टवेयर इंजिनियर मां-बाप से 50,000 डॉलर ऐंठे जा सकें. लेकिन उसके घर में घुसने पर वहां बच्ची की दादी ने कड़ा प्रतिरोध किया. इससे गुस्से में आकर रघुनंदन ने रसोई में काम आने वाले चाकू से उन्हें मार डाला. जब बच्ची चिल्लाने लगी तो रघुनंदन ने उसका मुंह रुमाल से ढंक दिया. बाद में उसने बच्ची के माथे पर टॉवेल लपेट कर उसे एक सूटकेस में बंद कर आया. दम घुटने से बच्ची की मौत हो गई.
अभियोजन पक्ष ने अदालत में कहा कि रघुनंदन को जुए की लत थी और उसे हमेशा पैसे चाहिए होते थे. इसलिए उसने ऐसा षडयंत्र रचा. अदालत में उसने कहा कि उसे दलील और गवाहों के बयान सुनने का कोई शौक नहीं है. उसे सीधे सजा-ए-मौत दे दी जाए. लेकिन बाद में उसने अपने वकील के कहने पर सुनवाई में हिस्सा लिया. मंगलवार को अदालत ने उसे दोषी करार दिया और सजा-ए-मौत दे दी.
अमेरिका में हर राज्य में मौत की सजा देने के लिए अपने कानून हैं, लेकिन मुख्य रूप से वहां बिजली की कुर्सी पर बिठाकर या जहर का इंजेक्शन देकर अपराधी को मौत की नींद सुला दिया जाता है.