भारतीय महिलाओं के हौसले को अमेरिका ने भी सलाम किया है. तेजाब हमले की पीड़िता और ऐसे हमलों के खिलाफ आंदोलन की अगुवा रही लक्ष्मी को अमेरिका में प्रतिष्ठित इंटरनेशनल वुमन ऑफ करेज अवार्ड से नवाजा गया है. अमेरिका की प्रथम महिला मिशेल ओबामा ने इस पुरस्कार के लिए चुनी गई सभी दस महिलाओं को सम्मानित किया.
बुधवार को विजेताओं को सम्मानित करते हुए मिशेल ने कहा कि सभी विजेताएं दुनियाभर की महिलाओं के लिए प्रेरणा की स्रोत हैं. उन्होंने आगे कहा, 'जब हम बदलाव के लिए इन महिलाओं को अपनी आवाज उठाते हुए, अपना पैर बढ़ाते हुए और दूसरों को सशक्त करते हुए देखते हैं तो हमें यह एहसास करने की जरूरत है कि हम में से हरेक के पास वही ताकत और वही जिम्मेदारी है.' समारोह का अयोजन वाशिंगटन में विदेश विभाग में किया गया था. लक्ष्मी ने कार्यक्रम में अपनी एक कविता भी पढकर सुनाई, जो इस प्रकार है:
आपने तेज़ाब मेरे चेहरे पर नहीं, मेरे सपनों पर डाला था,
आपके दिल में प्यार नहीं, तेज़ाब हुआ करता था,
आप मुझे प्यार की नज़र से नहीं, तेज़ाब की नज़र से देखते थे,
मुझे दुःख है, इस बात का कि आपका नाम मेरे तेजाबी चेहरे से जुड़ गया है,
वक़्त इस दर्द को कभी मरहम नहीं लगा पाएगा,
हर ऑपरेशन में मुझे तेज़ाब की याद दिलाएगा,
जब आपको यह पता चलेगा कि जिस चेहरे को,
आपने तेज़ाब से जलाया, अब मुझे उस चेहरे से प्यार है,
जब आपको यह बात मालूम पड़ेगी, वो वक़्त आपको कितना सताएगा,
जब आपको यह बात मालूम पड़ेगी कि आज भी मैं जिन्दा हूं
अपने सपनों को साकार कर रही हूं
गौरतलब है कि लक्ष्मी जब 16 वर्ष की थी तभी उसके एक परिचित ने उसके चेहरे पर तेजाब फेंक दिया था. घटना के समय वह नई दिल्ली के व्यस्त खान मार्केट में बस स्टॉप पर बस का इंतजार कर रही थी. पिछले साल यह पुरस्कार दिसंबर 2012 में दिल्ली की चलती बस में गैंग का शिकार हुई 'निर्भया' ज्योति को दिया गया था.