scorecardresearch
 

75 साल बाद पाकिस्तान में किस हाल में मिला पुश्तैनी घर? प्रेम निवास पहुंचते ही रो पड़ीं रीना छिब्बर

भारत, पाकिस्तान बंटवारे के बाद रावलपिंडी का अपना घर छोड़कर हिंदुस्तान जाकर बस गईं रीना का सपना आखिरकार 75 साल बाद पूरा हो गया. वह आज रावलपिंडी के अपने घर पहुंचीं और बचपन की यादों में खो गईं. उन्होंने बालकनी में खड़े होकर वही गाना गाया, जो वह यहां बचपन में खड़े होकर गाया करती थीं.

Advertisement
X
रावलपिंडी के अपने पुश्तैनी घर में रीना छिब्बर वर्मा (Photo: twitter)
रावलपिंडी के अपने पुश्तैनी घर में रीना छिब्बर वर्मा (Photo: twitter)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 75 साल बाद रावलपिंडी के अपने घर पहुंचीं रीना छिब्बर वर्मा
  • बालकनी में खड़े होकर बचपन का गाना गाया

साल 1947 में भारत, पाकिस्तान के बंटवारे में करोड़ों लोग दो मुल्कों की सरहदों में कैद हो गए. इस बंटवारे की टीस आज भी लाखों लोगों के दिलों में उठती है. इन्हीं में से एक हैं भारत की रीना छिब्बर वर्मा. बंटवारे के बाद रावलपिंडी का अपना घर छोड़कर हिंदुस्तान जाकर बस गईं रीना का सपना आखिरकार 75 साल बाद पूरा हो गया. 

Advertisement

90 साल की रीना छिब्बर बुधवार को रावलपिंडी की प्रेम गली के अपने बचपन के घर प्रेम निवास पहुंचीं. इस दौरान वहां के लोगों ने रीना का दिल खोलकर स्वागत किया. ढोल-नगाड़ों के बीच पूरे जश्न का माहौल रहा. मीडिया का एक पूरा जमावड़ा उनके पुश्तैनी घर के बाहर खड़ा था. हर कोई उनकी एक झलक देखने को बेताब था. 

बचपन में अपने घर की जिस गली में वह खेला करती थी. उस गली में पहुंचते ही रीना ने कहा, मेरा सपना आखिरकार सच हो गया.

वह रावलपिंडी के अपने घर को देखकर यादों में खो गईं. उन्होंने घर के हर कमरे में जाकर उन दीवारों को निहारा, जो वे 75 साल पहले छोड़ गई थीं. पहली मंजिल की बालकनी में पहुंचकर रीना छिब्बर काफी भावुक हो गईं. 

उन्होंने अपनी यादों को गाने की सूरत में ताजा किया. उन्होंने बालकनी में खड़े होकर वही गाना गाया, जो वह बचपन में इसी बालकनी में खड़े होकर गुनगुनाती थीं.

Advertisement

रीना ने कहा, मैं रोजाना इसी बालकनी में खड़े होकर ये गाना गाती थी. गाने का एक ही मुखड़ा मुझे याद है. मैंने इस गाने को बहुत सर्च भी किया लेकिन मुझे कहीं नहीं मिला. वह गाना गाते हुए भावुक हो गईं और उस दौर को याद कर रोने लगीं.

रीना ने घर के एक हिस्से की ओर इशारा कर बताया कि यहां पर गायक केएल सहगल और उस दौर की अभिनेत्री सविता की साइन की हुई तस्वीर हुआ करती थी. 

बता दें कि महज 15 साल की रीना अपने परिवार के साथ मई से जुलाई 1947 में भारत पहुंची थीं. उस समय सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे. पाकिस्तान के रावलपिंडी के अपने घर से 75 सालों से जुदा रही रीना कहती हैं, मैं अपने पुश्तैनी घर, मेरे पड़ोस और पिंडी की गलियों की यादें कभी नहीं मिटा पाई.

फेसबुक पर इंडिया-पाकिस्तान हेरिटेज क्लब (India Pakistan Heritage Club) की मुहिम से रीना छिब्बर वर्मा आखिरकार अपनी जन्मभूमि पाकिस्तान पहुंची हैं. वह इससे पहले दो बार पाकिस्तान जाने की कोशिश कर चुकी थीं.

वह कहती हैं, पाकिस्तान आकर लगता है, जैसे मैं अपने घर आ गई हूं. मैंने पहली बार 1965 में पाकिस्तान आने की कोशिश की थी, उस समय मुझे मंजूरी मिल गई थी लेकिन जिन दोस्तों के साथ आना था. उन्हें मंजूरी नहीं मिल पाई. इस तरह मैं नहीं आ सकी. मैं उस समय अविवाहित थी. घर वाले अकेले नहीं भेज सकते थे. 

Advertisement

मौजूदा समय में रीना पुणे में रहती हैं. रीना के इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनने के लिए अब उनके माता-पिता और भाई बहन नहीं हैं. उनका इंतकाल हो चुका है. रीना के लिए ये पल किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है.

सोशल मीडिया पर काफी लोगों ने रीना के इस पल से जुड़ाव महसूस किया. अमजद खान नाम के सोशल मीडिया यूजर ने कहा, भावुक दृश्य. खुशी के आंसू. 

मनु जे. सिंह ने कहा, रीना मां जी, हमें आप पर नाज है. मोहब्बत जिंदाबाद. 

कुछ लोगों ने रीना के इस सपने को साकार करने के लिए इंडिया-पाकिस्तान हेरिटेज क्लब का भी आभार जताया. एक शख्स ने कहा कि यह देखकर अच्छा लगा कि घर के मौजूदा मालिक इसकी अच्छी देखभाल कर रहे हैं. 

अविनाश कुमार ने कहा, कई देशों के लोग इस पल का गवाह बनने का इंतजार कर रहे थे. इस तरह के नेक काम को जारी रखें. 

ये भी पढ़ें

Advertisement
Advertisement