रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच रूस भारत से नाराज हो गया है क्योंकि भारत के हथियार निर्माता जो हथियार यूरोप को बेच रहे हैं, वो यूरोप के जरिए यूक्रेन पहुंच रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, रूस इसका कई बार विरोध कर चुका है लेकिन भारत ने इस तरह के व्यापार को रोकने के लिए किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने भारतीय और यूरोपीय सरकार, रक्षा उद्योग के अधिकारियों से बातचीत के आधार पर तैयार की गई अपनी रिपोर्ट में ये बातें कही हैं.
भारत ने रिपोर्ट को भ्रामक बताया
Reuters की इस रिपोर्ट पर भारत की तरफ से विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल का बयान आया है. उन्होंने कहा, 'Reuters की रिपोर्ट अटकलों पर आधारित और भ्रामक है. रिपोर्ट का कहना है कि भारत ने उल्लंघन किया है. जबकि ऐसा कुछ नहीं है. इसलिए यह रिपोर्ट गलत है. सैन्य और ड्युल यूज आइटम के निर्यात पर अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों के अनुपालन का भारत का रिकॉर्ड बेदाग रहा है. भारत अपने रक्षा निर्यातों को परमाणु अप्रसार संबंधी अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों को ध्यान में रखते हुए और नियामक ढांचे के आधार पर कर रहा है.'
बता दें कि रिपोर्ट में एजेंसी ने अधिकारियों से बात करने के साथ-साथ सीमा शुल्क डेटा के विश्लेषण की बात भी कही है. सूत्रों और सीमा शुल्क डेटा के अनुसार, रूस के खिलाफ यूक्रेन के डिफेंस सिस्टम का समर्थन करने के लिए हथियारों का हस्तांतरण एक साल से अधिक समय से हो रहा है.
तीन भारतीय अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया कि रूस ने कम से कम दो मौकों पर इस मुद्दे को उठाया है. जुलाई के महीने में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इस मुद्दे को विदेश मंत्री एस. जयशंकर के समक्ष उठाया था.
विदेश मंत्रालय ने यूक्रेन तक हथियार पहुंचने पर क्या कहा था?
जनवरी में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल से भारतीय हथियारों के यूक्रेन तक पहुंचने के बारे में सवाल किया गया था. जवाब में उन्होंने कहा था कि भारत ने यूक्रेन को तोप के गोले नहीं भेजे हैं और न ही बेचे हैं.
भारत सरकार के दो और रक्षा उद्योग के दो सूत्रों ने कि यूक्रेन जिन गोला-बारूदों का इस्तेमाल कर रहा है, उनमें से बहुत कम का उत्पादन भारत ने किया है. एक अधिकारी ने अनुमान लगाया कि फरवरी 2022 में रूस के साथ युद्ध शुरू होने के बाद से यूक्रेन ने जितने भी हथियार का आयात किया है, यह उसके 1% से भी कम है. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि ये गोला-बारूद यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को दान में दिया है या फिर बेचा है.
कौन देश यूक्रेन को भेज रहे भारत का हथियार?
एक स्पेनिश और एक वरिष्ठ भारतीय अधिकारी, साथ ही यंत्र इंडिया के एक पूर्व शीर्ष अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि यूक्रेन को भारतीय हथियार भेजने वाले यूरोपीय देशों में इटली और चेक गणराज्य भी शामिल हैं. यूरोपीय संघ के ये दो बड़े सदस्य देश हैं जो यूक्रेन को बड़ी मात्रा में हथियार भेज रहे हैं. यंत्र इंडिया एक सरकारी कंपनी है जिसके हथियारों का इस्तेमाल यूक्रेन में हो रहा है.
भारतीय अधिकारी ने कहा कि सरकार स्थिति पर नजर रख रही है. लेकिन, हथियार हस्तांतरण के बारे में सीधे जानकारी रखने वाले रक्षा उद्योग के एक अधिकारी की तरह ही उन्होंने कहा कि भारत ने हथियार आपूर्ति रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है.
'यूक्रेन युद्ध को अवसर के रूप में देख रहा भारत...'
रूस भारत का पारंपरिक मित्र रहा है और लंबे समय से हथियारों की सप्लाई करता आया है. भारत ने रूस-यूक्रेन संघर्ष को देखते हुए रूस पर लगे पश्चिमी प्रतिबंधों से खुद को दूर रखा है और रूस की आलोचना करने से भी बचता रहा है.
लेकिन आधिकारिक सोच से परिचित छह भारतीय सूत्रों ने रॉयटर्स से बताया कि भारत यूरोप में चल रहे युद्ध को अपने नए-नए पनप रहे हथियार निर्यात क्षेत्र को विकसित करने के अवसर के रूप में देख रहा है. अधिकारियों ने कहा कि हथियारों का बड़ा आयातक भारत निर्यातक बनने की दौड़ में है. थिंक-टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के जमा किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 2018 और 2023 के बीच लगभग 3 अरब डॉलर के हथियारों का निर्यात किया.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 30 अगस्त को एक सम्मेलन में कहा कि पिछले वित्त वर्ष में रक्षा निर्यात 2.5 अरब डॉलर को पार कर गया और भारत 2029 तक इसे लगभग 6 अरब डॉलर तक बढ़ाना चाहता है.
रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद बढ़ गया भारत का हथियार निर्यात
सीमा शुल्क रिकॉर्ड से पता चलता है कि रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले के दो सालों में, भारत के तीन प्रमुख गोला-बारूद निर्माता- यंत्र, म्यूनिशंस इंडिया और कल्याणी स्ट्रेटेजिक सिस्टम्स ने इटली, चेक गणराज्य, स्पेन और स्लोवेनिया को केवल 28 लाख डॉलर के गोला-बारूद का निर्यात किया. आंकड़ों से पता चलता है कि फरवरी 2022 और जुलाई 2024 के बीच यह आंकड़ा बढ़कर 13. 525 करोड़ डॉलर हो गया. इसमें युद्ध सामग्री भी शामिल है, जिसे भारत ने चार देशों को निर्यात करना शुरू कर दिया है.
स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में भारत के रक्षा विशेषज्ञ अरजान तारापोरे ने कहा कि हथियारों के निर्यात को बढ़ाने की भारत की कोशिश यूक्रेन को हथियार हस्तांतरित करने का एक प्रमुख कारण था. उन्होंने कहा, 'भारत के हथियारों के निर्यात में अचानक से उछाल आया है और हथियार का इस्तेमाल कौन कर रहा है, इसे लेकर भी उल्लंघन के मामले सामने आए हैं.
गुप्त तरीके से हो रही डिलीवरी
यंत्र के पूर्व शीर्ष अधिकारी ने बताया कि इटली की अनलिस्टेड डिफेंस कॉन्ट्रैक्टर कंपनी Meccanica per l'Elettronica e Servomeccanismi (MES) उन कंपनियों में शामिल है, जो यूक्रेन को भारत में बने गोले भेज रही हैं.
MES यंत्र का सबसे बड़ा विदेशी ग्राहक है. कार्यकारी ने बताया कि रोम स्थित यह कंपनी भारत से खाली कारतूस खरीदती है और उनमें विस्फोटक भरती है.
जयशंकर से मुलाकात में रूसी विदेश मंत्री ने क्या शिकायत की?
भारत अपने रक्षा इस्तेमाल का 60% से अधिक हथियार रूस से आयात करता है. जुलाई में, तीसरी बार प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पहले विदेश दौरे में रूस गए थे.
इस मुलाकात की प्रत्यक्ष जानकारी रखने वाले एक भारतीय अधिकारी ने बताया कि उसी महीने कजाकिस्तान में विदेश मंत्री जयशंकर और लावरोव के बीच बैठक हुई थी. इस बैठक में रूसी विदेश मंत्री ने यूक्रेन द्वारा भारतीय हथियारों के इस्तेमाल के बारे में पूछा था. उन्होंने शिकायत की थी कि यूक्रेन जिन हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है, उनमें से कुछ हथियार भारतीय कंपनियों ने बनाए हैं. जवाब में जयशंकर ने क्या कहा, इसकी जानकारी साझा नहीं की गई.
किंग्स कॉलेज लंदन के दक्षिण एशिया सुरक्षा विशेषज्ञ वाल्टर लैडविग का कहना है कि कम मात्रा में यूरोप के जरिए यूक्रेन तक गोला-बारूद पहुंचाना भारत के लिए फायदे का सौदा रहा.
उन्होंने कहा, 'इससे भारत को पश्चिमी देशों को यह दिखाने का मौका मिलता है कि वो रूस-यूक्रेन संघर्ष में 'रूस के पक्ष में' नहीं है.' उन्होंने यह भी कहा कि रूस का दिल्ली के फैसलों पर कोई प्रभाव नहीं होता है.