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लेक्चर नहीं दे पाया तो आर्टिकल में तब्दील कर दी स्पीच, NASA ने छापा इस भारतवंशी का लेख

अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA ने भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक डॉ. राहुल रामचंद्रन के एक आर्टिकल को अपनी वेबसाइट में जगह दी है. दिल्ली की जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद आगे की पढ़ाई करने के लिए अमेरिका चले गए थे.

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राहुल रामचंद्रन. (फोटो- नासा)
राहुल रामचंद्रन. (फोटो- नासा)

भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक ने बड़ा कीर्तिमान हासिल कर लिया है. उनका लिखा एक आर्टिकल अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA की वेबसाइट पर पब्लिश हुआ है. उन्होंने अर्थ साइसेंस के सामने आने वाली चुनौती को लेकर आर्टिकल लिखा था.

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भारतीय मूल के इस अमेरिकी वैज्ञानिक का नाम राहुल रामचंद्रन हैं. उनका लिखा आर्टिकल NASA की वेबसाइट Earth Data पर पब्लिश किया गया है. उनके इस आर्टिकल का टाइटल 'फ्रॉम पीटाबाइट्स टू इनसाइट्सः टैकलिंग अर्थ साइसेंस स्केलिंग प्रॉब्लम' था. 

अपने इस आर्टिकल में रामचंद्रन ने बढ़ते डेटा वॉल्यूम के कारण अर्थ साइंसेस में स्केलिंग की चुनौती के बारे में बताया है. इस लेख में उन्होंने बताया है कि कैसे इन्फोर्मेटिक्स में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इंटीग्रेशन कर इस चुनौती से निपटा जा सकता है.

राहुल रामचंद्रन के जिस आर्टिकल को NASA ने छापा है, असल में वो उन्हें अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन (AGU) के सालाना ग्रेग लेप्टोख लेक्चर में बोलना था. लेकिन परिवार में मेडिकल इमरजेंसी आने के चलते वो इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके. इसके बाद उन्होंने अपने भाषण को आर्टिकल में तब्दील कर दिया, जिसे NASA की वेबसाइट में पब्लिश किया गया.

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डॉ. रामचंद्रन का कहना है कि उन्हें शुरुआती करियर में ग्रेग लेप्टोख के साथ काम करने का मौका मिला था. इस दौरान उन्होंने सिमेंटिक मेटाडेटा के मूल्य पर हमारी चर्चा हुई थी.

डॉ. राहुल रामचंद्रन NASA में सीनियर रिसर्च साइंटिस्ट हैं. वो अर्थ साइंस इन्फोर्मेटिक्स और डेटा साइंस पर रिसर्च करते हैं. अब तक उनके सैकड़ों रिसर्च पेपर पब्लिश हो चुके हैं. 

साल 1991 में दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए. साल 2002 में उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ अलबामा से पीएचडी की डिग्री ली. इसके बाद लगभग 10 साल तक उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ अलबामा में ही रिसर्च साइंटिस्ट के रूप में काम किया. 

इसके बाद साल 2013 में रामचंद्रन NASA के साथ जुड़े. यहां वो पांच साल तक DAAC मैनेजर रहे. 2018 में उन्हें प्रमोट कर प्रोजेक्ट मैनेजर बनाया गया. 

साल 2009 में उन्होंने प्रेसिडेंशियल अर्ली करियर अवॉर्ड फॉर साइंटिस्ट एंड इंजीनियर्स (PECASE) से सम्मानित किया गया था. इसके बाद 2018 में उन्हें NASA के एक्सेप्शनल अचीवमेंट मेडल से भी नवाजा गया.

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