व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईपीए) के बावजूद भारत को जापान में विभिन्न क्षेत्रों में बाजार पहुंच की समस्या का सामना करना पड़ रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की यात्रा के दौरान इन चिंताओं को उनके सामने रखा गया.
‘जापान-इंडिया बिजनेस लीडर्स फोरम’ के मसौदे के तहत जापान के उद्योगपतियों के साथ बैठक में भारत के प्रमुख उद्यमियों ने इन चिंताओं को रखा. बाद में मंच ने इस बारे में रिपोर्ट मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे को दी. साथ ही जापानी पक्ष ने ट्रांसफर प्राइसिंग नीति, कर व वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े मुद्दों को उठाया.
मंच के सह-अध्यक्ष और प्रमुख भारतीय उद्योगपति बाबा कल्याणी ने पीटीआई से कहा, ‘भारत ने जापान में बाजार पहुंच के मुद्दे को उठाया है.’ 2.5 अरब डॉलर के कल्याणी समूह के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक कल्याणी से जब उन क्षेत्रों के बारे में पूछा गया जहां जापान की बाजार में पहुंच को लेकर समस्या है, उन्होंने औषधि, आईटी और विनिर्माण उत्पादों को चिह्नित किया.
भारत जापान कारोबार दो अंतिम दोनों देशों के बीच व्यापार 2013-14 में 16.29 अरब डॉलर रहा जबकि व्यापार घाटा 3 अरब डॉलर है. भारतीय पक्ष इसे कम करने को लेकर गंभीर है. जापान के औषधि बाजार में भारत की हिस्सेदारी एक प्रतिशत से कम है. भारतीय औषधि कंपनियों को गैर-शुल्क बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार सीईपीए 2011 में हुआ और इससे जापान को ज्यादा फायदा है.
भविष्य में द्विपक्षीय आर्थिक संबंध मजबूत होने की संभावना व्यक्त करते हुए कल्याणी ने कहा कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से जापानी कंपनियां उत्साहित हैं क्योंकि उनका मानना है कि क्रियान्वयन में तेजी आएगी. जापानी उद्योगपतियों के साथ बातचीत के आधार पर अपनी राय बताते हुए उन्होंने कहा, ‘वे अब निवेश को लेकर ज्यादा आशावादी हैं.' मोदी 30 अगस्त से 3 सितंबर तक जापान की यात्रा पर थे.