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NSG में भारत की एंट्री को लेकर अमेरिका और चीन में ठनी, US ने फिर की समर्थन की अपील

परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के मसले पर अमेरिका और चीन आमने-सामने हो गए हैं.

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भारत की एनएसजी सदस्यता पर अमेरिका-चीन आमने सामने
भारत की एनएसजी सदस्यता पर अमेरिका-चीन आमने सामने

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परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के मसले पर अमेरिका और चीन आमने-सामने हो गए हैं. अमेरिका ने एनएसजी के सदस्य देशों से कहा कि वे सोल में शुरू होने वाली अपनी बैठक के दौरान भारत के आवदेन पर विचार करें और उसे समर्थन दें. वहीं, चीन ने सोमवार को ही कहा था कि सोल बैठक में भारत की एनएसजी सदस्यता बहस के एजेंडे में नहीं है.

अमेरिका ने दोहराया- भारत की वकालत करेंगे
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने कहा, ‘हमारा मानना है और यह कुछ समय से अमेरिका की नीति रही है कि भारत सदस्यता के लिए तैयार है. अमेरिका बैठक में भाग लेने वाली सरकारों से अपील करता है कि वे एनएसजी की पूर्ण बैठक में भारत के आवेदन को समर्थन दें.’

अर्नेस्ट ने कहा, ‘साथ ही, किसी भी आवेदक को समूह में शामिल करने के लिए भाग लेने वाली सरकारों को सर्वसम्मति से निर्णय पर पहुंचने की आवश्यकता होगी. अमेरिका भारत की सदस्यता की निश्चित रूप से वकालत करेगा.’ अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने प्रवक्ता जॉन किर्बी ने भी एक अन्य संवाददाता सम्मेलन में अर्नेस्ट की बात दोहराई.

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अर्नेस्ट का बयान ऐसे समय में आया है जब चीन ने कहा है कि भारतीय की सदस्यता का मामला एनएसजी की बैठक के एजेंडे में नहीं है. एनएसजी में भारत की सदस्यता का जहां अमेरिका और रूस समेत कई बड़े देश समर्थन कर रहे हैं, वहीं चीन ने इस राह में रोड़ा डालने की कोशि‍श की.

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, 'एनएसजी के सदस्य देश अभी भी इस मुद्दे पर एकमत नहीं हैं. ऐसे में आगामी बैठक के दौरान समूह में किसी नए देश की एंट्री पर बातचीत बचकानी बात होगी.' यह बैठक 24 जून को होने वाली है.

'सदस्यता को लेकर बंटे हुए हैं देश'
हुआ चुनयिंग ने कहा, 'हमने इस बात पर जोर दिया है कि एनएसजी गैर एनपीटी देशों के प्रवेश को लेकर अब भी बंटा हुआ है और मौजूदा परिस्थितियों में हम आशा करते हैं कि एनएसजी विचार-विमर्श पर आधारित फैसला करने के लिए विस्तृत चर्चा करेगा.' विदेश सचिव एस जयशंकर के 16-17 जून के चीन दौरे और सुषमा के बयान के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए हुआ ने कहा, '24 जून से सोल में होने जा रही एनएसजी की बैठक के एजेंडे में भारत को इस 48 सदस्यीय समूह में शामिल करने का मुद्दा शामिल नहीं है.'

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क्या है चीन की आपत्ति
एनएसजी परमाणु से संबंधित अहम मुद्दों को देखता है और इसके 48 सदस्यों को परमाणु प्रौद्योगिकी के व्यापार एवं उसके निर्यात की इजाजत होती है. एनएसजी सर्वसम्मति के सिद्धांत के तहत काम करता है और भारत के खिलाफ एक देश का भी वोट भारत की दावेदारी को नुकसान पहुंचा सकता है.

चीन एनएसजी में भारत की एंट्री का विरोध कर रहा है. उसका कहना है कि बिना परमाणु अप्रसार संधि‍ (एनपीटी) पर हस्ताक्षर किए किसी भी देश की इस समूह में एंट्री नहीं हो सकती. एनएसजी का गठन 1974 में इंडिया के पहले परमाणु परीक्षण के बाद हुआ था. इसका लक्ष्य था कि दुनिया में भर में परमाणु हथियारों के प्रसार को रोका जाए.

गौरतलब है‍ कि चीन और पाकिस्तान की लाख कोशि‍शों के बावजूद इससे पहले अमेरिका के राजनयिक दवाब में न्यूजीलैंड भारत को समर्थन के लिए राजी हो गया. ब्रिटेन ने भी भारत को समर्थन का भरोसा दिया है. अमेरिका ने एनएसजी में शामिल बाकी सदस्यों से भी इस विशिष्ट समूह में भारत की सदस्यता के लिए समर्थन करने का अनुरोध किया है.

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