तीन देशों की छह दिवसीय यात्रा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत लौट आए हैं. छह दिवसीय यात्रा के दौरान उन्होंने सबसे पहले जापान के हिराशिमा में आयोजित दुनिया की विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों के समूह G-7 के वार्षिक समिट में भाग लिया.
जी-7 समिट की समाप्ति के बाद पीएम मोदी जापान से सीधे पापुआ न्यू गिनी पहुंचे. यहां उन्होंने पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारापे के साथ भारत-प्रशांत द्वीप समूह सहयोग (FIPIC) शिखर सम्मेलन की सह अध्यक्षता की. जापान और पापुआ न्यू गिनी की यात्रा के बाद पीएम मोदी तीसरे चरण में ऑस्ट्रेलिया पहुंचे. यहां उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री अल्बानीज के साथ कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए.
इस छह दिवसीय यात्रा के दौरान पीएम मोदी दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से लेकर रूस से जंग लड़ रहे यूक्रेन के राष्ट्रपित जेलेंस्की से भी मुलाकात की. इसके अलावा, उन्होंने जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज से भी मुलाकात की. रूस-यूक्रेन युद्ध और उभरती वैश्विक चुनौतियों के बीच पीएम मोदी का यह दौरा काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा था. आइए जानते हैं कि तीन देशों की इस यात्रा से भारत को क्या हासिल हुआ.
चीन और अमेरिका के नेतृत्व वाले संगठनों में भारत की भूमिका
यूक्रेन में जारी रूसी कार्रवाई को लेकर पश्चिमी देशों की ओर से लगातार दबाव बनाया जा रहा है कि भारत रूस की निंदा करे. लेकिन भारत रूस की निंदा से करने परहेज करता है. जापान यात्रा के दौरान भी पीएम मोदी ने स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत कभी भी किसी सुरक्षा गठबंधन से नहीं जुड़ा. इसके बजाय भारत ने अपने हितों को ध्यान में रखते हुए दुनिया भर के एक जैसी विचारधारा वाले और सहयोगी देशों के साथ रिश्ते मजबूत किए हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि क्वाड देशों का फोकस जहां इंडो-पैसिफिक रीजन में एक मुक्त, खुले, समृद्ध और समावेशी विकास पर है. दूसरी ओर, एससीओ मध्य एशियाई रीजन के साथ भारत के जुड़ाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इन दोनों समूहों में हिस्सा लेना भारत के किसी भी तरह के विरोधाभास को नहीं दिखाता है.
पीएम मोदी का यह बयान इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि भारत, चीनी और रूसी नेतृत्व वाला समूह शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का सदस्य है. दूसरी ओर अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के साथ क्वाड समूह में भी शामिल है. ऐसे में भारत पर सवाल उठते रहे हैं कि भारत रूस और चीन को काउंटर करने वाली रणनीति में भी शामिल होता है और रूसी एवं चीनी नेतृत्व वाली बैठक में भी भारत का अपना हित सर्वोपरि है.
ग्लोबल साउथ पर फोकस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी कहा कि ग्लोबल साउथ के सदस्य होने के नाते भारत रचनात्मक और सकारात्मक एजेंडे के बीच ब्रिज की तरह काम करता है. जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के साथ द्विपक्षीय बैठक में भी पीएम मोदी ने कहा कि ग्लोबल साउथ देशों की चिंताओं और प्राथमिकताओं पर जोर देने की जरूरत है.
रूस और यूक्रेन में जारी युद्ध को लेकर भी पीएम मोदी ने स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि मौजूदा स्थिति राजनीतिक या आर्थिक संकट नहीं बल्कि मानवीय संकट है. बातचीत और कूटनीति ही समाधान का एकमात्र उपाय है. इस युद्ध को रोकने के लिए भारत जो कर सकता है, वह करेगा.
With fellow world leaders at the G-7 Summit in Hiroshima. pic.twitter.com/fCQreFrPkI
— Narendra Modi (@narendramodi) May 20, 2023
सभी देश करें यूएन चार्टर का सम्मान
G-7 समिट के नौवें सेशन में पीएम मोदी ने चीन को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना जरूरी है. यह जरूरी है कि सभी देश यथास्थिति को बदलने के एकतरफा प्रयासों के खिलाफ अपनी आवाज उठाएं.
पीएम मोदी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पिछले कुछ महीनों से चीन के साथ लद्दाख में तनावपूर्ण गतिरोध जारी है. पीएम मोदी के बयान के बाद क्वाड और जी-7 समूह ने भी चीन को लेकर सख्त टिप्पणी की.
G-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए जापान ने भारत को गेस्ट कंट्री के तौर पर बुलाया था. यह चौथी बार था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-7 समिट में हिस्सा ले रहे थे. पीएम मोदी का यह दौरा इसलिए भी अहम था क्योंकि पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद यह पहली बार था जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री जापान के शहर हिरोशिमा पहुंचे. 1974 में हुए पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद भारत और जापान के बीच रिश्ते बेहद खराब हो गए थे.
पापुआ न्यू गिनी दौरा
G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पापुआ न्यू गिनी पहुंचे. यहां उन्होंने पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री के साथ भारत-प्रशांत द्वीप समूह सहयोग (FIPIC) शिखर सम्मेलन की सह अध्यक्षता की. पीएम मोदी के इस दौरे को इंडो-पैसिफिक रीजन में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए उठाए गए कूटनीतिक कदम के तौर पर देखा जा रहा है.
भारत-प्रशांत द्वीप समूह सहयोग (FIPIC) भारत और 14 प्रशांत द्वीप देशों का एक समूह है. FIPIC का गठन 2014 में हुआ था. इस संगठन की मदद से भारत प्रशांत द्वीप के देशों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहता है. ताकि चीन का मुकाबला किया जा सके.
FIPIC समिट के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारत बहुपक्षवाद में विश्वास करता है और एक मुक्त, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक रीजन का समर्थन करता है. उन्होंने कहा कि प्रशांत द्वीप के देश भी बड़े समुद्री देश हैं, न कि कोई छोटे देश. डेवलपमेंट पार्टनर के रूप में आपको चुनकर भारत गौरवान्वित महसूस करता है. आप एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में भारत पर भरोसा कर सकते हैं. हम बिना किसी हिचकिचाहट से आपके साथ अपने अनुभव और क्षमताओं को साझा करने के लिए तैयार हैं.
At the FIPIC Summit in Papua New Guinea with fellow FIPIC leaders. pic.twitter.com/nOArwGJWdc
— Narendra Modi (@narendramodi) May 22, 2023
पीएम मोदी का ऑस्ट्रेलिया दौरा
3 देशों की यात्रा के अंतिम चरण में पीएम मोदी सोमवार को ऑस्ट्रेलिया पहुंचे. यहां उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई पीएम अल्बानीज के साथ बैठक में अगले एक दशक में Comprehensive Strategic Partnership को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की बात की.
इसके अलावा दोनों देशों ने बुधवार को माइग्रेशन पार्टनरशिप एग्रीमेंट (migration and mobility partnership agreement) पर भी हस्ताक्षर किए. इस एग्रीमेंट से भारतीय स्टूडेंट्स, एकेडेमिक्स और प्रोफेशनल्स को ऑस्ट्रेलिया में रहने, पढ़ाई करने या काम करने में सहूलियत होगी. उसी तरह की सुविधाएं ऑस्ट्रेलियाई नागरिक को भी भारत में मिलेगी.
दोनों देशों ने एक बार फिर से ऑस्ट्रेलिया-भारत व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसीए) को जल्द से जल्द प्रभाव में लाने पर जोर दिया. वित्तीय वर्ष 2021-22 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 27 बिलियन डॉलर का रहा. इस समझौते के बाद दोनों देशों के बीच 2035 तक द्विपक्षीय व्यापार 45 से 50 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए कई अहम समझौते
पीआईबी की ओर से जारी बयान में पीएम मोदी ने कहा है, "आज भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच माइग्रेशन पार्टनरशिप एग्रीमेंट हस्ताक्षरित हुआ है. यह हमारे लिविंग ब्रिज को और मजबूती देगा. दोनों देशों के बीच बेहतर होते रिश्ते को देखते हुए हम जल्द ही ब्रिसबेन में नया भारतीय कॉन्सुलेट खोलेंगे. जबकि ऑस्ट्रेलिया बेंगलुरु में अपना कॉन्सुलेट खोलेगा." फिलहाल ऑस्ट्रेलिया के पर्थ, सिडनी और मेलबर्न में भारतीय कॉन्सुलेट हैं.
इसके अलावा, दोनों देशों ने इंडिया-ऑस्ट्रेलिया हाइड्रोजन टास्क फोर्स की शर्तों को भी अंतिम रूप दिया. यह टास्क फोर्स ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर बन रही अवसरों के बारे में मंत्रिस्तरीय डायलॉग को रिपोर्ट करेगी.
ग्रीन हाइड्रोजन एक क्लीन एनर्जी सोर्स है. इसका उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा या लो कार्बन पावर से किया जाता है. कोयले और तेल से एनर्जी उत्पादन में जहां कई प्रकार के कार्बन अवशेष वायुमंडल में घुलते हैं. वहीं, ग्रीन हाइड्रोजन से केवल जल वाष्प का उत्सर्जन होता है.
ऑस्ट्रेलिया में मंदिरों पर होने वाले हमलों को भी पीएम मोदी ने अल्बानीज के सामने उठाया. उन्होंने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के सौहार्दपूर्ण रिश्तों को कोई भी कट्टरपंथी तत्व अपने विचारों या एक्शन से नुकसान पहुंचाए, यह हमें स्वीकार्य नहीं है. पीएम मोदी ने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने उन्हें आश्वस्त किया है कि वो ऐसे तत्वों के विरुद्ध सख्त एक्शन लेते रहेंगे.
With PM @AlboMP in Sydney.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 24, 2023
Long live India-Australia friendship! pic.twitter.com/2KuucGV0Y3