इंडोनेशिया के पूर्व राष्ट्रपति की बेटी सुकमावती सुकर्णोपुत्री ने बीते मंगलवार को हिंदू धर्म अपना लिया है. 70 वर्षीय सुकमावती ने इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपनाया है. बाली के सुकर्णो सेंटर हेरिटेज एरिया में एक समारोह का आयोजन किया गया था जहां उन्होंने हिंदू धर्म अपनाया. सोशल मीडिया पर सुकमावती का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है. कुछ लोगों ने इस मामले में ये भी कहा कि कई इस्लामिक देशों में सुकमावती को ईशनिंदा का दोषी भी ठहराया जा सकता था. हालांकि इंडोनेशिया में उनका धर्म परिवर्तन शांति से हुआ.
बाली में हिंदू धर्म अपनाने के लिए सुकमावती ने सुधी-वदानी समारोह में हिस्सा लिया था. सुधी और वदानी शब्दों से बना है. संस्कृत में सुधी का अर्थ है शुद्धिकरण. सुधी वदानी समारोह आयोजित करने के लिए, एक व्यक्ति जो धर्मांतरण करने जा रहा है, उसे हिंदू धर्म की आवश्यकताओं की सभी प्रक्रियाओं को पूरा करना होता है. इस प्रक्रिया में धर्मांतरण के लिए पहुंचे शख्स के लिए कोई आयु सीमा निर्धारित नहीं है क्योंकि इस समारोह में किसी इंसान की आंतरिक और बाहरी शुद्धि मायने रखती है.
महाभारत-रामायण का पाठ कर चुकी हैं सुकमावती
सुकमावती के करीबी दोस्त और बाली में सुकर्णो सेंटर के प्रमुख आर्य वेदाकर्ण ने कहा कि सुकमावती के रिश्तेदारों ने उनके धर्मांतरण के लिए अपना आशीर्वाद भी दिया है. आर्या का कहना है कि सुकमावती को उनकी दादी के साथ ही अपने पूर्वजों से भी मार्गदर्शन मिला है. सुकमावती की पिछले 20 सालों से हिंदू धर्म में रुचि रही है. वे बाली के सभी प्रमुख मंदिरों का दौरा कर चुकी हैं. इसके अलावा उन्होंने महाभारत और रामायण जैसे संस्कृत महाकाव्यों को भी पढ़ा है.
सुकमावती के धर्मांतरण समारोह के दौरान उनके बेटे मोहम्मद पुत्रा अल हदाद भी मौजूद थे. इस दौरान वहां बाली की सिक्योरिटी फोर्स भी मौजूद थी. आर्या ने कहा कि सुकमावती का इस्लाम से हिंदू धर्म अपनाना एक साहस भरा काम है. उन्होंने कहा कि कई सालों पहले सुकमावती की दादी ने भी सुकर्णो के पिता के साथ शादी रचाई थी जो जावानीज मुस्लिम थे. उन्होंने जो किया, वो क्रांतिकारी था. उस दौर में बाली के शाही परिवार से कोई भी जावेनेस मुस्लिम के साथ शादी रचाने की हिम्मत नहीं कर सकता था. उन्होंने आगे कहा कि हम हिंदू बेहद खुश हैं कि इंडोनेशिया की लोकप्रिय हस्ती ने हिंदू धर्म अपनाने का फैसला किया है. इससे साफ होता है कि सुकर्णो का परिवार वाकई सहिष्णु है. बिना किसी बाधा के धर्म परिवर्तन इस देश के लिए अच्छा है. ये एक असाधारण क्षण है.
चुनाव पर क्या होगा असर?
सिंगापुर के एस. राजारत्नम स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के एक रिसर्च फेलो एलेक्जेंडर एरिफिएंटो ने कहा कि सुकमावती इंडोनेशिया की राजनीतिक व्यवस्था को लेकर एक जवाब है, ये व्यवस्था पिछले कुछ समय से इस्लाम के कट्टरपंथी मुस्लिम समूहों से काफी अधिक प्रभावित हो चुकी है. उन्होंने आगे कहा कि सुकमावती के हिंदू धर्म के अपनाने से साल 2024 में इंडोनेशिया में होने वाले आम चुनाव में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि सुकमावती के फैसले का विरोध करने वालों में अधिकांश रूढ़िवादी, कट्टरपंथी इस्लामिक समूह हैं, जिन्होंने पहले भी कभी सुकमावती की पार्टी पीडीआई-पी को वोट नहीं दिया है. जबकि एनयू और अन्य सहिष्णु समूहों सहित बाकी पार्टियां सुकमावती का समर्थन करती रहेंगी. उन्होंने कहा कि सुकमावती का ये फैसला ना तो अधिक लोगों को उनके पक्ष में करेगा और ना ही उनका वोट बैंक प्रभावित होगा. गौरतलब है कि इंडोनेशिया में 270 मिलियन यानी लगभग 27 करोड़ लोग रहते हैं जिनमें 86 प्रतिशत मुस्लिम हैं. इंडोनेशिया पिछले कुछ समय से कट्टरपंथ और उग्रवाद से जूझ रहा है.