मध्य इंडोनेशिया के एक गांव के मूसलाधार बारिश की वजह से भूस्खलन की चपेट में आने से सैकड़ों मकान बह गए तथा 18 लोगों की मौत हो गई, जबकि 90 अन्य लापता हैं. राष्ट्रीय आपदा निवारण एजेंसी के प्रवक्ता सुतोपो पूर्वो नुगरोहो ने बताया कि शुक्रवार देर रात मध्य जावा प्रांत में बंजरनेगारा जिले के जेम्ब्लुंग गांव में हुए भूस्खलन में 105 मकान बह गए.
सैनिक, पुलिस एवं निवासियों सहित सैकड़ों बचावकर्मी गाद और मलबे को फावड़े, कुदाली या अपने खाली हाथों से खोद रहे हैं. शवों को काले रंग के बैगों में रखकर बांस की मदद से उठाया जा रहा है. गांव के करीब 420 निवासियों को अस्थायी आवास तक पहुंचाया जा चुका है. नुगरोहो ने बताया कि कुछ बचावकर्ताओं ने मलबे से सेल फोन की आवाज सुनी जो संभवत: मदद की पुकार हो सकती थी. लेकिन उपकरणों की कमी के चलते वे संभावित पीड़ितों तक नहीं पहुंच पाए. उन्होंने कहा, ‘मलबे और खराब मौसम के चलते हमारे बचाव प्रयास बाधित हो रहे हैं.’ राहत कार्यों में बाद में ट्रैक्टरों एवं बुलडोजरों को लगाया गया. बंजारनेगारा के जिला प्रमुख सुतेदजो सलामेत उतोमो ने बताया कि गाद एवं ढह गए मकानों के मलबे से 18 शव निकाले गए हैं.
बचावकर्ता 90 लापता लोगों का पता लगाने के लिए प्रयासरत हैं। यह देश की राजधानी जकार्ता से 460 किलोमीटर पूर्व में स्थित है. 11 बुरी तरह से घायल ग्रामीणों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. प्रभावी गांव के निवासियों ने बताया कि पहाड़ियों से गाद के रूप में नीचे आई लाल मिट्टी ने कैसे उनके गांव और उनके मकान को अपनी चपेट में ले लिया और किस तरह वे बुरी तरह भयभीत हो गए. अपने चार परिजन के साथ इस त्रासदी में सुरक्षित बचे वोहोनो नामक निवासी ने बताया, ‘यह किसी दुस्वप्न की तरह था. हमने अचानक भीषण आवाज सुनी और उसके फौरन बाद हमने लाल मिट्टी की बारिश से बचकर भागना शुरू कर दिया. बहुत से सफल नहीं हो सके और वे जमीन में दफन हो गए.’
उन्होंने कहा कि भारी वष्रा एवं अंधेरे में उन्हें मदद की गुहार लगाते और चिल्लाते हुए लोगों की आवाज सुनाई दी थी. उन्होंने कहा कि वह अपने परिवार के साथ भागने के अलावा कुछ और करने में अक्षम थे. घनी आबादी वाले जावा द्वीप में पिछले कुछ दिनों में दूसरी बार भूस्खलन हुआ है. गुरूवार को जोवा के वोनोसोबो जिले में भी भूस्खलन में कम से कम एक ग्रामीण की जान गई थी.
भाषा से इनपुट