लेबनान में पेजर धमाके के बाद अब ईरान में आईफोन विस्फोट की आशंका जताई जाने लगी है. ईरान के पूर्व कम्युनिकेशन मंत्री और सांसद रेजा टैगिपुर ने यह चेतावनी दी. पिछले हफ्तों में लेबनान में पेजर से लेकर वॉकी-टॉकी तक में विस्फोट की घटनाएं हुई थी, और रेडियो सिस्टम तक को हैक करने का मामला सामने आया था. इसमें ईरानी राजदूत समेत रिवॉल्यूशनरी गार्ड के कई जवान भी घायल हो गए थे.
चुंकी अब लेबनान में हिज्बुल्लाह के प्रमुख को भी मार गिराया गया है, माना जा रहा है कि इजरायल अब वेस्ट एशिया के बड़े क्षेत्र को अपने अनुकूल करने की राह पर है. इससे सबसे बड़ा नुकसान किसी का होने जा रहा है तो वो है ईरान, जिसने वर्षों से अपने सहयोगियों को स्थापित करने की दिशा में इन्वेस्ट किए. आज आलम ये है कि इजरायली सेना ने गाजा में हमास का लगभग खात्मा कर दिया और फिर लेबनान में हिज्बुल्लाह को भी तबाह कर दिया.
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लेबनान में सीक्रेट सर्विस के हेड तक इजरायली जासूस
लेबनान में हिज्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह के मारे जाने के बाद ईरान के सुप्रीम लीडर को सुरक्षित स्थान पर ले जाने की भी खबर सामने आई थी. हाल ही में पूर्व ईरानी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने एक चौंकाने वाले खुलासे में दावा किया कि ईरान का सीक्रेट सर्विस हेड ही इजरायल का जासूस था.
मसलन, इस विस्फोटक खुलासे से कई सवाल खड़े हो रहे हैं, जहां हमास के कम्युनिकेशन प्रमुख इस्माइल हानियेह की मौत भी मिस्ट्री बनी है. 2021 में उस मोसाद के एजेंट की पहचान हुई थी, लेकिन इससे यह आशंका बढ़ जाती है कि आखिर इजरायल के जासूस ईरान में किस हद तक समाए हो सकते हैं.
इजरायल पर निगरानी रखने वाले ही निकले स्पाई
अहमदीनेजाद ने दावा किया कि यह कोई इकलौती घटना नहीं थी. उनके मुताबिक, ईरानी सीक्रेट सर्विस टीम में भी इजरायली जासूसों का जाल फैला हुआ था. उन्होंने बताया कि लगभग 20 अतिरिक्त एजेंट जो इजरायली गुप्त सेवा गतिविधियों की निगरानी में लगे थे, वे भी मोसाद के लिए काम कर रहे थे.
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सूत्रों के मुताबिक, इन कथित दोहरे एजेंटों ने इज़राइल को ईरान के परमाणु कार्यक्रम की संवेदनशील जानकारी दी. वे 2018 में ईरानी परमाणु दस्तावेजों की चोरी और कई ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या में भी शामिल थे.
यह खुलासे एक ऐसे समय में आए हैं जब यह बताया जा रहा है कि एक ईरानी जासूस ने इज़राइल को जानकारी दी थी कि हिज्बुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह कहां बैठे थे, जिसके बाद एक हवाई हमले में उन्हें मार दिया गया. इन खुलासों ने ईरान की गुप्त सेवा इकाई को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.