अफगानिस्तान और ईरान के बीच सीमा पर भारी तनाव का माहौल है. खबर है कि तालिबान ईरान से लगी सीमा पर भारी मात्रा में हथियारों की तैनाती कर रहा है. हेलमंद नदी के पानी पर अधिकार से शुरू हुआ विवाद अब इतना बढ़ गया है कि तालिबान ने ईरान पर 24 घंटे में फतह करने की चेतावनी दे डाली है.
दोनों देशों के बीच शनिवार को भारी गोलीबारी देखने को मिली जिसमें कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए. दोनों पक्षों के बीच तनाव अब भी जारी है और ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि तालिबान इस लड़ाई में मिसाइल, तोप, मशीनगन का इस्तेमाल कर रहा है. सोशल मीडिया पर ईरान-अफगानिस्तान के बीच गोलीबारी के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं.
दोनों देशों के बीच तनाव तब बढ़ा जब इसी महीने ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने तालिबान को चेतावनी दी कि वो हेलमंद नदी से ईरान के पूर्वी इलाकों में पानी रोककर 1973 के संधि का उल्लंघन न करे. अफगानिस्तान के तालिबान शासकों ने रईसी के इन आरोपों से इनकार किया है.
'24 घंटे में ईरान को हरा देंगे'
दोनों पक्षों के बीच का तनाव अब लड़ाई की शक्ल ले चुका है. तालिबान ने अब ईरान को धमकी देते हुए कहा कि वो 24 घंटे में ईरान को हरा देगा. तालिबान के एक कमांडर हामिद खोरासानी ने कहा, 'हमारी ताकत की परीक्षा न लें. हम सच्चे मुसलमान हैं. अगर हमारे नेताओं ने हमें मंजूरी दी तो हम 24 घंटे के अंदर ईरान पर जीत हासिल कर लेंगे.'
कमांडर ने ट्विटर पर शेयर किए गए एक वीडियो में कहा, 'जिस जज्बे के साथ हम अमेरिका के खिलाफ लड़े थे, उससे कहीं ज्यादा जोश के साथ हम ईरान से लड़ेंगे. ईरान शुक्र करे कि तालिबान के नेता धैर्य रखते हैं. अगर हमारे बड़े नेता हमें इजाजत देते तो हम ईरान पर जीत हासिल कर लेते.'
'युद्ध किसी के हित में नहीं'
शनिवार की गोलीबारी के बाद तालिबान के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इनायतुल्ला खोवारजमी ने कहा था, 'दुर्भाग्य से आज एक बार फिर निमरोज प्रांत के कोंग जिले की सीमा के पास ईरानी सैनिकों ने गोलीबारी की. इसके बाद संघर्ष शुरू हो गया. हम किसी भी समस्या के लिए बातचीत को एक उचित तरीका मानते हैं. बहाने से युद्ध की शुरुआत करना किसी भी पक्ष के हित में नहीं है.'
वहीं, ईरान ने आरोप लगाया कि गोलीबारी पहले तालिबान के लड़ाकों ने शुरू की थी. ईरान की न्यूज एजेंसी IRNA के मुताबिक, ईरान के पुलिस प्रमुख ने कहा है कि तालिबान के हमले के करारा जवाब दिया जाएगा. उन्होंने कहा, 'हमारी बॉर्डर फोर्स हर हमले का जवाब देगी. अफगानिस्तान को अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करने का खामियाजा भुगतना पड़ेगा. उसे अपनी हर कार्रवाई का जवाब देना होगा.'
न्यूज एजेंसी ने बताया कि शनिवार के संघर्ष के बाद ईरानी अधिकारियों ने मिलक-जरंज सीमा चौकी को बंद कर दिया. यह सीमा चौकी दोनों देशों के बीच एक प्रमुख व्यापारिक क्रॉसिंग है.
क्या है दोनों देशों के बीच का विवाद?
हेलमंद नदी और उसका पानी ईरान और अफगानिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवाद के केंद्र में रहा है. 1973 में दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ था जिसके मुताबिक, अफगानिस्तान को हर साल ईरान को 82 करोड़ क्यूबिक मीटर पानी देना है.
अफगानिस्तान की हेलमंद नदी, जो कि एक हजार किलोमीटर लंबी है, पूर्व की दिशा में बहते हुए ईरान तक जाती है. जलवायु परिवर्तन की वजह से नदी का क्षेत्र सिमट रहा है जिससे ईरान के सिस्तान-बलुचिस्तान प्रांत पर बुरा प्रभाव पड़ा है.
ऐसे में अफगानिस्तान ने इस नदी पर बिजली उत्पादन और सिंचाई के लिए बांध बना दिया है. अफगानिस्तान की सरकार द्वारा नदी पर बांध बनाए जाने को लेकर सूखाग्रस्त ईरान नाराज है और उसका कहना है कि नदी पर बांध बनाने से क्षेत्र के पारिस्थितिक तंत्र पर नुकसान पहुंचेगा. ईरान अफगानिस्तान पर आरोप लगा रहा है कि वो उसे तय मानक से कम पानी की आपूर्ति कर रहा है.
ईरान पिछले 30 सालों से सूखे की चपेट में है और पिछले दशक में यह समस्या और विकराल हो गई है. ईरान के मौसम विज्ञान संगठन का कहना है कि देश का 97 प्रतिशत हिस्सा अब किसी न किसी स्तर के सूखे का सामना कर रहा है.