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ईरान में स्कूली बच्चियों को जहर दिए जाने का क्या है मामला? सरकार ने कही ये बात

ईरान के कौम शहर में स्कूली छात्राओं को जहर दिए जाने की पुष्टि हुई है. उपस्वास्थ्य मंत्री यूनुस पनाही ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि जांच में पता चला है कि कुछ लोग जानबूझकर स्कूली लड़कियों को जहर दे रहे हैं. दरअसल ये लोग चाहते थे कि स्कूलों, विशेष रूप से गर्ल्स स्कूलों को बंद कर दिया जाएं.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

ईरान में हिजाब को लेकर शुरू हुआ बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस बीच स्कूली लड़कियों को स्कूल जाने से रोकने के लिए देश में कई तरह के हथकंड़ें भी अपनाए जा रहे हैं. इनमें स्कूली लड़कियों को जहर दिए जाने का मामला सामने आने के बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है.

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ईरान के कौम सहित और भी कई शहरों में बीते कई महीनों से स्कूली लड़कियों को जहर दिए जाने के मामले ने हलचल मचा दी है. देश के उपस्वास्थ्य मंत्री यूनुस पनाही ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि जांच में पता चला है कि कुछ लोग जानबूझकर स्कूली लड़कियों को जहर दे रहे हैं. दरअसल ये लोग चाहते थे कि स्कूलों, विशेष रूप से गर्ल्स स्कूलों को बंद कर दिया जाएं.

जहर अधिक जोखिमभरा नहीं

उन्होंने कहा कि छात्राओं को जहर दिए जाने के लिए जिस केमिकल का इस्तेमाल किया गया. वह कोई वॉर केमिकल नहीं था. जिन छात्राओं को जहर दिया गया है उनका इलाज किया जा रहा है. 

बता दें कि 30 नवंबर के बाद से लगातार छात्राएं सिरदर्द, खांसी, सांस संबंधी दिक्कत और घबराहट की शिकायतें कर रही थीं. इस मामले 14 फरवरी को उस समय तूल पकड़ा, जब कई छात्राओं को अस्पताल में भर्ती कराया गया. इसके बाद सरकार ने जांच के आदेश दिए.  

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बता दें कि छात्रओं को जहर दिए जाने का मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है. स्कूलों को दो दिनों के लिए बंद कर दिया गया है. इस मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. 

ईरान की संसद के एजुकेशन एंड रिसर्च कमीशन के प्रमुख अलिरेजा मनदी ने बताया कि वो इस मामले पर नजर रखे हुए हैं. उन्होंने कहा है कि कमीशन स्वास्थ्य मंत्रालय की मौजूदगी में इस मुद्दे पर एक बैठक करेगा ताकि इन घटनाओं को दोबारा होने से रोका जा सके.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान के चार शहरों के 14 स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं को निशाना बनाकर उन्हें जहर दिया गया. कोम शहर को ईरान का पवित्र शहर माना जाता है और यह बेहद रूढ़िवादी और धार्मिक तौर पर कट्टर है. सोशल मीडिया पर कई वीडियो भी सामने आईं थी, जिसमें कुछ नाराज परिजन स्कूलों के बाहर विरोध प्रदर्शन करते नजर आ रहे हैं.

बता दें कि पिछले साल महसा अमिनी की मौत के बाद से देश में हिजाब को लेकर बवाल शुरू हो गया था. कई हफ्तों तक सड़क पर प्रदर्शन चलता रहा. इस दौरान हजारों लोगों की मौत हो गई.

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