अयातुल्लाह खुमैनी ने कहा, 'भारत में हुए मुस्लिमों के नरसंहार पर पूरी दुनिया दुखी है. मुस्लिमों के नरसंहार पर भारत सरकार को हिंदू अतिवादियों को रोकना चाहिए, उनकी पार्टी को रोकना चाहिए. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो भारत सभी मुस्लिम देशों के बीच अलग-थलग पड़ जाएगा.'
एक अन्य ट्वीट में अयातुल्लाह खुमैनी ने कहा है कि हम भारत में हिंदु अतिवादियों द्वारा मुस्लिमों की हत्या की निंदा करते हैं. अयातुल्लाह खुमैनी की मांग है कि भारत सरकार हिंदू अतिवादियों और उनके समर्थकों को मुस्लिमों के कत्लेआम से रोके. अगर भारत मुस्लिम जगत से अपना संबंध रखना चाहता है.
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قلب مسلمانان جهان از کشتار مسلمانان در هند جریحه دار است.
دولت هند باید در مقابل هندوهای افراطی و احزاب طرفدار آنها بایستد و با توقف کشتار مسلمانان، از انزوای خود در جهان اسلام جلوگیری کند.#مسلمانان_مظلوم_هند#indianmuslimindanger pic.twitter.com/G2A6x7Clgg
— KHAMENEI.IR | فارسی (@Khamenei_fa) March 5, 2020
'ईरान पहले भी लगा चुका है संगठित हिंसा का आरोप'
इससे पहले दिल्ली हिंसा पर ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने गहरी चिंता जताते हुए इसे अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ 'संगठित हिंसा' करार दिया था. उन्होंने भारत सरकार से 'सभी भारतीयों और कानून के राज' का ध्यान रखने और शांतिपूर्ण संवाद के जरिए मसलों को सुलझाने का आग्रह किया था.
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दिल्ली हिंसा पर दिए गए ईरान के बयान को पाकिस्तान ने सराहा था. वहीं भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी और कहा था कि उसे अपने आंतरिक मामलों में दखल नामंजूर है. भारत ने साफ कर दिया था कि ईरानी विदेश मंत्री ने हिंसा को व्यापक रूप से देखने के बजाए जिस तरह से चयनात्मक तरीके से देखा है, वह उसे पूरी तरह से खारिज करता है.
पाकिस्तान ने ईरान के बयान का किया था बचाव
पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने ईरान के बयान का स्वागत किया था और कहा था कि भारतीय मुसलमानों की सुरक्षा और उनकी देखरेख पर अपने भाई जरीफ द्वारा जताई गई चिंता को पूरी तरह से साझा करता हूं. भारत गंभीर सांप्रदायिक हिंसा की गिरफ्त में है. वहां जो कुछ हो रहा है, वह पूरे इलाके की शांति व सुरक्षा के लिए ठीक नहीं है.
370 के बाद ईरान के रुख आया बदलाव
ईरान और भारत के संबंध ऐतिहासिक रूप से हमेशा से अच्छे रहे हैं लेकिन, हाल के समय में ईरान की तरफ से भारत के प्रति कुछ आलोचनात्मक बयान आए हैं. कश्मीर मुद्दे पर भी ईरान ने भारत के रुख का समर्थन नहीं किया और सर्वोच्च ईरानी धर्म गुरु अयातुल्ला अली खामनेई ने कश्मीर में दमन का आरोप लगाया था.