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ईरान को परमाणु समझौते पर जल्द मुहर लगने की उम्मीद, रूस की भी तारीफ

2017 में अमेरिका, ईरान के परमाणु समझौते से अलग हो गया था, लेकिन जो बिडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद इस समझौते पर फिर से बात शुरू हुई. तेहरान द्वारा रखी गई शर्तों को अगर अमेरिका स्वीकार करता है, तो ईरान परमाणु समझौता जल्द संभव है.

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ईरान के राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी  (फाइल फोटो)
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • वार्ता का उद्देश्य ईरान और पश्चिमी शक्तियों के बीच 2015 के समझौते को पुनर्जीवित करना है
  • वार्ता में रूस का योगदान अब तक सकारात्मक रहा है

ईरान का मानना ​​​​है कि उसके परमाणु कार्यक्रम पर समझौता जल्दी हो सकता है. ईरान के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि अगर वियना में हुई वार्ता में तेहरान द्वारा रखी गई शर्तों को अमेरिका स्वीकार करता है, तो परमाणु समझौता जल्द संभव है. ईरान ने यह भी कहा कि इस वार्ता में रूस का योगदान अब तक रचनात्मक रहा है.

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इस वार्ता का उद्देश्य ईरान और पश्चिमी शक्तियों के बीच, 2015 के समझौते को पुनर्जीवित करना है. इस समझौते का मकसद ईरान को परमाणु बम बनाने से रोकना था. समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले देशो में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य- अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन के अलावा जर्मनी भी था.

लेकिन 2017 में अमेरिका इस समझौते से अलग हो गया और ईरान पर नए प्रतिबंध लगा दिए. जो बाइडन के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद, इस समझौते पर पिछले साल फिर से बातचीत शुरू हुई थी.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद खतीबजादेह ने कहा कि अमेरिका की मंजूरी के साथ, ये समझौता जल्द ही पूरा हो सकता है. माना जा रहा है कि अमेरिका द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से ईरान के साथ उसके व्यापार को कोई नुकसान नहीं होगा.

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खतीबजादेह ने तेहरान में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ईरान अब भी रूस की मांग पर राजनयिक चैनलों से स्पष्टीकरण का इंतजार कर रहा था, लेकिन रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों समेत, किसी भी प्रतिबंध से वार्ता प्रभावित नहीं होनी चाहिए. 

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