साल 2015 के परमाणु समझौते से अमेरिका के पीछे हटने के एक साल बाद ईरान ने कहा कि वह फिर से यूरेनियम और परमाणु संवर्द्धन शुरू करने जा रहा है. अगर इस समझौते में शामिल महाशक्तियां 60 दिन के भीतर अमेरिकी प्रतिबंधों से उसे बचाने के लिए कोई नई शर्त नहीं तैयार करतीं, तो वह (ईरान) फिर से यूरेनियम और परमाणु संवर्द्धन शुरू कर देगा. इस पर ईरान को चीन का समर्थन मिला है.
एक साल तक शांत रहने के बाद ईरान ने एक बार फिर से अमेरिका समेत दुनिया की महाशक्तियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ईरान ने सख्त लहजे में कहा कि अब वह साल 2015 के परमाणु समझौते की कुछ शर्तों को नहीं मानेगा और परमाणु हथियार बढ़ाने का काम शुरू करने जा रहा है. अगर इस समझौते में शामिल महाशक्तियां इसको बचाना चाहती हैं, तो 60 दिन में अमेरिका से बचाने के लिए नई शर्तें तैयार कर लें.
ईरान ने इस परमाणु समझौते को लागू करने के लिए एक साल बाद अमेरिका समेत इसमें शामिल वैश्विक शक्तियों पर दबाव डालना शुरू किया है. ईरान ने वैश्विक शक्तियों से कहा कि वो साल 2015 के परमाणु करार को लागू कराएं और अमेरिका के प्रतिबंधों से उसकी रक्षा करें. अगर वैश्विक शक्तियां अमेरिका के प्रतिबंधों से उसकी रक्षा नहीं करती हैं, तो वो फिर से परमाणु हथियार बनाने का काम शुरू कर देगा.
आपको बता दें कि पिछले साल अमेरिका ने ईरान के साथ किए गए परमाणु करार से खुद को अलग कर लिया था. यह परमाणु करार साल 2015 में ईरान और 6 वैश्विक शक्तियों के बीच हुआ था. इन वैश्विक शक्तियों में अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, जर्मनी, रूस और ईरान शामिल थे.
इस परमाणु समझौते के तहत ईरान पर परमाणु कार्यक्रम बंद करने पर प्रतिबंध हटाने की बात कही गई थी. यह परमाणु समझौता तत्कालीन अमेरिका राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय किया गया था, लेकिन जब डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने, तो उन्होंने ईरान के साथ परमाणु करार से अमेरिका को अलग कर लिया. साथ ही अमेरिका ने ईरान पर फिर से प्रतिबंध थोप दिए.
हालांकि ईरान ने उस समय कहा था कि वो अपने हित को देखते हुए परमाणु करार को लागू करेगा. साथ ही इस परमाणु समझौते में शामिल सभी वैश्विक महाशक्तियों से अमेरिका के खिलाफ मदद करने को कहा था.
अब परमाणु करार से अमेरिका के पीछे हटने के एक साल बाद ईरान ने फिर से चेतावनी दी है. ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी ने कहा कि अगर परमाणु करार में शामिल ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, चीन और रूस उसकी अमेरिका के प्रतिबंधों से रक्षा नहीं करते हैं और 60 दिन में कोई ठोस कदम नहीं उठाते हैं, तो ईरान फिर से यूरेनियम और परमाणु संवर्द्धन शुरू कर देगा.
इस मसले पर ईरान को चीन का साथ मिला है. बुधवार को चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि साल 2015 के ईरान परमाणु करार को पूरी तरह से लागू किया जाना चाहिए और सभी पक्षों की जिम्मेदारी है कि वो इसको लागू कराना सुनिश्चित करें.
वहीं, फ्रांस ने कहा कि ईरान परमाणु करार को लागू किया जाना चाहिए. इसके साथ ही फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली ने ईरान को चेतावनी भी दी है. उन्होंने कहा कि अगर ईरान ने परमाणु समझौते का तनिक भी उल्लंघन किया, तो ठीक नहीं होगा. उसके खिलाफ कई बड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे.