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तेज होता जा रहा ईरान में विरोध-प्रदर्शन, फायदा उठाने की फिराक में अमेरिका!

ईरान अब अशांत हो चला है. महंगाई, बेरोजगारी विरोध-प्रदर्शन के अहम कारण हैं, लेकिन अमेरिका इसे मौका के रूप में ले सकता है और अपनी चाल चल सकता है.

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ईरान में विरोध-प्रदर्शन
ईरान में विरोध-प्रदर्शन

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लंबे समय से शांत ईरान अब अशांत हो गया है, वहां पर जमकर प्रदर्शन किया जा रहा है. जनता अपने ही सरकार की नीतियों से बेहद खफा है, विरोधस्वरूप वो लोग नववर्ष का जश्न मनाने के बजाए सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

प्रदर्शन सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ है. देश में बेरोजगारी और महंगाई भी लगातार बढ़ती जा रही है. इन सब चीजों में सरकार की नाकामी से लोगों में बहुत नाराजगी दिख रही है. दुखद पहलु यह है कि 5 दिन से ज्यादा समय से चल रहे प्रदर्शन में दर्जनभर लोग मारे गए हैं.

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दूसरी ओर, ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी विरोध प्रदर्शन को लेकर ज्यादा चिंतित नजर नहीं आते. उन्होंने सांसदों से कहा, "हमारे महान देश ने विगत में ऐसी कई घटनाएं देखी है और इस पर आसानी से काबू भी पाया है. यह कुछ खास नहीं है." रूहानी का कहना है कि ये विरोध-प्रदर्शन 'चेतावनी नहीं मौका' हैं.

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रूहानी के मुताबिक सरकार 'कानून तोड़ने वालों' को बख्शेगी नहीं. 200 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को सरकार गिरफ्तार कर चुकी है. ईरान के सरकारी टीवी चैनल ने कई निजी बैंकों में हुई लूटपाट, टूटी हुई खिड़कियों, क्षतिग्रस्त कारों और आग लगाए गए ट्रकों की तस्वीरें जारी की है. साथ ही सरकार ने इन पर अंकुश लगाने के लिए कुछ हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं, जिसके जरिए लोग इनकी शिकायत कर सकते हैं.

इस विरोध प्रदर्शन को 2009 में सुधार के समर्थन में निकाली गई रैलियों से बड़ा बताया जा रहा है. उन्होंने शांति के लिए प्रदर्शनकारियों को बातचीत के लिए बुलाया है.

हालांकि राजधानी तेहरान समेत पूरे देश में विरोध-प्रदर्शन जारी है. सरकार के खिलाफ जारी प्रदर्शन करते कई वीडियो सोशल मीडिया में चल रहे हैं. सरकार ने वहां पर इंस्टाग्राम और टेलीग्राम जैसी लोकप्रिय सोशल मीडिया साइटों पर रोक लगा दिया है

बीती रात प्रदर्शनकारियों ने तेहरान में गाड़ियां जलाईं और सरकार विरोधी नारे लगाए. पुलिस का कहना है कि उनके एक अधिकारी की हत्या भी कर दी गई. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नजफाबाद में एक प्रदर्शनकारी ने राइफल से एक अधिकारी को मार गिराया जबकि 3 लोगों को घायल कर दिया.

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कुछ जगहों पर महिलाएं अपने हिजाब को फेंकते हुए प्रदर्शन कर रही हैं. उनकी मांग है कि देश में कट्टर इस्लामिक ड्रेस कोड को खत्म किया जाए. ईरानी महिलाओं की मांग है कि उन्हें एक समान अधिकार चाहिए. सोशल मीडिया में जारी वीडियो में महिलाएं यह कहती नजर आ रही हैं कि हमें 'इस्लामिक गणराज्य नहीं चाहिए', 'तानाशाही को खत्म करो'.

पूरे घटनाक्रम पर अमेरिका भी नजर रखे हुए है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रदर्शनकारियों के समर्थन में एक के बाद एक करके कई ट्वीट किए हैं. विरोधी प्रदर्शनों को लेकर अमेरिका का कहना है कि प्रदर्शनकारियों के साथ जैसा बर्ताव किया जा रहा है उसे दुनिया देख रही है. व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया कि ईरानी नागरिक भ्रष्ट शासन और आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए देश के पैसे का इस्तेमाल होने से परेशान हो गए हैं. उसने सैकड़ों गिरफ्तारियों की आलोचना की है.

दूसरी ओर, रूस का कहना है कि ईरान में जारी प्रदर्शन उनका अंदरुनी मामला है, और बाहरी हस्तक्षेप सही नहीं है. अमेरिका में एक पक्ष इसे बड़े मौके के रूप में ले रहा है और अपने सरकार पर दबाव बनाने लगा है कि वह इसे मौके के रूप में ले.

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ईरान मामलों में दखल देना हमेशा से अमेरिका की ख्वाहिश रही है. यहां सत्ता परिवर्तन को लेकर अमेरिका में हमेशा से दीवानगी देखी गई है. अमेरिका ने उस पर कई तरह की पाबंदियां लगा रखी हैं, अब उसके लिए यह प्रदर्शन एक मौका के रूप में दिख रहा है.

कहा जा रहा है कि यह प्रदर्शन अर्थव्यवस्था की समस्या से जुड़ा हुआ है और लोग सत्ता में परिवर्तन की मांग कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी अब ईरान के प्रमुख धार्मिक नेता खमेनई का भी विरोध करते दिख रहे हैं. जिन एक दर्जन शहरों में विरोध-प्रदर्शन हो रहा है, उनकी पहचान धार्मिक शहर के तौर पर है.

वहीं कुछ जगहों पर सरकार के समर्थन में भी लोग सड़क पर उतर आए हैं. हालांकि ऐसे प्रदर्शन रणनीति के तहत किए जाते हैं.

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