ईरान रिवोल्युशनरी गार्ड के कमांडर ने दावा किया है कि ईरान हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने में सफल हो गया है. बता दें कि हाइपरसोनिक मिसाइल को सबसे आधुनिक मिसाइल माना जाता है. इस मिसाइल की रफ्तार इतनी तेज है कि इसे एंटी मिसाइल सिस्टम द्वारा ट्रैक करना लगभग नामुमकिन होता है.
बीबीसी न्यूज के अनुसार, यह आधुनिक हथियार सिर्फ अमेरिका, चीन और रूस के पास है. जबकि फ्रांस, भारत, आस्ट्रेलिया और जापान इस तकनीक पर काम कर रहे हैं. उत्तर कोरिया हाइपरसोनिक मिसाइल होने का दावा करता है.
पैंतरेबाजी करने में कारगर
हाइपरसोनिक एक हाई स्पीड मिसाइल है, जो सतह और वायुमंडल दोनों जगह पैंतरेबाजी करने में कारगार है. इसे मिसाइल की दुनिया में जेनरेशन लीप माना जाता है क्योंकि यह दुश्मन के एडवांस एंटी मिसाइल सिस्टम को भी चकमा देने में सफल हो जाता है. यह बैलेस्टिक मिसाइल से बिल्कुल अलग है क्योंकि बैलेस्टिक मिसाइल को ट्रैक कर नष्ट किया जा सकता है.
ईरान ने किया इनकार
हालांकि, ईरान द्वारा इस मिसाइल के परीक्षण पर कोई रिपोर्ट नहीं मिली है. हमेशा से ईरान परमाणु हथियार विकसित करने की अपनी इच्छा को इनकार करता रहा है. वहीं, अन्य इस्लामिक देशों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण ईरान ने हाल फिलहाल में कई बड़े घरेलू हथियार उद्योग को विकसित किया है. जबकि पश्चिमी सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान कई बार अपनी हथियार क्षमता के बारे में जोर शोर से दिखावा करता है.
पिछले सप्ताह ही Ghaem 100 का किया था परीक्षण
ईरानी स्टेट मीडिया के अनुसार, ईरान ने पिछले सप्ताह ही तीन चरणों वाले अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान Ghaem 100 का परीक्षण किया है. यह प्रक्षेपण यान पृथ्वी की सतह से 500 किलोमीटर दूर की कक्षा में 80 किलोग्राम वजन के उपग्रहों को स्थापित करने में सक्षम होगा. संयुक्त राज्य अमेरिका ने इस तरह की परीक्षण को 'तबाह करने वाला' बताया है. अमेरिका का कहना है कि इस तरह के प्रक्षेपण यान का इस्तेमाल परमाणु हथियार के संचालन में किया जा सकता है.
ट्रंप के फैसले का अहम योगदान
विशेषज्ञ ईरान के परमाणु हथियार बनाने में सक्षम होने में एक कारण अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक फैसले को मानते हैं. दरअसल, ईरान को परमाणु बम बनाने से रोकने के लिए 2015 में बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान ईरान और अमेरिका के बीच न्यूक्लियर पैक्ट समझौता हुआ था. लेकिन 2018 में ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने अमेरिका को इस करार से अलग कर लिया.