बेरोजगारी, भ्रष्टाचार के मसले पर इराक में पिछले एक हफ्ते से विरोध प्रदर्शन चल रहा है. शुक्रवार को इराक की राजधानी बगदाद में जब प्रदर्शनकारियों ने हिंसक मोड़ अपनाया तो इराकी सुरक्षा फोर्स ने उनपर फायरिंग कर दी. शुक्रवार तक हिंसक विरोध प्रदर्शन में मरने वालों की संख्या बढ़कर 31 हो गई है, जबकि 1,500 से अधिक घायल हुए हैं.
अल जजीरा के मुताबिक, 'इराकी इंडिपेंडेंट हाई कमीशन फॉर ह्यूमन राइट्स' (IHCHR) के एक सदस्य अली अल-बयाती ने गुरुवार रात पत्रकारों को बताया कि बगदाद और कुछ प्रांतों में तीन दिनों के विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा में मरने वालों की संख्या दो सुरक्षाकर्मियों सहित बढ़कर 31 हो गई है, 1,509 घायलों में 401 सुरक्षाकर्मी शामिल हैं.
बेरोजगारी, सरकारी भ्रष्टाचार और बुनियादी सेवाओं की कमी को लेकर मंगलवार और बुधवार को राजधानी बगदाद और इराक के कई प्रांतों में प्रदर्शन हुए, बगदाद में प्रदर्शन हिंसक हो गए क्योंकि प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए.
Appalling silence by the Western govts at what’s happening in Iraq.
This silence will eventually hunt them as it did in Syria. pic.twitter.com/wb8NCeNJdy
— Ragıp Soylu (@ragipsoylu) October 4, 2019
विरोध प्रदर्शन अन्य इराकी प्रांतों में भी फैल गया जब सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने कई प्रांतीय सरकारी भवनों और प्रमुख राजनीतिक दलों के कार्यालयों पर हमला किया और आग के हवाले कर दिया. गुरुवार को बगदाद में सुबह 5 बजे से कर्फ्यू लगाए जाने के बावजूद छिटपुट विरोध प्रदर्शन जारी रहा.
रक्षा मंत्री नजह अल-शम्मारी ने बुधवार को एक बयान में कहा कि उन्होंने राज्य की संप्रभुता को बनाए रखने और इराक में सक्रिय सभी विदेशी दूतावासों और राजनयिक मिशनों की रक्षा के लिए इराकी सशस्त्र बलों के लिए 'अलर्ट' की स्थिति बढ़ाने का फैसला किया है.
शुक्रवार को होने वाली जुमे की नमाज़ से पहले राजधानी में कुछ हद तक शांति रही. लेकिन माहौल पूरी तरह से तनावपूर्ण था. इराकी प्रधानमंत्री आदिल अब्दुल मेहदी ने कहा है कि सरकार की ओर से प्रदर्शनकारियों पर सख्त कदम उछाए जा रहे हैं, कई इलाकों में इंटरनेट की सुविधा भी काट दी गई है.
क्यों हो रहा है प्रदर्शन?
आपको बता दें कि इराक की अर्थव्यवस्था इस साल की शुरुआत से ही गड़बड़ाई हुई है, यही कारण है कि विरोधी पार्टियां, कई संगठन और आम लोग सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है. इराक में चौथा सबसे बड़ा देश है जिसके पास तेल का बड़ा रिजर्व है. फिर भी इस देश की 40 मिलियन आबादी गरीबी रेखा से नीचे है, जिसकी वजह से रोजगारी का संकट बढ़ता जा रहा है.