पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने कहा है कि भारत से मुकाबले के लिए ISI ने तालिबान को खड़ा किया था. मुशर्रफ ने कहा कि उनके शासनकाल में अफगानिस्तान सरकार को कमजोर करने की कोशिश की गई थी, क्योंकि वह पाकिस्तान की पीठ में 'छुरा घोंपने में' भारत की मदद कर रही थी.
पूर्व सैन्य शासक ने एक इंटरव्यू में कहा है, ‘राष्ट्रपति हामिद करजई के शासनकाल में अफगानिस्तान वास्तव में पाकिस्तान को नुकसान पहुंचा रहा था. लिहाजा हम उनके हितों के खिलाफ काम कर रहे थे. निश्चित तौर पर हमें अपने हितों की रक्षा करनी थी.’
परवेज मुशर्रफ ने कहा कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के जासूसों ने 2001 के बाद तालिबान को खड़ा किया था, क्योंकि करजई सरकार में बड़ी संख्या में गैर-पश्तून अधिकारी थे, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे भारत को फायदा पहुंचाते थे.
71 साल के मुशर्रफ ने कहा, ‘निश्चित तौर पर, हम कुछ ऐसे संगठनों की तलाश में थे, जो पाकिस्तान के खिलाफ इस भारतीय कार्रवाई का मुकाबला कर सकें.’ ‘दि गार्डियन’ को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ‘खुफिया तंत्र तालिबानी संगठनों के संपर्क में था. निश्चित तौर पर हम संपर्क में थे और उन्हें होना चाहिए था.’
हत्या और देशद्रोह जैसे आरोपों का सामना कर रहे मुशर्रफ ने कबूल किया कि जब वह सत्ता में थे, तो पाकिस्तान ने करजई सरकार को कमजोर करने की कोशिश की थी, क्योंकि पूर्व अफगान राष्ट्रपति ने पाकिस्तान की पीठ में छुरा घोंपने में भारत की मदद की थी.
करजई ने अफगानिस्तान सेना को प्रशिक्षण देने की मुशर्रफ और पूर्व सेना प्रमुख अशफाक परवेज कयानी की पेशकश को ठुकरा कर उन्हें क्रोधित कर दिया था. पूर्व अफगान राष्ट्रपति ने अपने देश की सेना को प्रशिक्षण के लिए भारत भेज दिया था. पिछले साल करजई से अफगानिस्तान की कमान अपने हाथों में लेने वाले अशरफ गनी ने अपने कार्यकाल के शुरुआती महीनों में पाकिस्तान से रिश्तों को बेहतर बनाने की कोशिश की है. गनी ने न केवल भारत के साथ एक हथियार करार को रद्द किया, बल्कि पाकिस्तान विरोधी आतंकवादियों से मुकाबले के लिए अपनी सेना को पूर्वी अफगानिस्तान में भी भेजा.
बहरहाल, मुशर्रफ ने कहा कि गनी से पूरा सहयोग करने का वक्त आ गया है. उन्होंने कहा कि गनी इस क्षेत्र में शांति की आखिरी उम्मीद हैं. मुशर्रफ ने कहा, ‘अब राष्ट्रपति अशरफ गनी आए हैं और वह अफगानिस्तान में फिर से संतुलन कायम करने की कोशिश कर रहे हैं. हमें उनसे निश्चित तौर पर पूरा सहयोग करना चाहिए.’
पूर्व सैन्य शासक ने कहा, ‘पाकिस्तान के अपने लोग थे, भारत के अपने लोग थे जो अच्छा नहीं है. मैं इसे स्वीकार करता हूं. यह अच्छी बात नहीं है. यह अफगानिस्तान, पाकिस्तान या भारत के हित में नहीं है. इसे रुकना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘हमारी आजादी के बाद से ही भारत का रॉ, पाकिस्तान का आईएसआई हमेशा एक-दूसरे के खिलाफ लड़ता रहा है. इसी तरह से चल रहा था, यह अब भी चल रहा है. इसे रुकना चाहिए, पर यह तभी रुकेगा जब दोनों पक्षों का नेतृत्व विवाद सुलझाने की इच्छाशक्ति दिखाएगा और टकराव रोक कर समझौता करेगा.’
---इनपुट भाषा से