पूरी दुनिया में आतंक का चेहरा बन चुके इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) के आतंकी अब हर जगह फैले जा रहे हैं और आतंक की घटनाओं को बड़ी आसानी से अंजाम दे रहे हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि इस आतंकी संगठन के लोग एक-दूसरे से कैसे संपर्क करते हैं और ग्रुप के हैंडलर आखिर पकड़ में क्यों नहीं आ पाते हैं.
सोशल मीडिया के जरिए आतंकी योजना
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों से पता चला है कि IS आतंकी और उसके समर्थक इंटरनेट और सोशल मीडिया के जरिए एक-दूसरे से बातचीत करते हैं. इस आतंकी संगठन के लोग ऐसे इंटरनेट और मोबाइल एप्लिकेशन का प्रयोग करते हैं, जिनमें उम्दा प्राइवेसी पॉलिसी हो.
ISIS ने जारी की नियमों की लिस्ट
इस संगठन ने बाकायदा एक गाइड या नियमों की बुक ऑनलाइन जारी की है, जिसके जरिए समर्थकों को चैट एप, एनक्रिप्टेड ईमेल सर्विस और इंटरनेट पर संचार के मौजूदा उपकरणों के प्रयोग की पूरी जानकारी दी जाती है.
एन्क्रिप्टेड ईमेल सेवाओं का इस्तेमाल
इस्लामिक स्टेट ने अपने समर्थकों को ओपेरा मिनी ब्राउजर, Tor, Onion, Aviator जैसे इंटरनेट ब्राउजर और Hushmail, ProtonMail व Tutanota जैसे प्राइवेट और एन्क्रिप्टेड ईमेल सेवाओं का प्रयोग करने की सलाह दे रखी है. एन्क्रिप्टेड वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (VoIP) सर्विस के लिए आईएस समर्थक FaceTime, Linphone, IO Swisscom, Silent Circle, RedPhone, Signal जैसे एप्लिकेशन का इस्तेमाल करते हैं.
मैसेजिंग के लिए वॉट्सएप का प्रयोग नहीं
इस आतंकी संगठन से जुड़े लोग मैसेजिंग के लिए वॉट्सएप की बजाए Telegram, SureSpot, Threema, Wickr, Cryptocat, PQChat, Sicher और iMessage जैसे सुरक्षित और निजी एप्लिकेशन का प्रयोग करते हैं.
फेसबुक से तौबा करने की नसीहत
सुरक्षित क्लाउड स्टोरेज, फाइल होस्टिंग और फाइल शेयरिंग सर्विस के लिए Mega, SpiderOak, SugarSync, Copy.com, TrueCrypt, VeraCrypt और Windows BitLocker जैसी स्टोरेज सर्विस का इस्तेमाल करते हैं. इस्लामिक स्टेट ने अपने समर्थकों को वॉट्सएप, इंस्टाग्राम और फेसबुक का इस्तेमाल ना करने को कहा है क्योंकि इनमें प्राइवेसी प्रोटेक्शन के खास इंतजाम नहीं हैं.