इराक के तिकरित शहर के एक अस्पताल में फंसी 51 भारतीय और बांग्लादेशी नर्सों को आखिरकार गुरुवार को सुन्नी आतंकवादियों ने जबरन अस्पताल से निकाल लिया. अस्पताल से निकाले जाने के दौरान कुछ नर्से घायल हो गई. आशंका जताई जा रही है कि आतंकवादी इन नर्सों को तिरकित से दूर सुन्नी आतंकियों के गढ़ मोसुल की ओर ले जा रहे हैं.
मोसुल शहर इराकी सेना की पहुंच से दूर है और यहां पूरी तरह से सुन्नी आतंकवादियों का कब्जा है. लेकिन इधर दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने कहा है कि नर्सें ‘सड़क मार्ग’ से कहीं ले जाई जा रही हैं, लेकिन यह नहीं पता चल पाया है कि उन्हें कहां ले जाया जा रहा है. सभी भारतीय नर्सें केरल की हैं और निकाले जाने के दौरान कुछ को चोटें आई हैं, लेकिन वे सभी सुरक्षित हैं.
मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने मीडिया से कहा कि नर्सें सुरक्षित हैं, लेकिन बाहर निकलने के दौरान उनमें से कुछ को मामूली चोटें आई हैं. इसके अलावा उन्होंने और कोई ब्योरा नहीं दिया. उन्होंने हालांकि यह उल्लेख किया कि नर्सें ‘अपनी इच्छा’ से जगह नहीं बदल रही हैं.
यह पूछे जाने पर कि इराक के बड़े क्षेत्र पर आनन-फानन में कब्जा करने वाले सुन्नी आतंकवादियों ने उन्हें जबरन तो नहीं भगाया है, अकबरुद्दीन ने कहा, ‘संघर्ष वाले इलाके में किसी की इच्छा का कोई सम्मान नहीं है. कोई अपनी मर्जी जाहिर नहीं कर सकता.’ यह जोर डालने पर कि नर्सों को कौन लेकर चल रहा है, प्रवक्ता ने कहा, ‘हर बात की चर्चा जरूरी नहीं है.’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि विदेश मंत्रालय बगदाद स्थित अपने दूतावास से नियमित संपर्क में है और इराक व वहां से बाहर कई मध्यस्थ काम कर रहे हैं. इससे पहले एक भारतीय चैनल से बातचीत में एक नर्स ने बताया था कि उन्हें सुन्नी आतंकवादी मोसुल ले जा रहे हैं.
आतंकवादी कथित रूप से पिछले तीन दिनों से नर्सों को तिकरित अस्पताल छोड़ने को कह रहे थे, लेकिन नर्सों ने इसका विरोध किया था. नर्सें लगातार बगदाद स्थित भारतीय दूतावास के संपर्क में थीं. केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम तक पहुंची सूचनाओं के मुताबिक, गुरुवार को आतंकवादियों ने नर्सों को जगह छोड़ने पर मजबूर करने के लिए तिकरित अस्पताल परिसर पर बमबारी की, जिसमें कुछ नर्सें घायल हो गईं.
नर्सों में से कुछ के रिश्तेदारों ने संवाददाताओं को बताया कि नर्सों को सुरक्षित निकालने में भारत सरकार की ओर से पर्याप्त कदम नहीं उठाए जाने का उन्हें खेद है. एक रिश्तेदार ने कहा, ‘कल (बुधवार को) ही हमने बताया था कि इराक में बांग्लादेश के दूतावास ने अपने नागरिकों को तिकरित से सुरक्षित निकाल लिया तो भारतीय दूतावास ने वह कदम क्यों नहीं उठाया जो बांग्लादेश के दूतावास ने उठाया?’
केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने कहा कि इस समय चिंता करने की कोई बात नहीं है, क्योंकि इराक के तिकरित शहर से आतंकवादियों द्वारा 46 भारतीय नर्सों को बाहर निकाल दिया गया है. चांडी ने संवाददाताओं से कहा, ‘..इस घड़ी किसी तरह की चिंता करने का कोई कारण नहीं है. हम यह बता पाने में असमर्थ हैं कि वे कहां ले जाई जा रही हैं.’
चांडी ने कहा, ‘नर्सें अपने अस्पताल के हॉस्टल से बाहर आ चुकी हैं और उस जगह को छोड़ चुकी हैं. उस समय एक घटना घटी जिसमें तीन नर्सें मामूली रूप से घायल हो गईं.’ सरकार ने माना कि इराक के संघर्ष वाले इलाके और संघर्ष से बाहर वाले इलाके में फंसे भारतीयों को लिए ‘यह मुश्किल घड़ी है.’ इराक के चार शहरों में कुल 25 भारतीय अधिकारी तैनात हैं.
अभी तक करीब 900 भारतीयों को इराक छोड़ने के लिए टिकट मुहैया कराया जा चुका है. कुल 1500 भारतीयों ने इराक छोड़ने के लिए भारतीय अधिकारियों के यहां पंजीकरण कराया है. इराक में काम कर रहे कुछ भारतीय यह फैसला नहीं ले पाए हैं कि उन्हें यहां रहना चाहिए या चले जाना चाहिए. प्रवक्ता ने कहा, ‘हम हर भारतीय की मदद के लिए प्रतिबद्ध हैं.’