आतंकवादी संगठन आईएसआईएस का एक ताजा फरमान इराक में महिलाओं के लिए गंभीर संकट बनकर उभरा है. आईएसआईएस ने उसके कब्जे वाले इराक के हिस्सों में 11 से 46 वर्ष तक की महिलाओं के खतने का फतवा सुनाया है. आईएसआईएस का यह ताजा फतवा गृहयुद्ध से जूझ रहे इस देश की लाखों महिलाओं को प्रभावित कर सकता है.
गौरतलब है कि इराक के दूसरे सबसे बड़े शहर मोसूल पर आतंकवादियों ने पिछले महीने कब्जा कर लिया था. इसके अलावा उत्तर-पश्चिम के कई अन्य इलाकों पर भी आतंकवादियों का कब्जा है. आतंकवादियों ने अपने कब्जे वाले इन इलाकों में अब अपना कट्टर एजेंडा लागू करना शुरू कर दिया है. अपने एजेंडे को लागू करने के लिए आतंकी इस्लाम की अपने तरीके से ही व्याख्या करके उसे वहां की जनता पर थोपने में जुटे हुए हैं.
इराक के कुछ सुदूर हिस्सों में तो महिलाओं का खतना अब भी किया जाता है, लेकिन सामान्य तौर पर इराक में यह एक आसामान्य सी बात है. संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने बताया कि हमें जल्दी में ही इस फतवे के बारे में जानकारी मिली है. लेकिन आईएसआईएस के इस फतवे से इराक में करीब 40 लाख महिलाएं प्रभावित होंगी. खबर है कि आतंकवादियों के कब्जे वाले मोसूल शहर में अब सिर्फ 20 ईसाई परिवार रह गए हैं.
एशिया, अफ्रीका और मिडल-ईस्ट के कुछ देशों में महिलाओं का खतना किया जाना अब भी आम बात है, लेकिन यह किशोरावस्था में ही किया जाता है. भारत में भी पहले महिलाओं का खतना किया जाता था, लेकिन अब यह चलन में नहीं है.
मोसुल सहित इराक के कई हिस्सों पर कब्जा करने वाले आतंकी संगठन आईएसआईएस ने ऐलान किया था कि वे यहां इस्लामी राज्य की स्थापना करेंगे. इसके लिए उसने ईसाईयों और अन्य धर्म को मानने वाले लोगों को मोसुल छोड़ने पर भी मजबूर कर दिया है. ईराक में अब ज्यादातर ईसाई कुर्दों के कब्जे वाले इलाकों में चले गए हैं यही नहीं कुछ लोग इस्लाम धर्म को भी अपना चुके हैं.