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मुंबई हमला: इस्लामाबाद HC ने नहीं दी मास्टरमाइंड समेत 7 के वॉयस सैंपल लेने की इजाजत

हाईकोर्ट के जस्टिस नूरुल हक और अथर मिनाअल्ला की बेंच ने फेडरल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (एफआईएस) द्वारा दी गई याचिकाओं को खारिज किया.

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मुंंबई हमले के दौरान होटल ताज
मुंंबई हमले के दौरान होटल ताज

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मुंबई हमले में इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को पाकिस्तान सरकार की दो याचिकाओं को खारिज कर दिया है. इनमें संदिग्ध मास्टरमाइंड के आवाज के नमूने लेने और अजमल कसाब और फहीम अंसारी को भगोड़ा घोषित करने की अपील की गई थी.

हाईकोर्ट के जस्टिस नूरुल हक और अथर मिनाअल्ला की बेंच ने फेडरल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (एफआईएस) द्वारा दी गई याचिकाओं को खारिज किया. इनमें से एक याचिका में हमले के संदिग्ध मास्टरमाइंड और छह अन्य लोगों के आवाज के नमूने लेने की मांग की थी, ताकि वह भारत द्वारा दिए नमूनों से इनका मिलान कर सकें. इससे पहले सितंबर 2012 में भी इसी कोर्ट ने इन्हीं आधारों पर दोनों याचिकाओं को खारिज किया था.

गौरतलब है कि एक बार याचिका खारिज होने के बाद एफआईए ने मामले में रिवाइवल के लिए दोबारा अर्जी दाखि‍ल की थी. अभि‍योजन पक्ष ने बताया, 'मई 2010 में एंटी टेररिस्ट कोर्ट (एटीसी) ने संदिग्धों के आवाज के नमूनों की याचिका को खारिज कर दिया था. याचिका में कोर्ट को बताया गया था कि मुंबई हमले की जांच के लिए ये नमूने काफी थे.

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भारतीय एजेंसियों ने किया है दावा
बता दें, भारतीय खुफिया एजेंसियों ने मुंबई हमले के दौरान आतंकियों की बातचीत को इंटरसेप्ट करने का दावा किया था. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में बैठे हमले के मास्टरमाइंड, हमलावरों को आदेश दे रहे थे. दूसरी बार की अर्जी में कोर्ट से अपील की गई कि हमले में शामिल अजमल कसाब और फहीम अंसारी को भगोड़ा घोषित कर दिया जाए. इससे जांचकर्ताओं को लीगल फॉर्मेलिटीज को पूरा करने में आसानी होगी.

पठानकोट हमले के नमूने भी नकार चुका है PAK
इससे पहले भारत द्वारा सबूत के तौर पर दिए गए पठानकोट हमले के आवाज के नमूनों को भी पाकिस्तान नकार चुका है. उसने कहा है कि ये सबूत जांच के लिए काफी नहीं हैं.

बता दें कि मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर जकीउर-रहमान लखवी समेत सात लोगों को पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया था. एटीएस 2009 से इन पर मुकदमा चला रही है, लेकिन लखवी को दिसंबर 2014 में जमानत मिल गई. उसे 10 अप्रैल को रावलपिंडी की अडियाला जेल से छोड़ दिया गया. लाहौर हाईकोर्ट ने लखवी को फिर से गिरफ्तार करने के सरकारी आदेश को खारिज कर दिया था.

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