G-20 Kashmir Meeting: सोमवार से जम्मू कश्मीर में शुरू हुई तीन दिवसीय टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की बैठक में सऊदी अरब ने आने से इनकार कर दिया है. जी-20 के इस अहम बैठक से पहले ही पाकिस्तान ने कई मुस्लिम देशों से इस समिट में भाग नहीं लेने की अपील की थी. सऊदी अरब के अलावा, चीन और तुर्की ने भी इस समिट में हिस्सा नहीं लिया है. सऊदी अरब ने बैठक में शामिल ना होने की वजह नहीं बताई है लेकिन इसे कश्मीर मुद्दे से जोड़कर देखा जा रहा है. पाकिस्तान भी इसे अपनी कूटनीतिक जीत बताने में जुट गया है.
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब जी-20 के सदस्य देश सऊदी अरब ने भारत को झटका दिया है. इससे पहले सऊदी अरब ने जब 2020 में जी-20 समिट की अध्यक्षता की थी तो जी-20 समिट के लिए जारी की गई विशेष मुद्रा पर छपे मैप में जम्मू कश्मीर को भारत से अलग बताया था. सऊदी अरब के इस कदम पर भारत सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. जिसके बाद सऊदी अरब ने इस करेंसी को वापस ले लिया था.
जम्मू कश्मीर में आयोजित बैठक में आने से इनकार
जम्मू कश्मीर के टूरिज्म सेक्टर को बढ़ावा देने और चीन और पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए भारत G-20 और Y-20 की बैठक लेह और श्रीनगर में कर रहा है. पिछले महीने अप्रैल में भारत ने जब इस बैठक को लेकर घोषणा की थी तो पाकिस्तान ने आरोप लगाया था कि भारत श्रीनगर और लेह में बैठक आयोजित कर अपने एजेंडे को बढ़ावा दे रहा है. इसके अलावा पाकिस्तान ने दुनिया के कई मुल्कों से इस समिट में भाग नहीं लेने का अनुरोध किया था.
इसके बाद से ही यह कयास लगाए जा रहे थे कि पाकिस्तान के दो करीबी दोस्त सऊदी अरब और तुर्की इस समिट में आने से इनकार कर सकते हैं. और वही हुआ भी. तुर्की और सऊदी अरब की ओर से किसी भी प्रतिनिधि को इस समिट में भाग लेने के लिए कश्मीर नहीं भेजा गया है. हालांकि, पिछले कुछ सालों में सऊदी अरब और भारत के संबंध मजबूत हुए हैं, ऐसे में उसका शामिल नहीं होना भारत के लिए झटके के तौर पर देखा जा रहा है.
Apart from core deliberations on the priorities of the WG, delegates will participate in sessions on the sidelines focusing on furthering the scope of the film tourism sector, ecotourism & the road ahead at the 3⃣rd #TWG Meeting. #G20India
— G20 India (@g20org) May 23, 2023
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अपनी अध्यक्षता में कश्मीर को बताया था भारत से अलग
साल 2020 में जी-20 की अध्यक्षता सऊदी अरब ने की थी. जी-20 को लेकर सऊदी अरब की ओर से जारी 20 रियाल की मुद्रा में जम्मू कश्मीर को भारत से अलग क्षेत्र के रूप में दिखाया गया था. इस स्पेशल बैंकनोट में एक तरफ सऊदी किंग सलमान का फोटो और सऊदी G-20 का लोगो था. जबकि दूसरी तरफ वर्ल्ड मैप था. जिसमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को भारत से अलग दिखाया गया था. वहीं, अक्साई चिन को चीन के हिस्से के रूप में दिखाया गया था. सऊदी के इस बैंक नोट पर भारत सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी.
Picture ❤️
— Sobia wani (@Kashmirikhan78) May 22, 2023
Saudi Arabia's special G20 Summit currency note, shows entire Jammu and Kashmir as a separate territory.
The map shows undivided Jammu and Kashmir and ladakh excluded from India.
Proof kashmir is not india pic.twitter.com/Ds1vW48tTe
भारतीय विदेश मंत्रालय के तत्कालीन प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था, "हमने सऊदी अरब की ओर से जारी बैंक नोट को देखा है. इसमें भारतीय बॉर्डर को गलत तरीके से दर्शाया गया है. मैं यहां स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न और अटूट अंग हैं. हमने भारत में सऊदी के राजदूत को इससे अवगत करा दिया है. हमने सऊदी अरब से इसमें तत्काल सुधार करने के लिए कहा है."
भारत की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया के लगभग 20 दिनों के बाद सऊदी अरब ने इस बैंकनोट को वापस ले लिया था. और नए नोट में पीओके सहित पूरे जम्मू और कश्मीर को दिखाया गया था.
जम्मू कश्मीर को लेकर क्या रहा है सऊदी अरब का स्टैंड
जम्मू कश्मीर में आयोजित समिट में सऊदी अरब के किसी भी प्रतिनिधि का शामिल नहीं होना इसलिए भी भारत के लिए हैरान करने वाला है क्योंकि 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से ही सऊदी अरब के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं.
विभिन्न वैश्विक राजनयिक मंचों पर कश्मीर को लेकर सऊदी अरब का रुख भारत के खिलाफ रहता था. लेकिन पिछले कुछ सालों से जम्मू कश्मीर को लेकर सऊदी अरब न्यूट्रल स्टैंड बनाए हुए है. इसके अलावा, क्रॉस बॉर्डर टेरेरिज्म को लेकर भी सऊदी अरब, भारत का साथ देता है.
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने सऊदी अरब का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने क्राउन प्रिंस सलमान से पाकिस्तान के रुख का समर्थन करने का आग्रह किया था. लेकिन एक महीने बाद पीएम मोदी ने सऊदी अरब का दौरा किया. इसके बाद सऊदी ने पाकिस्तान से कहा था कि वह जम्मू और कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला मानता है.
दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध भी बेहतर हैं. सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार देश है. इसके अलावा सऊदी अरब में काम करने वाले लाखों भारतीय कामगार भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा भेजते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब में लगभग 26 लाख से अधिक भारतीय काम करते हैं.
3rd #TWG meeting kicks-off at Sher-i-Kashmir International Conference Centre on the banks of the splendid Dal Lake in #Srinagar.
— G20 India (@g20org) May 23, 2023
Lt. Gov. J&K @manojsinha_, Union Minister @kishanreddybjp & Union MoS @DrJitendraSingh inaugurated the meeting & welcomed delegates to J&K. #G20India pic.twitter.com/qYbGiZVfgq
भारत की अध्यक्षता में जी-20 शिखर सम्मेलन
दिसंबर 2022 में भारत को जी-20 की अध्यक्षता सौंपी गई थी. यह दुनिया की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का संगठन है. 30 नवंबर 2023 तक भारत इसकी अध्यक्षता करेगा. अब तक भारत के विभिन्न शहरों में वित्त और केंद्रीय बैंक के प्रतिनिधियों की बैठक, जी-20 विकास समूह की बैठक और विदेश मंत्रियों की बैठक हो चुकी है. वर्तमान में जम्मू कश्मीर में टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की बैठक हो रही है. बैठक में 25 देशों के 150 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं.