गाजा में अंतहीन इजरायली बमबारी, अस्पतालों पर रॉकेट से हमला और फिलिस्तिनियों की मौतों के बढ़ते आंकड़ों के बीच इस सीजफायर का इंतजार सभी को था. गाजा की ओर से कई पेशकश हुए लेकिन इजरायल शर्तों पर राजी नहीं हो रहा था. जिन शर्तों पर इजरायल राजी था वो बातें हमास को मंजूर नहीं थी. लिहाजा इजरायल-हमास युद्ध में 4 दिन के इस युद्धविराम से दुनिया भर के दिग्गज नेताओं ने राहत की सांस ली है.
इस युद्धविराम के महत्व को इसी से समझा जा सकता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने स्वयं इजरायली प्रधानमंत्री को इसके लिए थैंक्यू कहा है. इसके अलावा बाइडेन ने कतर के राष्ट्राध्य्क्ष और मिस्र के राष्ट्रपति को भी शुक्रिया कहा है.
7 अक्टूबर 2023 को जब हमास के आतंकियों ने इजरायल पर अभूतपूर्व हमला किया तो एकबारगी दुनिया सन्न रह गई. अपने सुपर हाईटेक सिक्योरिटी तंत्र के प्रसिद्ध इजरायल पर ऐसा हमला दुनिया ने न तो देखा था न सुना था. इस हमले से बौखलाये इजरायल ने कुछ ही घंटों में अपने तोपों का मुंह हमास के नियंत्रण में मौजूद गाजा पर कर दिया और बमों की बौछार कर दी.
इजरायल के हमले ने गाजा में बेशुमार तबाही बरपाई. फिलिस्तीन के 10 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. तभी इस जंग को रोकने के लिए पश्चिम एशिया के देश कतर में कूटनीतिक कोशिशें हो रही थी. अमेरिका से मिले मदद के दम पर कतर इस जंग में मध्यस्थ का रोल निभा रहा था और इजरायल और हमास को बातचीत की टेबल पर लाने की कोशिश कर रहा था.
The State of Qatar announces that a humanitarian pause has been agreed in Gaza#MOFAQatar pic.twitter.com/5qqjSjvt4X
— Ministry of Foreign Affairs - Qatar (@MofaQatar_EN) November 22, 2023
बता दें कि हमास का राजनीतिक नेतृ्त्व कई महीनों से दोहा को अपना बेस बना चुका है. हमास चीफ इस्माइल हनियेह लंबे समय से दोहा में रह रहे हैं. जबकि हमास का मिलिट्री चीफ याह्या सिनवर इस वक्त छिपकर इजरायल पर हमले की प्लानिंग करता रहता है. याह्या सिनवर को इजरायल अपना कट्टर दुश्मन समझता है और उसे 'खान यूनिस का कसाई' बुलाता है.
बाइडेन ने इस डील को संभव बनाने के लिए कतर के शेख तमीम बिन हमद अल-थानी और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल-फतह अल-सिसी को धन्यवाद दिया. कतर पिछले समय में भू-राजनीतिक गतिविधियों का बड़ा केंद्र बनकर उभरा है. बता दें कि अमेरिका हमास के साथ डायरेक्ट डील में शामिल न होकर कतर के जरिये इसमें साथ रहा. ऐसा इसलिए है क्योंकि इजरायली हमले में अमेरिकी नागरिक भी मारे गए थे. और कुछ अमेरिकी अभी हमास की कैद में हैं.
कतर के प्रधान मंत्री ने रविवार को कहा था कि अस्थायी युद्धविराम के बदले में कुछ बंधकों को मुक्त करने का समझौता "मामूली" व्यावहारिक मुद्दों की वजह से रुका है और इसमें जल्द कामयाबी मिलेगी.
वहीं सोमवार को, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि उनका मानना है कि बंधकों को मुक्त करने का समझौता करीब है.
जब बाइडेन से पूछा गया कि क्या बंधक समझौता निकट है, तो उन्होंने कहा, "मुझे ऐसा विश्वास है.
इस पीस डील के सिलसिले में पिछले कुछ दिनों में मोसाद चीफ कतर की राजधानी दोहा के दौरे पर भी गए थे. यहां उनकी कई शीर्ष नेताओं से गुप्त मुलाकात हुई थी. लेकिन तब बात नहीं बनी थी.
दरअसल नेतन्याहू अपने रुख में किसी किस्म की नरमी का संकेत दुनिया को नहीं देना चाहते थे. नेतन्याहू हमेशा से यही कहते रहे कि वे अपने सभी 240 बंधकों की रिहाई चाहते हैं इसके अलावा वे हमास का खात्मा भी चाहते हैं. यही वजह है कि सीजफायर के बावजूद नेतन्याहू कह रहे हैं कि जंग को बंद समझना बकवास है.
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को युद्धविराम का फैसला लेने के लिए कैबिनेट की मंजूरी लेनी पड़ी. कैबिनेट की मीटिंग शुरू होने से पहले पीएम ने कहा- आज रात हमारे सामने एक कठिन फैसला लेना है, लेकिन ये सही फैसला है. दरअसल नेतन्याहू पर बंधकों के परिवारों का दबाव है जो चाहते हैं कि उनके प्रियजन हमास की कैद से बाहर निकलें. लेकिन नेतन्याहू नरमी का कोई संकेत नहीं देना चाहते हैं. इधर बिना नरमी यानी कि युद्धविराम के हमास से बात बनने वाली नहीं है.
कैबिनेट मीटिंग के दौरान इजरायल की विपक्ष ने सरकार को आगाह किया कि इस डील से हमास की कैद में मौजूद सभी इजरायली बंधकों को छुड़ाने की इजरायल की काबिलियत पर नकारात्मक असर पड़ेगा. इसके अलावा हमास को मिटाने के इजरायल के मिशन को और भी जटिल बना देगा. विपक्षी नेताओं ने कहा कि एक बार जंग को अस्थायी रुप से रोकने के बाद इसे फिर से शुरू करने में कई दिक्कतें आएंगी.
प्रधानमंत्री नेतान्याहू ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि IDF युद्धविराम की मियाद खत्म होते ही और बंधकों के वापस आते ही फिर से जंग शुरू करेगा.
नेतान्याहू ने कहा, "मैं स्पष्ट करना चाहता हूं. हम युद्ध में हैं और तब तक युद्ध में बने रहेंगे जब तक हम अपने सभी उद्देश्यों, हमास को नष्ट करने और अपने सभी बंदियों और लापता लोगों को वापस पाने में सफल नहीं हो जाते." उन्होंने कहा कि हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि गाजा में हमास की ऐसी कोई यूनिट नहीं होगी जो इजरायल को धमकी देगी.
पीएम नेतन्याहू पर उन परिवारों का भी दबाव है जिनके परिजन 7 अक्टूबर के हमले में मारे जा चुके हैं. हमास के इस हमले में लगभग 1200 इजरायली मारे गए थे.
इस पीस डील को मुकाम पर पहुंचाने में कतर, मिस्र के अलावा तुर्किये ने भी अहम भूमिका निभाई है. तुर्किये कुछ मुस्लिम देशों के सीनियर अधिकारियों को मिलाकर बने ग्रुप में सक्रियता से काम कर रहा था. ये ग्रुप इजरायल हमास में सीजफायर के लिए सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों और दूसरे अहम देशों से बात कर रहा था. इस ग्रुप में तुर्किये, कतर, मिस्र, जॉर्डन, नाइजीरिया, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, फिलिस्तीन के विदेश मंत्री और प्रतिनिधि शामिल हैं.
चीन इस पीस डील को मुकम्मल कराने में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं था, लेकिन ब्रिक्स सम्मेलन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सीजफायर की मांग करके इजरायल पर नैतिक दबाव बना दिया. इसके अलावा चीन ईरान के जरिये भी कहीं न कहीं इस मामले में अपनी बात रख रहा था. राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा फिलिस्तीन के प्रश्न के उचित समाधान के बिना मध्य पूर्व में कोई स्थायी शांति और सुरक्षा नहीं हो सकती. चीन एक अंतरराष्ट्रीय शांति सम्मेलन शीघ्र बुलाने का आह्वान करता है जो शांति के लिए अंतरराष्ट्रीय सहमति बनाने और फिलिस्तीन के प्रश्न के शीघ्र समाधान की दिशा में काम करने के लिए अधिक व्यापक, न्यायसंगत और टिकाऊ हो.
फिलिस्तीन-इजरायल मुद्दे पर ब्रिक्स के वर्चुअल शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए, शी ने कहा कि बार-बार होने वाले फिलिस्तीनी-इजरायल संघर्षों से बाहर निकलने का मूल तरीका टू स्टेट समाधान को लागू करना है, फिलिस्तीनी राष्ट्र के वैध अधिकारों को बहाल करना और एक स्वतंत्र फिलिस्तीन राज्य की स्थापना करना है.