गाजा में युद्धविराम के बाद शहर के उत्तरी हिस्से में लौट रहे लोगों के लिए अपने शहर को पहचान पाना मुश्किल है. एक वक्त जहां उनके घर और बाजार हुआ करते थे, अब वहां केवल और केवल मलबा पड़ा है. इजरायल की बमबारी और जमीनी अभियानों से गाजा में कस्बे और गाव जमींदोज हो गए हैं. गाजा शहर की सभी प्रमुख सड़कें खोद दी गई हैं, बिजली, पानी का इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह बर्बाद हो चुका है और स्कूल, अस्पताल या तो तबाह हो चुके हैं या हवाई हमले में उन्हें नुकसान पहुंचा है.
संयुक्त राष्ट्र की मानवीय एजेंसी OCHA (United Nations Office for the Coordination of Humanitarian Affairs) के मुताबिक, सोमवार से अब तक 3 लाख 76 हजार से अधिक फिलिस्तीनी उत्तरी गाजा में अपने घरों को लौट चुके हैं.
लेकिन गाजा में उनके लिए कुछ नहीं बचा है. उन्हें नहीं पता कि गाजा का पुनर्निमाण कब और कैसे होगा. हमास और इजरायल के बीच चरणबद्ध तरीके से हुए युद्धविराम में यह नहीं बताया गया कि युद्ध के बाद गाजा पर कौन शासन करेगा और इजरायल, मिस्र लोगों और सामानों की आवाजाही को सीमित करने वाली नाकाबंदी हटाएंगे या नहीं. 2007 में जब उत्तरी गाजा पर हमास ने कब्जा कर लिया था तब इजरायल ने मिस्र के साथ मिलकर गाजा के चारों तरफ नाकेबंदी कर दी थी जो अब तक कायम है.
युद्ध के कारण 69 साल पीछे चला गया गाजा
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के एक अधिकारी के मुताबिक, युद्ध की वजह से गाजा में विकास 69 साल पीछे चला गया है. संयुक्त राष्ट्र मानवीय कार्यालय ने कहा है कि वर्तमान में गाजा में 18 लाख से अधिक लोगों को आपातकालीन आश्रय की जरूरत है.
इस महीने संयुक्त राष्ट्र मानवीय कार्यालय की तरफ से जारी आंकड़ों से पता चलता है कि युद्ध से पहले की तुलना में एक चौथाई से भी कम पानी की सप्लाई मौजूद है और सड़क नेटवर्क का कम से कम 68% हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है.
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि अगर नाकाबंदी जारी रही तो गाजा के पुनर्निर्माण में 350 से अधिक साल लग सकता है. गाजा की पूरी संरचना में से दो तिहाई बर्बाद हो गई है. गाजा में इजरायल की कार्रवाई से उत्तरी हिस्सा सबसे अधिक प्रभावित हुआ है.
संयुक्त राष्ट्र ने पिछले महीने सैटेलाइट डेटा के जरिए यह अनुमान लगाया है कि गाजा में 69 प्रतिशत संरचनाएं क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गई हैं, जिनमें 245,000 से ज्यादा घर शामिल हैं.
विश्व बैंक का अनुमान है कि युद्ध के कारण गाजा में 18.5 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है- जो 2022 में वेस्ट बैंक और गाजा के संयुक्त आर्थिक उत्पादन के बराबर है.
मलबा साफ करने में कितना समय लगेगा?
इस महीने जारी संयुक्त राष्ट्र के क्षति आकलन से पता चला है कि इजरायल की बमबारी के बाद बचे 5 करोड़ टन से अधिक मलबे को साफ करने में 21 साल लग सकते हैं. मलबे को साफ करने में 1.2 अरब डॉलर का खर्चा आएगा. मलबे में मानव अवशेष भी हैं. फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय का अनुमान है कि मलबे के नीचे 10,000 शव दबे हुए हैं.
मलबे के पहाड़ को हटाने के लिए अगर 100 से अधिक ट्रक बिना रुके लगातार काम करें तो भी मलबा साफ होने में 15 साल से अधिक का समय लग जाएगा. मलबे को हटाना इसलिए भी मुश्किल होगा क्योंकि इसमें भारी मात्रा में हानिकारक तत्व और मानव अवशेष हैं.
नाकाबंदी पर निर्भर करेगा गाजा पुनर्निमाण का काम
गाजा का पुनर्निमाण किस गति से होगा, यह गाजा की नाकाबंदी पर निर्भर करेगा. इजरायल का कहना है कि हमास को अगर अपनी सैन्य क्षमता को दोबारा बहाल करने से रोकना है तो नाकाबंदी जरूरी है. उसका कहना है कि अगर नाकाबंदी हटी तो हमास सीमेंट और धातु के पाइप का इस्तेमाल सुरंगों और रॉकेट बनाने के लिए कर सकता है.
नाकाबंदी की वजह से गाजा में निर्माण सामग्री लाने में बाधा आएगी और मानवीय मदद पहुंचने में भी वक्त लगेगा.
गाजा के पुनर्निर्माण में कितना पैसा लगेगा?
पिछले साल सितंबर में, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के अरब देशों के क्षेत्रीय ब्यूरो ने अनुमान लगाया था कि पुनर्निर्माण की कुल लागत 40 अरब डॉलर से अधिक होगी.
वहीं, संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि गाजा के पुनर्निमाण के लिए 80 अरब डॉलर से अधिक का खर्च आएगा.
गाजा के 36 में से अब केवल 17 अस्पताल ही सक्रिय हैं. इसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि गाजा में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को फिर से खड़ा करने में 10 अरब डॉलर लग सकता है. गाजा के 136 स्कूल और विश्वविद्यालय, 823 मस्जिद, 200 सरकारी संस्थान और 80-96% कृषि संबंधित संपत्ति को फिर से बनाने में अरबों रुपये लगेंगे.
गाजा को फिर से बनाने में कतर, सऊदी अरब और अमेरिका अहम भूमिका निभा सकते हैं. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों समेत दुनिया के कई देश गाजा को फिर से खड़ा करने में आर्थिक मदद दे रहे हैं.
गाजा के पुनर्निर्माण में कितनी मदद करता रहा है भारत?
इजरायल और फिलिस्तीन की पुरानी लड़ाई में गाजा कई बार बर्बाद हुआ है. पिछले 15 सालों में इजरायल और फिलिस्तीन के बीच पांच लड़ाइयां हुई हैं जिसमें गाजा को नुकसान होता रहा है. इस बार की लड़ाई में गाजा को भारी नुकसान हुआ है.
युद्ध के दौरान कतर, तुर्की जैसे देशों की तरह ही भारत ने मानवीय मदद भेजकर फिलिस्तिनियों की मदद की है. विदेश मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में बताया था कि युद्ध की शुरुआत के बाद से भारत ने फिलिस्तीनियों को 70 मीट्रिक टन मानवीय मदद भेजी है जिसमें 16.5 मीट्रिक टन दवाएं और मेडिकल सप्लाई शामिल थी.
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के मुताबिक, भारत फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था UNRWA को सालाना फंडिंग देता रहा है. भारत ने पिछले साल नवंबर में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए संस्था को सालाना दी जाने वाली 50 लाख डॉलर की मदद जारी कर दी थी.
फिलिस्तीन में भारत के प्रतिनिधि कार्यालय के अनुसार, पिछले कुछ सालों में भारत ने UNRWA के प्रमुख प्रोग्राम्स में कुल 4 करोड़ डॉलर का योगदान दिया है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और राहत सेवाएं शामिल हैं.
साल 2014 में भी गाजा के पुनर्निर्माण के लिए भारत ने आर्थिक मदद दी थी. उस साल भारत ने शहर को दोबारा खड़ा करने के लिए 40 लाख डॉलर देने का वादा किया था.