scorecardresearch
 

'इजरायल के खिलाफ अपनी जमीन से...', अब इस इस्लामिक देश ने सीरिया को दी धमकी

इजरायल-हमास की लड़ाई में यूएई की प्रतिक्रिया ध्यान खींच रही है. यूएई ने पहले तो हमले के लिए फिलिस्तीन के हमास की निंदा की और अब सीरिया की बशर अल असद सरकार को बड़ी चेतावनी दी है. यूएई के अधिकारियों ने असद सरकार में उच्च स्तर के अधिकारियों को संदेश भेजकर चेतावनी दी है.

Advertisement
X
यूएई ने सीरिया की असद सरकार को चेतावनी दी है (Photo- AFP)
यूएई ने सीरिया की असद सरकार को चेतावनी दी है (Photo- AFP)

इजरायल-फिलिस्तीन की लड़ाई के बीच संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने सीरिया की असद सरकार को बड़ी चेतावनी दी है. यूएई ने बशर अल असद की सरकार से कहा है कि वो इजरायल-हमास युद्ध में किसी तरह का हस्तक्षेप न करे. सीरियाई सरकार को यूएई ने यह भी कहा है कि वो अपनी जमीन का इस्तेमाल इजरायल पर हमले के लिए न होने दे.

Advertisement

मध्य-पूर्व में अचानक फैली अस्थिरता से अमेरिका बेहद चिंतित है. वो इस बात से भी डरा हुआ है कि यह युद्ध लेबनान और सीरिया तक फैलकर क्षेत्रीय संघर्ष में न बदल जाए.

अमेरिका की प्रमुख न्यूज वेबसाइट ने अपनी एक रिपोर्ट में दो सूत्रों के हवाले से यह कहा है कि यूएई ने इजरायल के खिलाफ किसी भी हस्तक्षेप को लेकर सीरिया को चेतावनी दी है. दो सूत्रों ने बताया कि यूएई ने सीरिया के उच्च स्तर के अधिकारियों को संदेश भेजकर यह चेतावनी दी है. सूत्रों ने बताया कि यूएई ने अमेरिका को भी इस बात की जानकारी दे दी है कि उसने सीरिया को चेतावनी दी है.

संयुक्त अरब अमीरात ने पिछले साल ही सीरिया के साथ अपने रिश्तों को सामान्य किया था. मार्च 2023 में बशर अल असद ने यूएई का दौरा भी किया था. यूएई के प्रयासों से ही सीरिया को दोबारा अरब लीग में शामिल किया गया है. मध्य-पूर्व के अधिकांश अरब देशों की तुलना में यूएई का सीरियाई सरकार पर अधिक प्रभाव है. माना जा रहा है कि अमेरिका ने इसी कारण यूएई से कहा है कि वो सीरिया से बात करे.

Advertisement

यूएई के एक अधिकारी से जब इस संबंध में सवाल किया गया तब उन्होंने यह कहकर कुछ भी बताने से इनकार कर दिया कि वो निजी राजनयिक मसलों पर किसी तरह की टिप्पणी नहीं करेंगे. सीरिया की तरफ से भी इस पर कुछ नहीं कहा गया है.

 'हमले का लाभ न उठाएं दुश्मन देश'

इससे पहले अमेरिका ने कुछ पश्चिमी देशों के साथ मिलकर एक बयान जारी कर चेतावनी दी थी कि इजरायल के दुश्मन देश हमास के हमले का लाभ उठाने की कोशिश न करें.

फ्रांस, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन के साथ मिलकर अमेरिका ने सोमवार को एक संयुक्त बयान में कहा था, 'इजरायल के दुश्मन देशों के लिए यह समय इन हमलों (हमास के हमलों) का फायदा उठाने का नहीं है.'

ट्रंप प्रशासन में यूएई-इजरायल के बीच स्थापित हुए थे राजनयिक संबंध

बाकी अरब देशों की तरह ही यूएई ने भी इजरायल को अलग-थलग करने की कोशिश में उसके साथ राजनयिक संबंध नहीं स्थापित किए थे. लेकिन साल 2020 में अमेरिका के ट्रंप प्रशासन की कोशिशों के कारण दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए. यूएई इजरायल के साथ संबंध स्थापित करने वाला पहला बड़ा अरब देश था. इसके बाद से ही दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में मजबूती आई है जिसका एक बड़ा कारक व्यापार है. दोनों देशों के बीच अरबों डॉलर का व्यापार होता है.

Advertisement

इजरायल के साथ संबंध मजबूती के लाभ को देखते हुए यूएई का रुख अब यहूदी देश को लेकर धीरे-धीरे बदल रहा है. इजरायल-हमास (फिलिस्तीन का आतंकी संगठन) की लड़ाई को लेकर यूएई ने जो आधिकारिक बयान जारी किया है, उसमें हमास की निंदा की गई है.

तनाव के लिए यूएई ने हमास को बताया जिम्मेदार

शनिवार तड़के हमास ने अचानक इजरायल पर हमला कर दिया और सैकडों हमास आतंकी इजरायल में घुस गए. हमास आतंकियों ने इजरायल में घुसकर इजरायली नागरिकों का अपहरण किया और उन्हें बंधक बना लिया. सैकड़ों लोगों की बेरहमी से हत्या भी कर दी गई. 

इसे लेकर यूएई ने कहा है कि ताजा तनाव के लिए हमास जिम्मेदार है. यूएई के विदेश मंत्रालय ने रविवार देर रात एक बयान जारी कर कहा कि फिलिस्तीनी समूह हमास के इजरायली शहरों पर हमला बेहद गंभीर है और इससे भारी तनाव पैदा हुआ है. मंत्रालय ने हिंसा को खत्म करने और नागरिकों की सुरक्षा का आह्वान किया.

मंत्रालय ने कहा, 'गाजा पट्टी के पास इजरायल के शहरों और गांवों के खिलाफ हमास के हमले बेहद गंभीर हैं और इससे भारी तनाव पैदा हुआ है. हमास ने लोगों पर हजारों रॉकेट बरसाए और भारी गोलीबारी की.'

मंत्रालय ने कहा कि यूएई उन रिपोर्टों से स्तब्ध हैं जिनमें बताया जा रहा है कि इजरायली नागरिकों को उनके घरों से अपहरण कर उन्हें बंधक बना लिया गया है. यूएई ने अपने बयान में इजरायल के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की है.

Advertisement

इस्लामिक देश ने दोनों पक्षों से हिंसा खत्म कर तनाव कम करने का आह्वान करते हुए आगे कहा, 'दोनों पक्षों के नागरिकों को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत हमेशा पूरी सुरक्षा मिलनी चाहिए और उन्हें कभी भी संघर्ष का निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए.'

Live TV

Advertisement
Advertisement