हमास ने बीते शनिवार तड़के जब अचानक इजरायल पर हमला कर दिया तब दुनिया भौचक्की रह गई थी. हमास ने इजरायल पर इतने बड़े पैमाने पर कभी हमला नहीं किया था और यह पहली बार था जब हमास के लड़ाके इजरायली सीमा में घुस आए और इजरायली नागरिकों का अपहरण कर उन्हें बंधक बना लिया, कइयों की हत्या कर दी. हमास के इस हमले को लेकर अब न्यूयॉर्क टाइम्स में मध्य-पूर्व मामलों के पत्रकार थॉमस एल फ्रीडमैन ने कहा है कि हमास के इजरायल पर हमले के पीछे की वजह एक फोटो है.
जिस फोटो को हमास के हमले के पीछे की वजह बताई जा रही है, वह फोटो संचार मंत्री श्लोमो करही के टीम के एक सदस्य की है जिसे तब खींचा गया जब वो सऊदी अरब में थे. तस्वीर में इजरायली प्रतिनिधि के हाथ में यहूदियों की पवित्र धार्मिक पुस्तक तोरा है.
क्या थी वो तस्वीर जिसे माना जा रहा हमास के हमले की वजह?
तस्वीर इजरायली संचार मंत्री श्लोमो करही की टीम ने ली थी जो रियाद में संयुक्त राष्ट्र डाक सम्मेलन में भाग ले रहे थे. उन्हीं दिनों यहूदियों का पर्व सुकोट भी चल रहा था जिसे लेकर टीम के लोगों ने होटल के कमरे में प्रार्थना का आयोजन किया था. टीम के एक सदस्य ने पारंपरिक यहूदी प्रार्थना के लिए ओढ़ा जाने वाला शॉल लिया था और सिर पर Yarmulke (छोटी टोपी जो सिर के मध्य भाग को कवर करती है) पहना था. इजरायली सदस्य ने हाथ में तोरा पकड़ी थी और वो खिड़की की तरफ खड़े होकर प्रार्थना कर रहा था.
न्यूयॉर्क टाइम्स के पत्रकार का कहना है कि इस्लाम के जन्म स्थान समझे जाने वाले देश में यहूदी नेता की ऐसी तस्वीर से हमास को लगा कि सऊदी ने इजरायल को स्वीकार लिया है. मध्य-पूर्व के देश इजरायल को स्वीकार न लें, इस डर से हमास ने इजरायल पर बड़े पैमाने पर हमला कर दिया.
'इजरायल को अपना न ले सऊदी इसलिए...'
न्यूयॉर्क टाइम्स के पत्रकार ने लिखा है कि हमले की योजना हमास नेताओं ने महीनों पहले बनाई थी लेकिन उन्हें इजरायल पर हमला करने की प्रेरणा 3 अक्टूबर को इजरायली मीडिया में छपी यहूदी प्रार्थना वाली तस्वीर से मिली होगी.
उनका कहना है कि इजरायली यहूदियों के लिए, वह तस्वीर एक सपने के सच होने जैसी थी. इस तस्वीर के सामने आने के बाद उन्हें लगा कि यहूदी आंदोलन की शुरुआत के एक सदी से भी अधिक समय बाद मध्य-पूर्व में उन्हें स्वीकृति मिल गई है.
इस्लाम के जन्मस्थान और मुसलमानों के दो सबसे पवित्र शहरों मक्का और मदीना के घर सऊदी अरब में यहूदी धार्मिक किताब तोरा के साथ इजरायली मंत्री का प्रार्थना करना इजरायलियों के लिए स्वीकृति का एक बड़ा स्तर है.
लेकिन इस तस्वीर ने कई फिलिस्तीनियों के भीतर भारी गुस्सा पैदा किया, खासकर हमास और फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद समेत मुस्लिम ब्रदरहुड इस तस्वीर को देखकर भड़क गए. उनके लिए यह तस्वीर इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के सबसे बड़े लक्ष्य की पूर्ति की अभिव्यक्ति थी.
उन्हें लगा कि इस तस्वीर के जरिए इजरायल साबित करना चाहता है कि वह सभी अरब देशों, यहां तक कि सऊदी अरब के साथ भी शांति स्थापित कर सकता है और वो भी फिलिस्तीनियों को बिना एक इंच जमीन दिए.
सऊदी अरब-इजरायल के शांति समझौता रोकने के लिए हमास ने किया हमला
कई विश्लेषकों की तरह पत्रकार फ्रीडमैन का भी मानना है कि हमास ने इजरायल पर हमला इसलिए किया ताकि वो इजरायल को सऊदी अरब के साथ पूर्ण राजनयिक संबंधों की स्थापना के लिए किसी शांति समझौते से रोक सके. अमेरिका सऊदी और इजरायल के बीच समझौता कराने की कोशिश कर रहा है. बदले में अमेरिका सऊदी को सुरक्षा की गारंटी दे रहा है और उसके नागरिक परमाणु कार्यक्रम के विकास में भी सहयोग करेगा. लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि इजरायल-हमास की लड़ाई से सऊदी-इजरायल सामान्यीकरण समझौता वार्ता को बड़ा झटका लगा है और हमास यही चाहता था.
हमास-इजरायल में जंग छिड़ने से पहले जहां सऊदी अरब इजरायल के साथ संबंध स्थापित करने को तत्पर दिख रहा था, अब वो इजरायल के खिलाफ फिलिस्तीन के साथ डटकर खड़ा है.
मुस्लिम दुनिया के मुखिया सऊदी अरब पर दबाव है कि वो फिलिस्तीनियों के खिलाफ जाकर इजरायल के साथ किसी भी तरह का संबंध स्थापित न करे.
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने भी अब कह दिया है कि इजरायल से रिश्ते सामान्य करने को लेकर अब किसी भी तरह की बातचीत नहीं होगी. वर्तमान परिस्थितियों को देखकर ऐसा लग भी नहीं रहा कि सऊदी अरब और इजरायल शांति समझौता करेंगे.