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ड्रग्स की हेवी डोज लेकर हमास ने इजरायल में मचाया था कत्लेआम, रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

कैप्टागन की गोलियां 2015 में उस समय चर्चा में आई थीं, जब पता चला था कि इस्लामिक स्टेट के आतंकी किसी भी आतंकी घटना को अंजाम देने से पहले अपने डर को दबाने के लिए इन गोलियां का इस्तेमाल करते हैं. कहा जाता है कि गाजा इन गोलियों का सबसे बड़ा मार्केट है

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

सात अक्टूबर को हमास के लड़ाकों के इजरायल पर हमले के साथ ही एक युद्ध की शुरुआत हो गई थी. इस हमले में 1400 से अधिक इजरायलियों की मौत हो गई थी. लेकिन अब इस हमले को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. कहा जा रहा है कि हमास के लड़ाकों ने ड्रग्स की हेवी डोज लेकर इस हमले को अंजाम दिया था.  

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द यरूशलम पोस्ट की रिपोर्ट में बताया गया है कि हमास के लड़ाकों ने कैप्टागन (Captagon) नाम की गोलियां खाकर हमला किया था. कैप्टागन एक तरह का सिंथेटिक ड्रग है. 

रिपोर्ट के मुताबिक, इस हमले में मारे गए हमास के कई लड़ाकों की जेबों से बाद में कैप्टागन की गोलियां बरामद की गई थीं. इस टैबलेट को 'गरीबों का कोकेन' भी कहा जाता है. इस टैबलेट ने हमास के लड़ाकों को ना तो लंबे समय तक भूख लगने दी और इससे वह सतर्क भी बने रहे.

इस्लामिक स्टेट के आतंकी लेते थे ये ड्रग

कैप्टागन की गोलियां 2015 में उस समय चर्चा में आई थीं, जब पता चला था कि इस्लामिक स्टेट (आईएस) के आतंकी किसी भी आतंकी घटना को अंजाम देने से पहले अपने डर को दबाने के लिए इन गोलियां का इस्तेमाल करते थे. लेकिन बाद के सालों में जैसे जैसे आईएस का खौफ कम होता गया. सीरिया और लेबनान ने बड़े स्तर पर इन गोलियां का उत्पादन और वितरण तेज कर दिया. कहा जाता है कि गाजा इन गोलियों का सबसे बड़ा मार्केट है, विशेष रूप से युवाओं में ये गोलियां काफी लोकप्रिय हैं. 

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कैप्टागन Amphetamine दवाओं से जुड़ी हुई हैं. आमतौर पर अटेंशन डिसऑर्डर, नार्कोलेप्सी और डिप्रेशन से निपटने के लिए इनका उत्पादन शुरू किया गया था. हाइली अडेक्टिव होने और साइकोटिक रिएक्शन के बावजूद यह मिडिल ईस्ट में काफी लोकप्रिय हैं. इसकी एक बड़ी वजह है कि ये बहुत सस्ती हैं. इन्हें गरीब से गरीब देशों में एक से दो डॉलर में खरीदा जा सकता है. वहीं, अमीर देशों में यह दवाई 20 डॉलर प्रति टैबलेट तक मिल जाती है. कैप्टागन की गोलियां खाने से लंबे समय तक ना तो भूख लगती है. इससे नींद भी नहीं आती और एनर्जी बनी रहती है.

सीरिया और लेबनान में मेडिकल पेशेवरों के मुताबिक न सिर्फ आतंकी इन दवाइयों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करते हैं बल्कि युद्ध क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी इन दवाइयों का सेवन करते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, ये दवा सीरिया में आय के प्रमुख स्रोत में से एक है और ईरान समर्थित लेबनान के हिजबुल्लाह समूह इसका इस्तेमाल करता है. 

दो साल पहले न्यूयॉर्क टाइम्स की पड़ताल में पता चला कि सीरिया के तानाशाह बशर असद और उनके परिवार ने कैप्टागन के उत्पादन पर काफी फोकस किया. बाद में इस ड्रग की खेप सऊदी अरब तक पहुंची. इसके बाद इटली, मलेशिया, ग्रीस और मिस्र तक कैप्टागन को बेचा जाने लगा. जॉर्डन में इस ड्रग का काफी इस्तेमाल किया जाता है. इस ड्रग का स्कूली बच्चे भी बहुत इस्तेमाल करते हैं.

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कैसी शुरू हुई जंग?

बता दें कि इजरायल और हमास के बीच युद्ध का गुरुवार को 13वां दिन है. बीते सात अक्टूबर को फिलिस्तीनी आर्म्स ग्रुप हमास ने गाजा पट्टी से रॉकेट हमलों की झड़ी लगा दी थी. ये हमले इजरायल पर किए गए थे. हमास ने हमलों की जिम्मेदारी ली और इसे इजरायल के खिलाफ सैन्य कार्रवाई बताया. हमास ने गाजा पट्टी से करीब 20 मिनट में 5,000 रॉकेट दागे थे. इतना ही नहीं, इजरायल में घुसपैठ की और कुछ सैन्य वाहनों पर कब्जा कर लिया था. इस जंग में दोनों ओर से सैंकड़ों लोगों की मौत हो गई है. 

इजरायल की तरफ से गाजा पट्टी पर लगातार बमबारी की जा रही है. वहीं, फिलिस्तीन में हमास के लड़ाके भी शांत नहीं पड़े हैं. वो इजरायल पर अभी भी तीन मोर्चे से अटैक कर रहे हैं. लेबनान, समंदर से सटे इलाके और इजिप्ट से सटे साउथ गाजा से रॉकेट और मिसाइलें दागी जा रही हैं. गुरुवार को सेंट्रल इजरायल के वेस्ट बैंक की तरफ भी रॉकेट दागे गए हैं.

सात अक्टूबर को शुरू हुए इस युद्ध के बाद अब तक सात दिनों के भीतर गाजा में 22 हजार से ज्यादा इमारतें तबाह हो गई हैं. 10 अस्पतालों और 48 स्कूलों पर इजरायल ने बमबारी की है. गाजा में अब तक मरने वालों की संख्या 2215 हो गई है. इनमें 724 बच्चे शामिल हैं. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक गाजा में तीन लाख से ज्यादा लोग घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं.

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