
इजरायल और हमास के बीच बड़े पैमाने पर जंग छिड़ी हुई है. इस लड़ाई में इजरायल ने फिलिस्तीन के चरमपंथी संगठन हमास के खात्मे की कसम खा ली है. इजरायल ने हमास के नियंत्रण वाले गाजा को पूरी तरह से घेर लिया है और जमकर गोलीबारी कर रहा है. इजरायली सेना गाजा में घुसकर हमास के लड़ाकों पर हमले की भी तैयारी कर चुका है. इस दौरान इजरायली सेना की चार यूनिट्स के बारे में खूब सुनने को मिल रहा है. इजरायल की ये चार यूनिट्स- सायरेत मतकल (Sayeret Matkal), शायतेत 13 (Shayetet 13), यूनिट 669 और यहालोम (Yahalom) बेहद खतरनाक माने जाते हैं.
सायरेत मतकल के सामने टिक नहीं पाते दुश्मन
इजरायली सेना की प्रीमियर स्पेशल यूनिट सायरेत मतकल का लोहा पूरी दुनिया मानती है और इसे बेहद खतरनाक माना जाता है. इस यूनिट के योद्धा इजरायल के बाहर जाकर बंधकों को छुड़ाने में माहिर होते हैं. हमास ने कम से कम 200 इजरायली नागरिकों को बंधक बनाया है और उन्हें अपने नियंत्रण वाले गाजा पट्टी में रखा है. इन बंधकों को छुड़ाने की जिम्मेदारी भी सायरेत मतकल को दी गई है. यह यूनिट देश में भी बंधकों को छुड़ाने का काम करती है.
1957 में स्थापित सायरेत मतकल के योद्धाओं ने इजरायल की तरफ से शुरू किए गए लगभग हर बड़े आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन का नेतृत्व किया है या उसमें अहम भूमिका निभाई है. युद्ध के दौरान सायरेत मतकल को सबसे जोखिम भरी खुफिया जानकारी जमा करने और टोही अभियानों का काम सौंपा जाता है. यूनिट दुश्मन के घर में घुसकर भी मिशन को अंजाम देती है.
इजरायल अपने स्पेशल यूनिट के अहम ऑपरेशन की जानकारी साझा नहीं करता लेकिन ऐसा माना जाता है सायरेत मतकल ने ऑपरेशन गिफ्ट (1968 में बेरूत में अरब विमानों को नष्ट करने), ऑपरेशन रोस्टर (1969 मिस्र के राडार स्टेशन पर कब्जा), ऑपरेशन आइसोटोप (1972 में अपहरण किए गए सबेना विमान से बंधकों को छुड़ाना) में भाग लिया था.
यूनिट ने ऑपरेशन स्प्रिंग ऑफ यूथ (1973 में बेरूत में ब्लैक सितंबर आतंकवादियों को मारना), ऑपरेशन थंडरबोल्ट (1976 में युगांडा में इजरायली बंधकों को बचाना) और दूसरे लेबनान युद्ध के दौरान 'ऑपरेशन शार्प एंड स्मूथ' को भी अंजाम दिया था.
इतने बड़े मिशनों को अंजाम देने वाली सायरेत मतकल के जवानों की ट्रेनिंग भी बेहद कठिन होती है. दो सालों की लंबी और कठिन ट्रेनिंग के बाद सायरेत मतकल के जवानों को कॉम्बैंट, पेट्रोलिंग, बम और लैंड माइंस को डिफ्यूज करने की ट्रेनिंग, पहाड़, जंगल और रेगिस्तान में लंबे समय तक जीवित रहना सिखाया जाता है. सायरेत मतकल के जवान मार्शल आर्ट, आपातकाल चिकित्सा, ट्रैकिंग स्ट्रैटेजी, छापेमार युद्ध, छोटे और हल्के हथियारों को चलाने में निपुण होते हैं.
यह यूनिट गुप्त रूप से काम करती है और इजरायल के कई बड़े राजनीतिक और सैन्य नेता इस यूनिट की देन हैं जिसमें इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी शामिल हैं. इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के प्रमुख डैनी याटोम और इजरायल के पूर्व प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट भी कभी इस यूनिट का हिस्सा थे.
समुद्री अभियानों में माहिर शायतेत 13
इजरायली नौसेना में कमांडो की एक विशेष यूनिट है जिसे शायतेत 13 (Shayetet 13) या Bats कहा जाता है. यह यूनिट इजरायली नौसेना के स्पेशल ऑपरेशनों को अंजाम देती है. इजरायली नौसना की एलिट यूनिट शायतेत 13 दुश्मनों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन में उच्च स्तर की खुफिया जानकारी जमा करने का काम करती है.
इस यूनिट के कमांडो समुद्र में युद्ध करने, गोताखोरी और विशेष जहाजों के संचालन में माहिर होते हैं.
इस इजरायली यूनिट को अपनी वीरता और आतंकवाद को खत्म करने में योगदान के लिए कई बार 'चीफ ऑफ स्टाफ' का पुरस्कार भी दिया गया है.
इस यूनिट में शामिल फाइटर टीमों को अपने मिशन को पूरा करने के लिए कई तरह की ट्रेनिंग की जरूरत होती है और इसलिए इनकी ट्रेनिंग काफी लंबी होती है. ट्रेनिंग के दौरान इन्हें जमीन पर लड़ने, आतंकवादियों का मुकाबला करने, गुरिल्ला युद्ध, पैराशूटिंग और नौसैनिक हमले में विशेषज्ञता हासिल करनी होती है.
ये यूनिट बंधकों को छुड़ाने और आतंकवाद विरोधी अभियान चलाने में माहिर है और कई ऐसे गुप्त अभियानों में शामिल रही है. शायतेत 13 को दुनिया की शीर्ष स्पेशल फोर्स यूनिट्स में से एक माना जाता है और इसकी तुलना अमेरिका की नौसेना SEALs से की जाती है.
शायतेत 13 ने ऑपरेशन Bulmus 6, ऑपरेशन स्प्रिंग ऑफ यूथ और फिलिस्तीनी मिलिट्री लीडर अबू जिहाद की हत्या जैसे बड़े ऑपरेशनों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है. इजरायली सूत्रों के मुताबिक, शायतेत 13 यूनिट ने पिछले 20 सालों में 1,000 से ज्यादा मिशन को अंजाम दिया है. हालांकि, यूनिट के अधिकांश मिशन को सीक्रेट रखा जाता है.
यूनिट 669
यूनिट 669 इजरायली वायुसेना की सामरिक बचाव यूनिट है जिसे दुश्मन की सीमा में फंसे विमानों और पायलटों के रेस्क्यू के लिए किया गया था लेकिन अब इसके कार्यक्षेत्र में बड़ा विस्तार हुआ है.
यह यूनिट किसी भी मुश्किल परिस्थिति में किसी भी देश में जाकर सैनिकों और नागरिकों को बचाने के लिए हवाई अभियान चलाने में माहिर है. यूनिट के योद्धाओं को लापता सैनिकों की खोज में भी महारत हासिल है.
यूनिट का प्रतीक बिल्ली है जो यूनिट की तरह ही बेहद चपलता और गुप्त तरीके से काम करती हैं लेकिन जब जरूरत होती है तब दुश्मन के इलाके में भी आक्रामक तरीके से अपने मिशन को अंजाम देती है.
यूनिट 669 इजरायली डिफेंस फोर्सेस की चार स्पेशल यूनिट्स में से एक है, और इसके सैनिक हर समय अलर्ट पर रहते हैं. सैनिक मिनटों में किसी भी घटनास्थल पर पहुंचकर मुश्किल बचाव अभियान में माहिर होते हैं.
गाजा पट्टी से लगे इजरायल के जीकिम में जब 10 अक्टूबर के आसपास हमास के लड़ाकों ने हमला कर दिया तब यूनिट 669 तुरंत वहां पहुंची और आग और गोलीबारी के बीच से लोगों को बचाया. 7 अक्टूबर को हमास के साथ लड़ाई शुरू होने के तीन दिनों के भीतर ही यूनिट 669 ने 45 रेस्क्यू ऑपरेशन किए और करीब 200 घायलों को रेस्क्यू किया.
यहालोम यूनिट (Yahalom Unit)
इजरायली डिफेंस फोर्सेस की स्पेशल यूनिट यहालोम को इंजिनियरिंग कामों में महारत हासिल है. यह छिपे हुए आतंकी सुरंगों को तबाह करने में माहिर है. हमास ने इजरायल पर हमला करने और उसके हमले को बेअसर करने के लिए अपने नियंत्रण वाले गाजा में 2,500 से अधिक खुफिया सुरंगे बनाई हैं जिन्हें नष्ट करने के लिए इजरायल ने अपनी स्पेशल यूनिट को मैदान में उतारा है.
यहालोम यूनिट को गोला-बारूद और खतरनाक हथियारों से निपटने में भी महारत हासिल है. इसके योद्धा सुरंगों को नष्ट करते हुए इजरायली सेना के अपने साथियों की रक्षा का काम भी करते हैं. ये दुश्मन के बमों को निष्क्रिय करने, बम बनाने, इमारतों को ध्वस्त करने, बारूदी सुरंगों को तबाह करने में विशेषज्ञता रखते हैं. अपने ऑपरेशन में ये नई तकनीक का भी खूब इस्तेमाल करते हैं जिसमें रोबोट और रिमोट से कंट्रोल होने वाले उपकरण शामिल हैं.
यहालोम दुनिया की सबसे बड़ी यूनिट्स में से एक है जो जमीन के अंदर ऑपरेशंस के नए तरीके इजाद करती रहती है. इस यूनिट में एक डॉग स्क्वॉड भी शामिल है जो अंडरग्राउंड ऑपरेशन में मदद करता है.