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ट्रंप की जीत से इजरायल में जोश, ईरान के उड़ेंगे होश?

डोनाल्ड ट्रंप का दोबारा जीतकर आना इजरायल के लिए फायदेमंद और क्यों ईरान के लिए नया झटका माना जा रहा है. अब ट्रंप की जीत के बाद एक बार फिर सबकी निगाहें मिडिल ईस्ट की ओर हैं और उम्मीद लगा रहे हैं कि क्या मिडिल ईस्ट में युद्ध रुकेगा? क्या ट्रंप के आने से ईरान को लगता है कि इजरायल का ही फायदा है?

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Donald Trump and his wife Melania at the Florida Convention Centre on November 6 (Photo: Reuters)
Donald Trump and his wife Melania at the Florida Convention Centre on November 6 (Photo: Reuters)

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप अभी तक रुझानों में 277 इलेक्टोरल वोट मिलते दिख रहे हैं, जबकि उनकी प्रतिद्वंदी कमला हैरिस को 224 इलेक्टोरल वोट मिल सकते हैं. जहां ट्रंप का एक फिर से राष्ट्रपति बनाना कई देशों के लिए फायदेमंद है तो कई देशों के लिए बड़ा झटका साबित हो सकती है. इस लिस्ट में इजरायल और ईरान जैसे देश शामिल हैं. साथ ही इजरायल ने सच्ची दोस्ती के नाम ट्रंप को जीत की बधाई दी है.

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डोनाल्ड ट्रंप का दोबारा जीतकर आना इजरायल के लिए फायदेमंद और क्यों ईरान के लिए नया झटका माना जा रहा है, क्योंकि ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में इजरायल का खुलकर समर्थन किया था तो ईरान परमाणु समझौते को रद्द कर दिया था. उस वक्त इजरायल ने ट्रंप का समर्थन किया था. माना जा रहा है कि ट्रंप की फिर से सत्ता में वापसी से इजरायल को फायदा हो सकता है.

इसी दौरान फ्लोरिडा में जीत के बाद ट्रंप का डांस करते हुए एक वीडियो सामने आया था, जिस पर इजरायल की मीडिया ने ट्रंप की विक्ट्री पर खुशी जाहिर की थी. इजरायल लगातार ईरान से लेकर गाजा में हमास, लेबनान में हिज्बुल्लाह, यमन में हूती आतंकियों के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं और अब ऐसे में ट्रंप की जीत से उसे लगता है कि एक बार फिर अमेरिका में उसके और भी मजबूत दोस्त सत्ता में वापसी कर चुके हैं.

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इजरायली मीडिया ने जाहिर की खुशी

शुरुआती रुझानों में ट्रंप की जीत पर खुशी जाहिर करते हुए इजरायल के पीएम ने सोशल मीडिया पर लिखा, इतिहास के सबसे बड़े कमबैक की बधाई. ये ऐतिहासिक वापसी अमेरिका-इजरायल के पावरफुल संबंधों को और मजबूत करेगी.

ट्रंप ने गोलान पहाड़ी को दी मान्यता

जानकारी के अनुसार,  ट्रंप ने ही पहले राष्ट्रपति रहते इजराइल के गोलान पहाड़ी पर दावों को मान्यता दी थी, जिसे साल 1967 के युद्ध में सीरिया से छीना गया था और बाद में इजरायल ने इसपर कब्जा कर लिया. जब ईरान के साथ  ट्रंप ने पिछले कार्यकाल में परमाणु समझौता रद्द किया तो नेतन्याहू ने खुलकर समर्थन किया था. नेतन्याहू पहले ट्रंप को इजरायल में व्हाइट हाउस में अब तक का सबसे अच्छा मित्र” तक कह चुके हैं. ट्रंप ने ही यरुशलम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता दी थी. जो कि दशकों पुरानी अमेरिकी नीति के खिलाफ था.

इजरायल ने दिया था ट्रंप को ईनाम!

वहीं, पिछली बार जब डोनाल्ड अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे तो इजरायल के प्रधानमंत्री इतने खुश हुए कि उन्होंने एक इलाके का नाम उनके नाम पर रख दिया था. यह इलाका है 'ट्रंप हाइट्स'. ये गोलान हाइट्स के चट्टानी इलाके में अलग से बने प्री-फेब्रिकेटेड घरों की एक बस्ती है. जहां के एंट्री गेट की सुरक्षा करने वाली एक ऊंची चील और यहूदियों के लिए पवित्र मानी जाने वाली मेनोराह की मूर्ति है. यह ट्रंप को आधी सदी के बाद अमेरिकी नीति को पलटने और व्यापक अंतरराष्ट्रीय सहमति को बदलने का ईनाम था.

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बता दें कि पिछले साल अक्टूबर से इजरायल और हमास के बीच जो युद्ध शुरू हुआ वो एक साल के अंदर इजरायल और लेबनान से लेकर इजरायल और ईरान के बीच तक पहुंच चुका है. ट्रंप की जीत के बाद अब सबकी निगाह इस बात पर लगी है कि क्या मिडिल ईस्ट में युद्ध रुकेगा? क्या ट्रंप के आने से ईरान को लगता है कि इजरायल का ही फायदा है? क्या ट्रंप की जीत ने इजरायल को अब बूस्टर डोज दे दी है?

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