फिलिस्तीन और इजरायल एक बार फिर आमने-सामने हैं. शनिवार सुबह फिलिस्तीनी आतंकियों ने इजरायल पर करीब 5 हजार रॉकेट दागे हैं. रॉकेट हमलों के बाद चारों तरफ तबाही का मंजर है. इस हमले के बाद इजरायली सेना ने कहा कि वह गाजा पट्टी में हमला कर रही है, क्योंकि हमास आतंकवादी समूह ने इजरायल के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है. इस घोषणा के बाद येरूशलेम में सायरन बज रहे हैं. सेना का कहना है कि इजरायल के कई क्षेत्रों में आतंकवादियों ने घुसपैठ की है. साथ ही इजरायल ने अपने नागरिकों को घर के अंदर रहने की सलाह दी है. हालांकि इजरायल और फिलिस्तीन के बीच दशकों से विवाद चल रहा है. इज़रायल और फिलीस्तीन के बीच की जंग दोनों ओर से ही आक्रामक अंदाज में लड़ी जाती है. अगर एक तरफ से एक मिसाइल दागी जाती है, तो दूसरी ओर से उससे कई गुना अधिक मिसाइलें दागकर जवाब दिया जाता है.
इजरायल एक यहूदी देश है, जबकि फिलिस्तीन मुस्लिम बहुल देश है. इस पर हमास शासन करता है. ये जंग इजरायल की स्थापना के पहले से ही जारी है. फिलिस्तीन और कई मुस्लिम देश इजरायल को यहूदी राज्य के रूप में मानने से इनकार करते हैं. वहीं, इजरायल औऱ फिलिस्तीन दोनों दी देश येरूशलम को अपनी राजधानी मानते हैं. इन दोनों देशों के बीच सदियों से गाजा औऱ येरूशलम पर कब्जे की लड़ाई जारी है. भले ही दुश्मनी की तलवारें इस्लामिक उदय के साथ खिंच गई हों, लेकिन असली विवाद तब शुरू हुआ जब ओटोमन साम्राज्य खत्म हो रहा था.
येरूशलम क्यों है दोनों धड़ों के लिए खास?
पहला वर्ल्ड वॉर खत्म होने के बाद ओटोमन साम्राज्य की हार हो चुकी थी. वहीं, इतिहासकारों का कहना है कि पहले विश्व युद्ध के बाद मिडिल ईस्ट की पूरी तस्वीर बदल गई. युद्ध के बाद लोगों में राष्ट्रवाद की एक भावना पनपने लगी. विश्व युद्ध के बाद ये पूरा इलाका ब्रिटेन के हिस्से में आ गया, लेकिन जब यहूदियों ने स्वतंत्र देश की मांग की तो ज़ोरों की मांग ये भी उठी कि येरुशलम में यहूदियों के लिए एक जगह का निर्माण किया जाए, जिसे यहूदी सिर्फ अपना ही घर कहें. येरूशलम इजराइलियों और फ़िलिस्तीनियों का पवित्र शहर है. येरूशलम इजरायल-अरब तनाव में सबसे विवादित मुद्दा भी रहा है. ये शहर इस्लाम, यहूदी और ईसाई धर्मों में बेहद अहम स्थान रखता है. पैगंबर इब्राहिम को अपने इतिहास से जोड़ने वाले ये तीनों ही धर्म येरूशलम को अपना पवित्र स्थान मानते हैं. यही वजह है कि सदियों से मुसलमानों, यहूदियों और ईसाइयों के दिल में इस शहर का नाम बसता रहा है.
यहूदियों और अरबों के बीच बंटी जमीन
दूसरे विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र ने एक प्रस्ताव लाकर दोनों ही देशों को अलग किया. जिसके बाद इज़रायल पहली बार दुनिया के वजूद में आया. सन 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसका मूल रूप बंटवारे को लेकर था. ब्रिटिश राज वाले इस इलाके को 2 भागों में बांट दिया गया, इसमें एक अरब इलाका और दूसरा यहूदियों का इलाका माना गया. जहां यहूदियों की संख्या ज्यादा है ,उन्हें इस्राइल दिया जाएगा. वहीं जहां अरब बहुसंख्यक हैं, उन्हें फिलिस्तीन दिया जाएगा. तीसरा था येरूशलम, इसे लेकर काफी मतभेद थे. यहां आधी आबादी यहूदी थी और आधी आबादी मुस्लिम. संयुक्त राष्ट्र संघ ने कहा कि इस क्षेत्र पर अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण लागू होगा.
कब हुआ इजरायल का जन्म?
14 मई 1948 को संयुक्त राष्ट्र और दुनिया की नज़र में पहली बार इज़रायल का जन्म हुआ. इसी दिन इतिहास की पहली अरब और इज़रायली लड़ाई भी शुरू हो गई. ये लड़ाई करीब एक साल बाद 1949 में खत्म हो गई. इसमें इज़रायल की जीत हुई थी और करीब साढ़े सात लाख फिलीस्तीनियों को अपना इलाका छोड़ना पड़ा. अंत में ब्रिटिश राज वाला ये पूरा हिस्सा तीन भागों में बंट गया. जिसे इज़रायल, वेस्ट बैंक और गाज़ा पट्टी का नाम दिया गया.
दोनों देशों के बीच जमीन की जंग
साल 1948 में इज़रायल के गठन के बाद से ही दोनों देशों में कटुता और भी बढ़ गई थी. इस जंग के करीब डेढ़ दशक के बाद एक ऐसा मौका आया, जब इज़रायल और पड़ोसी देशों में भयंकर युद्ध हुआ. ये जंग 6 दिनों तक चली थी, जीत इज़रायल की हुई. 1948 की जंग में अरब देशों ने इजरायल से जमीन का कुछ टुकड़ा छीन लिया था, इज़रायल बदले की ताक में था, लेकिन उसे मौका मिला 1966-67 की जंग में. इस जंग में इज़रायल का मुकाबला तो सीरिया से था, लेकिन सीरिया के साथ मिस्र, जॉर्डन, ईराक और लेबनान भी शामिल थे. ये जंग 6 दिन चली और इज़रायल ने 5 देशों को मात दे दी. जमीन की इस जंग के अंत में इज़रायल ने एक बार फिर गाज़ा पट्टी और वेस्ट बैंक पर अपना कब्जा वापस ले लिया, जिसे फिलीस्तीन अपना हिस्सा बताता आया है. इज़रायल ने इस हिस्से पर अपना कब्जा किया और यहूदियों को इस जगह बसाना शुरू कर दिया.
क्या है अल-अक्सा मस्जिद विवाद?
इजरायल के येरूशलम को इस्लाम, यहूदी और ईसाई तीनों धर्म में पवित्र जगह माना गया है. यहां स्थित अल-अक्सा मस्जिद को मक्का-मदीना के बाद इस्लाम में तीसरा सबसे पवित्र स्थल माना जाता है. तो वहीं यहूदी भी इसे सबसे पवित्र स्थल मानते हैं. 35 एकड़ परिसर में बनी मस्जिद अल-अक्सा को मुस्लिम अल-हरम-अल शरीफ भी कहते हैं. यहूदी इसे टेंपल टाउन कहते हैं. वहीं, ईसाइयों का मानना है कि यह वही जगह है, जहां ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया और यहीं वे अवतरित हुए. यहां चर्च द चर्च आफ द होली सेपल्कर' है. ईसा मसीह का मकबरा इसी के भीतर है. यहूदियों के लिए सबसे पवित्र स्थल 'डोम ऑफ द रॉक' इसी जगह स्थित है. लेकिन पैंगबर मोहम्मद से जुड़े होने के कारण डोम ऑफ द रॉक में मुसलमान भी आस्था रखते हैं. इस जगह को लेकर वर्षों से यहूदियों और फिलिस्तीनियों के बीच विवाद है.