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यहूदी बहुल देश इजरायल और मुस्लिम बहुल फिलिस्तीन के हमास आतंकियों के बीच छिड़ी जंग पर पूरी दुनिया की नजरें हैं. शनिवार को अचानक फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास ने इजरायल पर हमला कर दिया जिसके बाद इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने हमास के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया. हमास के इस हमले को लेकर जहां पश्चिमी देश इजरायल के साथ खड़े दिख रहे हैं, वहीं, ज्यादातर मुस्लिम देश फिलिस्तीन के समर्थन में बोल रहे हैं.
मुस्लिम देश हमेशा से फिलिस्तीन के साथ खड़े रहे हैं और वो इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे के समाधान के लिए 'टू स्टेट रिजोल्यूशन' यानी फिलिस्तीनियों के लिए एक अलग राष्ट्र की वकालत करते रहे हैं. लेकिन इजरायल-फिलिस्तीन की हालिया लड़ाई को लेकर कुछ मुस्लिम देशों की प्रतिक्रिया देख ऐसा लगता है कि इजरायल के प्रति वो नरम रुख अपना रहे हैं. आइए जानते हैं इजरायल-हमास की जंग को लेकर इस्लामिक देशों का रिएक्शन क्या है-
ईरान क्या बोला?
ईरान के विदेश मंत्रालय ने हमास के इजरायल पर हमले के बाद कहा कि यह हमला फिलिस्तीनियों की तरफ से आत्मरक्षा के लिए उठाया गया एक कदम है. इसी के साथ ही विदेश मंत्रालय ने मुस्लिम देशों से अपील की है कि वो फिलिस्तीन का समर्थन करें.
ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने कहा, 'यह ऑपरेशन ... अपने अधिकारों की रक्षा और इजरायल की युद्धोन्मादी और उत्तेजक नीतियों के प्रति फिलिस्तीनियों की स्वाभाविक प्रतिक्रिया है. यह फिलिस्तीन के सताए हुए लोगों का आंदोलन है.'
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई के शीर्ष सलाहकार अली अकबर वेलायती ने एक बयान में कहा कि हमास का यह सफल ऑपरेशन निश्चित रूप से इजरायलियों के पतन में तेजी लाएगा और जल्द ही उनका विनाश होगा. उन्होंने कहा, 'मैं इस महान और रणनीतिक जीत पर बधाई देता हूं. मेरी यह बधाई क्षेत्र के समझौता करने वाले लोगों के लिए गंभीर चेतावनी है.'
वहीं, ईरान की सरकारी न्यूज एजेंसी IRNA ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि रविवार को ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने फिलिस्तीनी आतंकी संगठनों हमास और इस्लामिक जिहाद के नेताओं से बात की.
IRNA ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा, 'रईसी ने इस्लामिक जिहाद आंदोलन के महासचिव जियाद अल-नखलाह और हमास के राजनीतिक ब्यूरो के प्रमुख इस्माइल हनियेह के साथ फोन पर बात की और फिलिस्तीन के घटनाक्रम पर चर्चा की.'
हमास के इजरायल पर हमले के बाद ईरान से कई ऐसे वीडियो सामने आए हैं जिसमें राजधानी तेहरान की सड़कों पर लोग आतिशबाजियां करते हुए जश्न मनाते दिख रहे हैं.
सऊदी अरब ने फिलिस्तीन के लिए अलग राष्ट्र की मांग को दोहराया
मध्य-पूर्व के सबसे प्रभावशाली देशों में से एक सऊदी अरब हाल के दिनों में इजरायल के साथ अपने संबंधों को ठीक करने की कोशिश कर रहा है. अमेरिका की कोशिश से दोनों देश राजनयिक संबंध स्थापित करने के लिए शांति वार्ता भी कर रहे हैं लेकिन इसी बीच फिलिस्तीन के साथ इजरायल की जंग ने इन कोशिशों को बड़ा झटका दिया है. दोनों पक्षों के बीच संघर्ष को लेकर सऊदी अरब ने एक बयान जारी किया है जिसमें फिलिस्तीनियों के अधिकारों की वकालत की है.
सऊदी विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया, 'सऊदी अरब कई फिलिस्तीनी गुटों और इजरायली कब्जे वाली ताकतों के बीच अभूतपूर्व स्थिति के कारण हुई हिंसा पर करीबी से नजर बनाए हुए है. सऊदी बार-बार चेतावनी देता रहा था कि इजरायल अगर कब्जा जारी रखेगा और फिलिस्तीनियों को उनके अधिकारों से वंचित करेगा तो वो हिंसा करेंगे.'
शनिवार को जारी बयान में सऊदी विदेश मंत्रालय ने कहा, 'सऊदी अरब अपनी जिम्मेदारियों को संभालने और एक विश्वसनीय शांति प्रक्रिया स्थापित करने का आह्वान करता है जो क्षेत्र में सुरक्षा और शांति प्राप्त करने और नागरिकों की रक्षा के लिए दो-देश समाधान (Two State Solution) की बात करता है.'
रविवार को सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान ने दोनों पक्षों के बीच चल रहे संघर्ष को लेकर फ्रांस की विदेश मंत्री कैथरीन कोलोन्ना से बात की. इस दौरान उन्होंने दोनों पक्षों की लड़ाई में मरने वाले नागरिकों को लेकर चिंता जताई. एक रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांसीसी विदेश मंत्री से बातचीत में उन्होंने तनाव को कम करने पर जोर दिया. प्रिंस फैसल ने कहा कि संघर्ष में नागरिकों को नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए और सभी पक्षों को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करना चाहिए.
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने हमास को ठहराया दोषी
इस्लामिक देश यूएई मध्य-पूर्व का पहला ऐसा बड़ा देश है जिसने अमेरिका की कोशिशों के बाद इजरायल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए हैं. साल 2020 में यूएई ने इजरायल के साथ अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर किया था. अब इजरायल और फिलिस्तीन की लड़ाई को लेकर यूएई का रुख काफी बदला हुआ नजर आ रहा है. यूएई ने अपने बयान में कहा है कि ताजा तनाव के लिए हमास जिम्मेदार है.
यूएई के विदेश मंत्रालय ने रविवार देर रात एक बयान जारी कर कहा कि फिलिस्तीनी समूह हमास के इजरायली शहरों पर हमला बेहद गंभीर है और इससे भारी तनाव पैदा हुआ है. मंत्रालय ने हिंसा को खत्म करने और नागरिकों की सुरक्षा का आह्वान किया.
मंत्रालय ने कहा, 'गाजा पट्टी के पास इजरायल के शहरों और गांवों के खिलाफ हमास के हमले बेहद गंभीर हैं और इससे भारी तनाव पैदा हुआ है. हमास ने लोगों पर हजारों रॉकेट बरसाए और भारी गोलीबारी की.'
मंत्रालय ने कहा कि यूएई उन रिपोर्टों से स्तब्ध हैं जिनमें बताया जा रहा है कि इजरायली नागरिकों को उनके घरों से अपहरण कर उन्हें बंधक बना लिया गया है. यूएई ने अपने बयान में इजरायल के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की है.
इस्लामिक देश ने दोनों पक्षों से हिंसा खत्म कर तनाव कम करने का आह्वान करते हुए आगे कहा, 'दोनों पक्षों के नागरिकों को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत हमेशा पूरी सुरक्षा मिलनी चाहिए और उन्हें कभी भी संघर्ष का निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए.'
कतर ने लड़ाई के लिए इजरायल को बताया जिम्मेदार
इस्लामिक देश कतर ने इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के लिए इजरायल को जिम्मेदार बताया है. एक बयान जारी कर कतर के विदेश मंत्रालय ने कहा, 'मौजूदा तनाव के लिए केवल और केवल इजरायल जिम्मेदार है क्योंकि वो फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों का दमन करता रहा है. साथ ही इजरायली सुरक्षा बल लगातार अल-अक्सा मस्जिद पर छापेमारी करते रहे हैं.'
बयान में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आह्वान किया गया कि इजरायल लगातार अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन कर रहा है, उसे रोका जाए और फिलिस्तीनियों के अधिकारों का सम्मान किया जाए.
कतर के विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि फिलिस्तीनी मुद्दे के न्याय और फिलिस्तीनी लोगों के वैध अधिकारों का सम्मान करते हुए एक अलग फिलिस्तीनी राष्ट्र की स्थापना होनी चाहिए जिसकी राजधानी पूर्वी यरुशलम को बनाया जाए.
तुर्की ने की मध्यस्थता की पेशकश
इस्लामिक देश तुर्की पूर्व में इजरायल के खिलाफ फिलिस्तीन का समर्थन करता रहा है लेकिन शनिवार को दोनों पक्षों में जंग छिड़ने के बाद तुर्की ने बेहद नरमी से इस मुद्दे पर अपनी बात रखी है. तुर्की ने शनिवार को टू स्टेट रिजोल्यूशन की बात करते हुए कहा कि वो दोनों पक्षों के बीच तनाव को कम करने के लिए मध्यस्थता को तैयार है.
वहीं, रविवार को तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने कहा कि तुर्की इजरायल और फिलिस्तीन के बीच चल रही लड़ाई को कम करने के लिए राजयनिक प्रयासों को लेकर प्रतिबद्ध है. इसी के साथ ही एर्दोगन ने कहा कि क्षेत्रीय शांति हासिल करने के लिए टू स्टेट रिजोल्यूशन एकमात्र तरीका है.
इस्तांबूल में बोलते हुए एर्दोगन ने दोनों पक्षों से संघर्ष खत्म करने की अपील की और कहा कि इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष मध्य-पूर्व की सभी समस्याओं की जड़ है. उन्होंने कहा, 'जब तक इस समस्या का न्यायपूर्ण तरीके समाधान नहीं होता, हमारा क्षेत्र शांति हासिल करने से दूर ही रहेगा.'
मलेशिया ने फिलिस्तीनियों के प्रति जताया समर्थन
मुस्लिम देश मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने रविवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर आरोप लगाया कि कई देश फिलिस्तीन के खिलाफ क्रूरता और उत्पीड़न को लेकर एकतरफा कार्रवाई का पक्ष ले रहे हैं.
उन्होंने कहा, 'इजरायली लगातार फिलिस्तीनी लोगों की जमीन और संपत्ति पर कब्जा कर रहे हैं. इस अन्याय की वजह से सैकड़ों निर्दोष लोगों की जान चली गई. मलेशिया फिलिस्तीनी लोगों के संघर्ष में उनके साथ खड़ा है.'
वहीं, मलेशियाई विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि मलेशिया संघर्ष में मारे जाने वाले नागरिकों को लेकर चिंतित है. मंत्रालय ने कहा कि संघर्ष में नागरिकों की हत्या रोकी जानी चाहिए और दोनों ही पक्षों को संयम रखकर तनाव को कम करना चाहिए.
बयान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से तत्काल एक आपातकालीन सत्र बुलाने का आह्वान किया ताकि सभी पक्षों से हिंसा रोकने का आह्वान किया जा सके और निर्दोष नागरिकों की रक्षा की मांग की जा सके.
इंडोनेशिया ने इजरायल को लेकर बरती नरमी
मुस्लिम बहुल देश इंडोनेशिया ने मानवीय क्षति रोककर हिंसा को तत्काल खत्म करने का आह्वान किया है. इंडोनेशिया के विदेश मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा, 'इंडोनेशिया फिलिस्तीन और इजरायल के बीच बढ़ते संघर्ष से बहुत चिंतित है. इंडोनेशिया आगे होने वाली मानवीय क्षति से बचने के लिए हिंसा को तत्काल समाप्त करने का आग्रह करता है.'
दुनिया में सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश इंडोनेशिया इजरायल के कब्जे को खत्म कर फिलिस्तीन को एक अलग देश के रूप में मान्यता देने की मांग करता रहा है.
बांग्लादेश ने की 'टू स्टेट रिजोल्यूशन' की वकालत
बांग्लादेश ने इजरायल-फिलिस्तीन के बीच चल रही मौजूदा लड़ाई की कड़ी निंदा की है. बांग्लादेश ने कहा है कि दोनों पक्षों को तुरंत युद्धविराम लागू करना चाहिए, हिंसा से किसी पक्ष का फायदा नहीं होने वाला है.
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने रविवार को एक बयान जारी कर कहा, 'हम इजरायल और फिलीस्तीन दोनों से अधिकतम संयम बरतने का आग्रह करते हैं. दोनों पक्षों से हम आग्रह करते हैं कि निर्दोष लोगों की जान को और अधिक नुकसान से बचाने के लिए तुरंत युद्ध विराम किया जाना चाहिए.'
बयान में यह भी कहा गया कि बांग्लादेश मानता है कि फिलिस्तीन के क्षेत्र में इजरायल का कब्जा क्षेत्र में शांति के लिए बड़ी रुकावट है. इस समस्या के समाधान के लिए बांग्लादेश टू स्टेट रिजोल्यूशन का समर्थन करता है.
पाकिस्तान क्या बोला?
पाकिस्तान ने दोनों पक्षों के बीच तनाव को लेकर शनिवार को कहा कि मानवीय क्षति को रोकने और क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए हिंसा को तत्काल रोकने की जरूरत है.
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'मध्य-पूर्व की मौजूदा स्थिति और फिलिस्तीन-इजरायल के बीच दुश्मनी पर हम नजर बनाए हुए हैं.'
मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने संघर्ष में मानवीय क्षति पर गहरी चिंता जताए हुआ कहा कि इजरायल-फिलिस्तीन पर पाकिस्तान का रुख हमेशा से एक जैसा रहा है. क्षेत्र की शांति कायम करने के लिए टू स्टेट रिजोल्यूशन ही एकमात्र तरीका है.
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि दोनों पक्षों के बीच तनाव को खत्म करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएं.
अल्वी ने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, 'फिलिस्तीन और इजरायल के बीच हिंसा को लेकर चिंतित हूं. और अधिक खून-खराबे और मानवीय क्षति को रोकने के लिए संयम बरतना चाहिए. तत्काल युद्धविराम होना चाहिए क्योंकि फिलिस्तीन और इजरायल के बीच शत्रुता और टकराव से लोगों की तकलीफें और बढ़ जाएंगी.'
अफगानिस्तान की प्रतिक्रिया
अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा कि अफगानिस्तान के विदेश मंत्री ने फिलिस्तीन के अपने समकक्ष से फोन पर बात कर उनके साथ अपना समर्थन जताया है. बातचीत में अफगान विदेश मंत्री ने कहा कि इस्लामिक देश शांतिप्रिय देश हैं जो इजरायल के हमलों को अस्वीकार करते हैं और चाहते हैं हिंसा तत्काल समाप्त की जानी चाहिए.
इस्लामिक देशों के संगठन, OIC ने क्या कहा?
इस्लामिक देशों के संगठन इस्लामिक सहयोग संगठन, ओआईसी ने एक बयान जारी कर मध्य-पूर्व के ताजा हालात के लिए इजरायली कब्जे को जिम्मेदार बताया है.
ओआईसी ने कहा कि इजरायल अंतरराष्ट्रीय कानूनों के हिसाब से फिलिस्तीन मुद्दे को समाधान निकालने में नाकाम रहा है. लगातार होने वाले इजरायली हमलों और फिलिस्तीन के लोगों के खिलाफ होने वाले अपराधों ने वहां के लोगों की संपत्ति और आजादी छिन ली है.
इसी के साथ ओआईसी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से आह्वान किया कि इजरायली हमले को रोका जाए और शांति बहाल की जाए.