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इजरायल पर फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास द्वारा दिए गए हमले पर दुनियाभर के नेताओं की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम बड़े देशों के नेताओं ने इजरायल का समर्थन किया है. वहीं ईरान ने हमास को इस हमले के लिए बधाई दी है. उधर, कतर ने इजरायली सेना को फिलिस्तानी लोगों के साथ हिंसा करने का जिम्मेदार ठहराया है तो पाकिस्तान ने भी इस हमले का खुलकर समर्थन किया है.
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, "इजरायल में आतंकवादी हमलों की खबर से गहरा सदमा लगा है. हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं. हम इस कठिन समय में इजरायल के साथ एकजुटता से खड़े हैं."
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने इजरायल के राष्ट्रपति हर्ज़ोग और प्रधानमंत्री नेतन्याहू से बात की. उन्होंने पोस्ट करते हुए लिखा, "मैं गाजा द्वारा इजरायल, उसके सैनिकों और उसके लोगों पर किए गए हमलों की निंदा करता हूं. फ्रांस इजरायल और इजरायलियों के साथ एकजुटता से खड़ा है. उनकी सुरक्षा और खुद की रक्षा करने के उनके अधिकार के लिए प्रतिबद्ध है."
कतर ने इजरायल पर मढ़े आरोप
ईरान ने हमास के लड़ाकों को दी बधाई
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान के प्रमुख अली खामेनेई के एक सलाहकार ने इजरायल पर हमला करने के लिए फिलिस्तीनी लड़ाकों को बधाई दी. याह्या रहीम सफवी के हवाले से कहा गया है, "हम फिलिस्तीनी लड़ाकों को बधाई देते हैं. हम फिलिस्तीन और यरुशलम की आजादी तक फिलिस्तीनी लड़ाकों के साथ खड़े रहेंगे."
इजरायल की मदद करेगा अमेरिका
इजरायल के खिलाफ हमलों पर अमेरिका के रक्षा सचिव लॉयड जे. ऑस्टिन III ने कहा कि मैं इजरायल के घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहा हूं. इजरायल की अपनी रक्षा के अधिकार के प्रति हमारी प्रतिबद्धता अटूट बनी हुई है और मैं उन लोगों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं जिन्होंने नागरिकों पर इस घृणित हमले में अपनी जान गंवा दी. आने वाले दिनों में रक्षा विभाग यह सुनिश्चित करने के लिए काम करेगा कि इजरायल के पास अपनी रक्षा करने और नागरिकों को अंधाधुंध हिंसा और आतंकवाद से बचाने के लिए आवश्यक सब कुछ है.
यूक्रेन के राष्ट्रपति ने भी व्यक्त कीं संवेदनाएं
यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने पोस्ट किया, "इजरायल से भयानक खबर. आतंकवादी हमले में अपने रिश्तेदारों या करीबी लोगों को खोने वाले सभी लोगों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं. हमें विश्वास है कि व्यवस्था बहाल होगी और आतंकवादी पराजित होंगे. दुनिया में आतंक के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह हमेशा एक अपराध है, न केवल किसी विशिष्ट देश या इस आतंक के पीड़ितों के खिलाफ, बल्कि सामान्य रूप से मानवता और हमारी पूरी दुनिया के खिलाफ. दुनिया को एकजुट होकर खड़ा होना चाहिए ताकि आतंक कहीं भी और किसी भी समय जीवन को तोड़ने या अपने वश में करने का प्रयास न कर सके.
ब्रिटेन का भी इजरायल को साथ
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने सोशल मीडिया पर लिखा, "मैं आज सुबह इजरायली नागरिकों के खिलाफ हमास आतंकवादियों के हमलों से स्तब्ध हूं. इजरायल को अपनी रक्षा करने का पूर्ण अधिकार है. हम इज़रायली अधिकारियों के संपर्क में हैं और इजरायल में ब्रिटिश नागरिकों को यात्रा सलाह का पालन करना चाहिए.
हिंसा के ये कृत्य पूरी तरह से अस्वीकार्य: कनाडा
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने लिखा, "कनाडा इजरायल के खिलाफ मौजूदा आतंकवादी हमलों की कड़ी निंदा करता है. हिंसा के ये कृत्य पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं. हम इजरायल के साथ खड़े हैं और उसके अपनी रक्षा के अधिकार का पूरा समर्थन करते हैं. हमारी संवेदनाएं इससे प्रभावित हर किसी के साथ हैं. नागरिक जीवन की रक्षा की जानी चाहिए."
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से शांति के लिए एकजुट होने का आह्वान: पाकिस्तान
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय (एफओ) की तरफ से कहा गया कि वह इजरायल और फिलिस्तीन के बीच हाल ही में बढ़े तनाव के मद्देनजर हम बढ़ती स्थिति की मानवीय क्षति के बारे में चिंतित हैं. हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से शत्रुता की समाप्ति, नागरिकों की सुरक्षा और मध्य पूर्व में स्थायी शांति के लिए एकजुट होने का आह्वान करते हैं. 1967 से पहले की सीमाओं के आधार पर अल कुद्स अल-शरीफ को इसकी राजधानी बनाकर एक व्यवहार्य, संप्रभु और सन्निहित फिलिस्तीन राज्य की स्थापना की जानी चाहिए.
आज की घटनाओं से आश्चर्यचकित नहीं हूं: पाकिस्तान के पूर्व पीएम
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने लिखा, "इजरायल के अवैध कब्जे को खत्म करना, फिलिस्तीनी भूमि पर बस्ती का विस्तार और निर्दोष फिलिस्तीनियों के खिलाफ उत्पीड़न क्षेत्र में शांति, न्याय और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं. मैं आज की घटनाओं से आश्चर्यचकित नहीं हूं. जब इजरायल फिलिस्तीनियों को आत्मनिर्णय और राज्य का दर्जा पाने के उनके वैध अधिकार से वंचित करता रहेगा तो कोई और क्या उम्मीद कर सकता है? दैनिक उकसावों, कब्ज़ा करने वाली सेनाओं और बसने वालों के हमलों और अल-अक्सा मस्जिद और ईसाई धर्म और इस्लाम के अन्य पवित्र स्थलों पर छापे के बाद और क्या?"
उन्होंने आगे कहा कि दुनिया को यह समझना चाहिए कि टिकाऊ शांति के लिए आवश्यक है: फिलिस्तीनी भूमि पर कब्जे को समाप्त करना, पूर्वी यरुशलम को अपनी राजधानी के रूप में फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देना, और फिलिस्तीनियों की स्वतंत्रता और संप्रभुता के अधिकार को बरकरार रखना.