इजरायल के कट्टर दक्षिणपंथी मंत्री इतामार बेन-गविर ने मंगलवार को यरुशलम की अल-अक्सा मस्जिद का दौरा किया था. इजरायली मंत्री के इस दौरे की सऊदी अरब, जॉर्डन, फिलीस्तीन और संयुक्त अरब अमीरात के बाद पाकिस्तान ने भी कड़ी निंदा की है.
अल-अक्सा मस्जिद मक्का और मदीना के बाद इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है. इस जगह को लेकर वर्षों से यहूदियों और फिलिस्तीनियों के बीच विवाद है.
पाकिस्तान ने इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री की अल-अक्सा मस्जिद परिसर में यात्रा को असंवेदनशील और भड़काऊ करार दिया है.
पाकिस्तान विदेश कार्यालय ने बयान जारी करते हुए कहा कि अल-अक्सा दुनिया भर के मुसलमानों के लिए एक सम्मानित पवित्र स्थल है. इसका उल्लंघन मुसलमानों की धार्मिक संवेदनाओं को ठेस पहुंचाना है. पाकिस्तान ने कहा कि इजरायली मंत्री का यह कदम फिलिस्तीन क्षेत्रों में पहले से ही तनावपूर्ण स्थिति को और भड़काता है.
बयान में पाकिस्तान ने कहा है कि इजरायल को अपने अवैध कार्यों को बंद कर कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों में मुस्लिम धार्मिक स्थलों की पवित्रता का सम्मान करना चाहिए.
फिलिस्तीन को पाकिस्तान का समर्थन
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने फिलिस्तीनियों की मांगों के लिए समर्थन को एक बार फिर दोहराया है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र और ओआईसी प्रस्तावों के अनुसार, 1967 से पहले की सीमाओं के आधार पर स्वतंत्र फिलिस्तीनी देश का समर्थन करता है.
इन इस्लामिक देशों ने भी की निंदा
पाकिस्तान के अलावा सऊदी अरब, तुर्की, संयुक्त अरब आमीरात, फिलिस्तीन और जॉर्डन ने भी इजरायली मंत्री के इस कदम पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
सऊदी विदेश मंत्रालय ने कहा, "सऊदी अरब इजरायली मंत्री के अल-अक्सा मस्जिद दौरे की कड़ी निंदा करता है." सऊदी अरब ने फिलिस्तीन की आजादी की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि सऊदी अरब फिलिस्तीनी लोगों के साथ मजबूती से खड़ा है.
यूएई के विदेश मंत्रालय ने भी इजरायली मंत्री के मस्जिद परिसर में प्रवेश करने की कड़ी निंदा की है. यूएई ने इजरायल से आह्वान किया है कि वो ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाएं जिससे यरुशलम क्षेत्र में और तनाव बढ़े और अस्थिरता फैले.
जार्डन विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा है कि जॉर्डन अल-अक्सा मस्जिद में मंत्री के प्रवेश और इसकी पवित्रता के उल्लंघन की कड़े शब्दों में निंदा करता है. इस यात्रा के मद्देनजर जॉर्डन ने इजरायल के राजदूत को भी तलब किया है.
क्या है विवाद
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 1947 में प्राचीन फिलिस्तीन विभाजन के बाद 55 फीसदी हिस्सा यहूदियों को और 45 फीसदी हिस्सा फिलिस्तीनियों को मिला था. लेकिन 1967 में इजरायल के गाजा पट्टी, वेस्ट बैंक और यरुशलम पर कब्जे के बाद फिलिस्तीन के साथ विवाद और बढ़ गया.
जॉर्डन और इजरायल के बीच समझौते के बावजूद यहूदियों ने पिछले कुछ समय से कई बार मस्जिद में घुसकर प्रार्थना करने की कोशिश की है जिससे दोनों ओर से तनाव की स्थिति बन गई. कई बार हिंसक झड़प भी हो चुकी है.
समझौते के तहत मस्जिद के अंदर गैर-मुस्लिमों को भी मस्जिद परिसर के अंदर जाने की इजाजत है लेकिन उनको प्रार्थना करने की अनुमति नहीं है.