इजरायल के प्रधानमंत्री ने सोमवार को जेरुसलम में मार्च निकालने के फैसले का बचाव किया है. 1967 में जेरुसलम पर इजरायल का नियंत्रण हो गया था. इजरायली इसी जीत का जश्न मनाने के लिए हर साल मार्च निकालते हैं. इस बार मार्च के दौरान जमकर फिलीस्तीन विरोधी टिप्पणियां की गईं और हिंसा भड़क गई.
इस परेड मार्च के लिए तैयारियां की गई थीं. बड़ी संख्या में पुलिसबल को तैनात किया गया था. सड़कों से जबरन फिलीस्तीनियों को खदेड़ा गया ताकि इजरायली नागरिक फिलीस्तीनी इलाकों से होकर गुजरने वाली इस परेड में हिस्सा में ले सके.
जेरुसलम में हुई हिंसा के बाद पिछले साल इस परेड का रूट अचानक बदल दिया गया था. हालांकि, इस साल इजरायल ने ऐसा नहीं किया. इस बार पुराने रूट से ही परेड निकालने को मंजूरी दी गई लेकिन यह मार्च हिंसक हो उठा.
मार्च में शामिल इजरायली राष्ट्रवादियों ने जमकर नारेबाजी की. इस दौरान 'अरब मुर्दाबाद' के नारे लगाए गए. फिलीस्तीनियों और पत्रकारों पर हमले भी किए गए.
पुलिस ने यहूदियों और फिलीस्तीनियों के बीच हुई भिड़ंत में बीच-बचाव किया और लाठीचार्ज भी किया.
फिलीस्तीन रेड क्रेसेंट रेस्क्यू सर्विस का कहना है कि इस दौरान 62 फिलीस्तीनी नागरिक घायल हो गए, जिनमें से 23 को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ी.
इजरायल पुलिस का कहना है कि उन्होंने 60 से अधिक संदिग्धों को गिरफ्तार किया है. इस दौरान पांच अधिकारी घायल हुए हैं. गिरफ्तार किए गए अधिकतर लोग फिलीस्तीनी बताए जा रहे हैं.
'संप्रभुता से पीछे नहीं हट सकते'
प्रधानमंत्री बेनेट ने इस घटना को संभालने के लिए पुलिस की पीठ थपथपाई. उन्होंने कहा कि हमास से खतरे के बीच इजरायल ने मार्च निकाला है और उसे इस पर फख्र है.
उन्होंने कहा, अगर हम खतरे के डर से इस बार भी रूट बदल लेते तो कभी पुराने रूट पर मार्च नहीं निकाल पाते. यह संप्रभुता से पीछे हटना हो सकता था.
बेनेट ने मार्च निकालने वालों को भी जमकर सराहा. उन्होंने कहा कि कुछ चरमपंथी समूहों को छोड़कर कल के जश्न में शामिल लोगों ने अच्छे से सब इंतजाम किया था.
रक्षा मंत्री बेनी गैन्ट्ज ने कहा कि इजरायल दो दक्षिणपंथी समूहों ला फैमिलिया और लेहावा को आतंकी संगठनों की सूची में शामिल करने पर विचार करेगा.
ला फैमिलिया नस्लवादी फैन क्लब है, जो इजरायल की सबसे लोकप्रिय फुटबॉल टीमों से जुड़ा हुआ है. लेहावा दिवंगत यहूदी कार्यकर्ता रैबी मेयर काहने से जुड़ा हुआ है. काहने ने हिंसक अरब विरोधी विचारधारा को बढ़ावा दिया था.
इजरायल ने 1967 के युद्ध में पूर्वी जेरुसलम पर कब्जा कर लिया था. फिलीस्तीनी पूर्वी जेरुसलम को अपने भावी राष्ट्र की राजधानी के तौर पर देखते हैं.